विदेशी अखबारों-पत्रिकाओं के ‘फैसीमाइल’ एडीशन छापने के लिए कई मीडिया हाउसों ने दिलचस्पी दिखाई है। भारत वाले बहुत जल्द अमेरिका, इंग्लैंड जैसे दैशों के नामी अखबार पढ़ सकेंगे। ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने विदेशी अखबारों के ‘फैसीमाइल एडीशन’ के प्रकाशन को मंजूरी हाल में ही दी। इसके बाद से मीडिया घरानों के लोग इस पालिसी के डिटेल जानने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के चक्कर लगा रहे हैं। मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक विदेशी अखबारों-पत्रिकाओं के भारतीय संस्करणों में शत-प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी देने संबंधी ताजा घोषणा का उद्देश्य विदेशी प्रकाशकों को भारत की ओर लाना है। पालिसी बदलने के बाद अब अमेरिका-इंग्लैंड जैसे देशों के नामी अखबार बिना किसी भारतीय मीडिया घराने से तालमेल बनाए ही, अपना अखबार भारत में छाप और बेच सकते हैं।
खबर है कि ‘इंटरनेशनल हेराल्ड ट्रिब्यून’ का ‘फैसीमाइल संस्करण’ का प्रकाशन हैदराबाद की एक फर्म के माध्यम से शुरू कर दिया गया है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार प्रिंट मीडिया से संबंधित सरकारी पालिसी में बदलाव के बाद अखबार उद्योग में जबर्दस्त विदेशी पूंजी आने की उम्मीद बढ़ी है। देश के कई मीडिया हाउसों में एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) के लिए आए प्रस्तावों में से अब तक 15 को केंद्र सरकार मंजूरी दे चुकी है।
‘फैसीमाइल संस्करण’ की पालिसी वर्ष 2005 में बनी थी पर यह पालिसी भारतीय मीडिया हाउसों को न लुभा पाई। वजह, लोकल विज्ञापनों को छापे बिना उनके लिए ऐसे अखबारों को छापना बिजनेस के लिहाज से मुनाफे का धंधा नहीं था। भारतीय पब्लिशर सरकार से लोकल विज्ञापन पब्लिश करने की अनुमति चाह रहे थे पर सरकार इस मांग को मानने की जगह प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में शत-प्रतिशत की मंजूरी देने का महत्वपूर्ण फैसला किया। इस तरह से दलाल (मध्यस्थ) की भूमिका को ही सरकार ने खत्म कर दिया। विदेशी अखबारों के पब्लिशर अब भारत में अपनी कंपनी बना कर उनके ‘फैसीमाइल संस्करण’ छाप सकेंगे। ये अखबार एक दिन देर से भारतीयों के हाथों तक पहुंचेंगे।