केद्र सरकार के प्रस्तावित काले कानून के विरोध में हरदोई (यूपी) के पत्रकार काला दिवस मनाने के लिए आज सड़कों पर उतर आए। दर्जनों मीडियाकर्मियों ने अपने हाथ पर काली पट्टी बांधी। नारे लिखे पोस्टरों और बैनरों को लेकर नगर की सड़कों पर जुलूस निकाला। इस दौरान मीडियाकर्मियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगाए और काले कानून को रद्द करने की मांग की। इसके बाद सभी मीडियाकर्मी जिलाधिकारी कार्यालय के सामने एकत्र हुए। नारेबाजी के साथ केंद्र सरकार का पुतला फूंका गया।
इसके बाद मीडिया पर शिकंजा कसने वाले प्रस्तावित काले कानून की प्रतियां भी जिलाधिकारी कार्यालय के सामने जलाई गईं। बाद में सभी पत्रकारों ने नगर मजिस्ट्रेट एसएस श्रीवास्तव को महामहिम राष्टपति महोदया प्रतिभा पाटिल एवं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को संबोधित ज्ञापन सौंपा। पत्रकारों ने मांग की है कि काले कानून को सिर्फ टाला जाना ही काफी नहीं है। इसको रद्द किया जाना चाहिए, नहीं तो जनता की आवाज को दबाने की सरकारी मंशा का जवाब जनता भी इस सरकार को देगी। पत्रकारों का यह भी कहना था यह आन्दोलन अभी सरकार को केवव चेतावनी देने के लिए किया गया है। जिले के जनप्रतिनिधियों ने भी सरकार के प्रस्तावित कानून को गलत बताते हुए मीडिया का साथ देने की बात कही है। आंदोलन की अगुवाई आज तक के प्रशांत पाठक ने की। इसमें जो लोग शरीक हुए उनके नाम इस प्रकार हैं- करीम उल्लाह (जी न्यूज़), रंजीत सिंह (स्टार न्यूज़), शिल्पी पाण्डेय और आरती मिश्रा (आईबीएन7), आनंद शुक्ल और आमिर किरमानी (सहारा समय), आलोक सिंह (इंडिया न्यूज़), राजीव रंजन (सुदर्शन टीवी), शरद सिंह (वीओआई), सुशांत पाठक (लाइव इंडिया), विकास श्रीवास्तव (आँखों देखी), ब्रजेश श्रीवास्तव (इंडिया टीवी), मोहमद रिजवान (महुआ), नईम (डी.डी. न्यूज़), सुधीर पाण्डेय (न्यूज24), रवि गुप्ता (चैनल1), कौशलेंद्र सिंह (एटीवी), आदर्श गुप्ता आदि। न्यूज चैनलों के कैमरामैन भी इस विरोध प्रदर्शन में बढ़-चढ़कर शरीक हुए। इनके नाम हैं- हमीदुल इस्लाम, अरुण, बंटी, ज्ञानू सिंह आदि। प्रिंट मीडिया के पत्रकारों ने इस मौके पर इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकारों का कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया। आशीष (अमर उजाला), खालिद (हिन्दुस्तान), आशीष (वायस आफ लखनऊ), अरुण मिश्रा (आज), सुधांशु मिश्रा (ग्रामीण सहारा), शिव सेवक गुप्ता (सामाजिक कार्यकर्त्ता) आदि इस विरोध प्रदर्शन में शरीक हुए। विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई संक्षिप्त सभा में वक्ताओं ने केंद्र सरकार को अल्टीमेटम दिया कि अगर मीडिया पर शिकंजा कसने का इतिहास दुहराने की कोशिश हुई तो इसका जवाब इसी तरह सड़कों पर आकर दिया जाएगा।