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दुख-दर्द

राकेश कोहरवाल नहीं रहे, आईएफजे दल नेपाल में

जनसत्ता फेम वरिष्ठ पत्रकार राकेश कोहरवाल का बरेली में हृदयगति रुकने से निधन हो गया। 58 वर्ष के राकेश बरेली के अखबार पांचाला रुहेला के संपादक थे। अमर उजाला, दैनिक जागरण, जेवीजी टाइम्स जैसे अखबारों में काम कर चुके राकेश ने जनसत्ता में अपनी खोजपरक रिपोर्टों के जरिए काफी नाम कमाया। खासकर पोलिटिकल रिपोर्टर के बतौर राकेश कोहरवाल ने अपनी पहचान बनाने में कामयाबी हासिल की। दिल्ली में लंबे समय तक काम करने के बाद वे उत्तर प्रदेश के बरेली चले गए। राकेश अंतिम दिनों में काफी कष्ट में थे। इकलौते पुत्र की सड़क हादसे में मौत के बाद वे टूट-से गए थे। खुद की बीमारी और आर्थिक तंगी ने उन्हें काफी परेशान कर रखा था। राकेश जी को हृदय से श्रद्धांजलि।

नेपाली पत्रकारों का उत्पीड़न रोकने आईएफजे दल पहुंचा

सिर मुड़वाकर विरोध प्रदर्शन करते नेपाली पत्रकार

जनसत्ता फेम वरिष्ठ पत्रकार राकेश कोहरवाल का बरेली में हृदयगति रुकने से निधन हो गया। 58 वर्ष के राकेश बरेली के अखबार पांचाला रुहेला के संपादक थे। अमर उजाला, दैनिक जागरण, जेवीजी टाइम्स जैसे अखबारों में काम कर चुके राकेश ने जनसत्ता में अपनी खोजपरक रिपोर्टों के जरिए काफी नाम कमाया। खासकर पोलिटिकल रिपोर्टर के बतौर राकेश कोहरवाल ने अपनी पहचान बनाने में कामयाबी हासिल की। दिल्ली में लंबे समय तक काम करने के बाद वे उत्तर प्रदेश के बरेली चले गए। राकेश अंतिम दिनों में काफी कष्ट में थे। इकलौते पुत्र की सड़क हादसे में मौत के बाद वे टूट-से गए थे। खुद की बीमारी और आर्थिक तंगी ने उन्हें काफी परेशान कर रखा था। राकेश जी को हृदय से श्रद्धांजलि।

नेपाली पत्रकारों का उत्पीड़न रोकने आईएफजे दल पहुंचा

सिर मुड़वाकर विरोध प्रदर्शन करते नेपाली पत्रकारनेपाल में पत्रकारों पर लगातार हो रहे हमले, अपहरण और हत्या की बढ़ती घटनाओं से नाराज आईएफजे (इंटरनेशनल फेडरेशन आफ जर्नलिस्ट) का एक दल बीते दिनों काठमांडू पहुंचा। इस दल में दुनिया भर के वरिष्ठ पत्रकार शामिल हैं। आईएफजे टीम पत्रकारों के मसलों को लेकर नेपाली सरकार से बात करेगी।

साथ ही लोकल जर्नलिस्टों के साथ भी मीटिंग करेगी। टीम में शामिल पत्रकार नेपाल की दूसरी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं से भी मिलेंगे और पत्रकारों के मुद्दे पर सशक्त हस्तक्षेप का आग्रह करेंगे। बताया जाता है कि पत्रकारों का उत्पीड़न करने वालों को नपाली सरकार का समर्थन प्राप्त है इसीलिए इस तरह की घटनाओं की बाढ़ आई हुई है। पिछले दिनों नेपाल की एक महिला पत्रकार की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उत्पीड़न से नाराज नेपाली पत्रकारों ने पिछले दिनों सिर मुड़ाकर विरोध प्रदर्शन भी किया था पर उत्पीड़न की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं।

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