पढ़िए, मीडिया के बारे में क्या राय रखते हैं विदेश राज्य मंत्री : शशि थरूर देश के विदेश राज्य मंत्री हैं। काफी पढ़े-लिखे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ जैसे संगठनों और कई बड़े देशों में भारत का डंका बजा चुके हैं और अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं। पर अपने घर में उन्हें बहुत मुश्किल हो रही है। ये मुश्किल है खुलकर बात कहने और खुलकर जीने में। वे मीडिया से खासे नाराज हैं। उन्हें लगता है कि मीडिया वाले ही उन्हें बिना वजह विवादित बना रहे हैं, जबकि लिखने-दिखाने के लिए ढेर सारी अच्छी खबरें हैं पर वे नहीं दिखाई जातीं, उन पर नहीं लिखा जाता। थरूर ने कल मीडिया के बारे में अपनी जो राय जाहिर की, वो इस प्रकार है-
जवाहर लाल नेहरू के बारे में मेरी टिप्पणियों को मीडिया ने गलत तरीके से पेश किया। विश्व मामलों की भारतीय परिषद की ओर से आयोजित संगोष्ठी के अध्यक्ष के नाते मैंने लंदन स्कूल आफ इकोनोमिक्स के प्रोफेसर लार्ड भिखू पारेख के ‘इंडियाज प्लेस इन दी वर्ल्ड’ विषय पर दिए गए घंटे भर के भाषण का ईमानदारी के साथ केवल सार प्रस्तुत किया था। मैंने पारेख की इस बात को भी रेखांकित किया है कि भारत ने दुनिया को अपने मूल्य और प्रणालियां प्रदान की। मैंने अपनी टिप्पणी में बड़ी विनम्रता से लार्ड पारेख के विचार से असहमति जताई थी। पारेख के भाषण में भारतीय विदेश नीति के खास रुखों का ज्यादातर सकारात्मक विश्लेषण था। पारेख ने पिछली नीतियों की कुछ आलोचना की तो यह एक शैक्षिक संगोष्ठी में गलत नहीं था जिसमें वैश्विक मुद्दों पर खुली चर्चा हो रही थी और किसी भी रूप में वे विचार रचनात्मक दृष्टि से पेश किए गए थे। मैं मीडिया की गलत रिपोर्टिंग से आहत हूं। इस तरह की मीडिया रिपोर्टिंग से परेशान कई लोगों से मैंने बात की। कुछ ऐसी मीडिया रिपोर्टें भी थी जो कम तोड़ीमरोड़ी गई थीं।
आप सब मीडिया वाले कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ताओं पर अपनी जानकारी थोपते हैं और उन्हें भरोसा दिलाते है कि मैंने यही कहा है, स्वाभाविक है कि वे प्रतिक्रिया करेंगे। हम सब मीडिया पर भरोसा करते हैं। इस तरह की रिपोर्टिंग से मैं बहुत सकते में हूं। मंत्रालय के अच्छे कामकाज की कोई खबर नहीं छपती, लेकिन एक संगोष्ठी के पांच मिनट के सारांश को इतनी जगह मिल जाती है।
जो कुछ भी मैं आपको बता सकता हूं वह इतना है कि आप ही वे सब लोग हैं, जिन्होंने गलत रिपोर्ट पेश की। आप ही लोग हैं जिन पर इन चीजों को देश के समक्ष सही तरीके से पेश करने की जिम्मेदारी है। शनिवार को मैंने खंडन इसलिए नहीं भेजा क्योंकि केवल एक समाचारपत्र ने इसे प्रकाशित किया था, इसलिए मामले को गंभीरता से नहीं लिया। मैं अपना काम करने की कोशिश कर रहा हूं। मैं यह सोचने की कोशिश नहीं कर रहा कि लोगों को किस बात की चिंता है, किस बात से उन्हें हेडलाइंस मिलेंगी।