4 दिसंबर को सुरेंद्र प्रताप सिंह का 60वां जन्मदिन था। वही एसपी जिन्होंने हिंदी जर्नलिज्म को नई दिशा दी। जिन्होंने हिंदी टीवी जर्नलिज्म को जन्म दिया। जिन्होंने हजारों पत्रकारों को कुछ न कुछ दिया। इन्हीं एसपी का बर्थडे बिना किसी चर्चा के, चुपचाप गया। कोलकाता में जरूर एक पहल की गई। पश्चिम बंगाल हिंदी भाषी समाज ने कोलकाता के राजस्थान सूचना केंद्र में एसपी के 60वें जन्मदिन पर एक गोष्ठी का आयोजन किया। गोष्ठी कैसी रही, इसे शब्दों के जरिए बताने की जरूरत नहीं। इसके लिए यह तस्वीर ही काफी है। एक नजर डालिए।
देखा आपने। गोष्ठी में मात्र 13 लोग उपस्थित हुए। इसमें पांच वक्ता थे। ऐसा भी नहीं कि लोगों को पता न था या बताया न गया था या बुलावा न गया था। कोलकाता के अखबारों के प्रायः सभी वरिष्ठï पत्रकारों को इस आयोजन की सूचना दी गई थी। फोन किए गए थे। आमंत्रण पत्र में कई वरिष्ठ पत्रकारों के वक्ता के रूप में नाम तक छापे गए। लेकिन किसी को फुर्सत नहीं मिली। गोष्ठी के बाद एक सज्जन ने कहा- वाकई, पत्रकार बिरादरी पूरी तरह संवेदनशून्य हो चुकी है। उसके पास अपने इतिहास पुरुष को याद करने तक का वक्त नहीं। एक दूसरे सज्जन का कहना था कि कोलकाता ने तो एसपी को उनके जन्मदिन पर याद करने के लिए गोष्ठी का आयोजन भी कर दिया लेकिन दिलवालों की दिल्ली को तो एसपी का जन्मदिन तक याद न होगा, पता करिएगा !!
लेखक तारकेश्वर मिश्र राजस्थान पत्रिका, कोलकाता के एडीटोरियल और ब्रांच इंचार्ज हैं। उनसे संपर्क करने के लिए आप उन्हें [email protected] पर मेल कर सकते हैं।
sudhir singh
October 31, 2014 at 3:41 pm
yeh dunia ka dastur hai
aaj unihi ko yad kiya jata hai
jinhe media chahata hai,
media unhi hi chahata hai
jo media ko ese waise…..
chahate hain