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‘आयोजन गुरु’ हो गए शुरू

इलाहाबाद के ‘आयोजन गुरु‘ भला कैसे चुप बैठ सकते हैं, जबकि बरसात का मौसम झमकने-चमकने लगा हो। राष्ट्रीय न्यूज चैनल के इलाहाबाद में एक स्ट्रिंगर हैं जिनका उपनाम है आयोजन गुरु। आयोजन गुरु इलाहाबाद की मीडिया के बीच जैसे-जैसे मशहूर होते गए, वैसे-वैसे इनका नाम भी बदलता गया ..अब आयोजन गुरु को लोग अन्य नामों से भी बुलाने लगे हैं… ऐसा इसलिए क्योंकि ये खबरें आयोजित कराने में माहिर हैं। इसका एकमात्र कारण हैं कि यह महाशय अब सबके दाता हैं… अपने नामी चैनल को टीआरपी दिलाने के लिए वह हर खबर में कोई न कोई नया हथकंडा अपनाने से भी नहीं चूकते… और चैनल को भी कुछ ऐसा ही रिपोर्टर चाहिए। इस राष्ट्रीय चैनल ने अब एक रीजनल चैनल, जो 24 घंटे न्यूज चलाता है, उसे भी उत्तर प्रदेश में हाल ही में लॉन्च किया है। टीआरपी चैनल और रिपोर्टर दोनों की मजबूरी है। इस मजबूरी में आशा का केंद्र बन गया है इलाहाबाद। टीआरपी का शहर बन चुका है इलाहाबाद। चैनल के आकाओ का आदेश मिलते ही यहां गुरु शुरू हो जाते हैं। इस बार जरा ज्यादा होशियारी से काम कर रहे हैं। इस बार मामला रीजनल चैनल का जो है। फिर भी आयोजन गुरु ने तो कमाल ही कर दिया।

इलाहाबाद के ‘आयोजन गुरु‘ भला कैसे चुप बैठ सकते हैं, जबकि बरसात का मौसम झमकने-चमकने लगा हो। राष्ट्रीय न्यूज चैनल के इलाहाबाद में एक स्ट्रिंगर हैं जिनका उपनाम है आयोजन गुरु। आयोजन गुरु इलाहाबाद की मीडिया के बीच जैसे-जैसे मशहूर होते गए, वैसे-वैसे इनका नाम भी बदलता गया ..अब आयोजन गुरु को लोग अन्य नामों से भी बुलाने लगे हैं… ऐसा इसलिए क्योंकि ये खबरें आयोजित कराने में माहिर हैं। इसका एकमात्र कारण हैं कि यह महाशय अब सबके दाता हैं… अपने नामी चैनल को टीआरपी दिलाने के लिए वह हर खबर में कोई न कोई नया हथकंडा अपनाने से भी नहीं चूकते… और चैनल को भी कुछ ऐसा ही रिपोर्टर चाहिए। इस राष्ट्रीय चैनल ने अब एक रीजनल चैनल, जो 24 घंटे न्यूज चलाता है, उसे भी उत्तर प्रदेश में हाल ही में लॉन्च किया है। टीआरपी चैनल और रिपोर्टर दोनों की मजबूरी है। इस मजबूरी में आशा का केंद्र बन गया है इलाहाबाद। टीआरपी का शहर बन चुका है इलाहाबाद। चैनल के आकाओ का आदेश मिलते ही यहां गुरु शुरू हो जाते हैं। इस बार जरा ज्यादा होशियारी से काम कर रहे हैं। इस बार मामला रीजनल चैनल का जो है। फिर भी आयोजन गुरु ने तो कमाल ही कर दिया।

अभी कुछ ही दिन पहले की बात है। आयोजन गुरु को ऊपर से आदेश आ गया कि उत्तर प्रदेश में बारिश नहीं हो रही है तो इलाहाबाद में बारिश के लिए कुछ टोटका-वोटका करवाओ। आयोजन गुरु सक्रिय हो गए। यहां से करीब 25 किलोमीटर दूर एक गाँव में कुछ महिलाओं को तैयार किया ताकि वे सूखे खेतों में जाकर हल चलाएं। बारिश के लिए यह एक तरह का टोटका होता है। महिलाएं तैयार हो गईं। मेघ देवता को खुश करने के लिए हल चलाया। इस खबर को चैनल ने खूब चलाया। पहले भी ऐसे कई आयोजन गुरु कराते रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की यह कोई नयी कहानी नहीं है। पहले आयोजन गुरु एक लोकल चैनल भी चलाते थे, लेकिन उनकी करतूतों से उनको लोकल चैनल के मालिक ने बाहर का रास्ता दिखा दिया। कहा जाता है कि इनके पास  हमेशा एक  झोला होता  है, जिसमे आयोजन की पूरी सामग्री हमेशा तैयार रहती है। इस झोले में गुलाल -अबीर, पटाखे आदि भी होते  हैं। अगर  इंडिया  कोई  मैच  जीते तो  चैनल  खबर ब्रेक  करने  में भले देर लगाए पर ये सज्जन प्रतिक्रिया भेजने में  जरा-सी  देर  नहीं  करते। और अगर कोई सेलिब्रेशन करवाना है तो बस एक मिनट में खबर तैयार!

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