पांच माह पहले शुरू हुए साधना न्यूज (मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़) ने दूसरे रीजनल चैलनों की नींद उड़ा दी है। खासकर सहारा समय को एमपी-सीजी में जमीन पर ला दिया है। सहारा समय का चैनल शेयर धड़ाम हो चुका है। कभी 12 के आसपास खड़ा होने वाला सहारा समय अब 8 पर आ चुका है। साधना न्यूज पांच महीने में ही 6.5 पर पहुंच चुका है। मतलब, दोनों के बीच फासला मात्र डेढ़ अंकों का ही रह गया है। इस क्षेत्र में वीओआई और जी 24 घंटे छत्तीसगढ़ का चैनल शेयर 2 के आसपास है।
साधना न्यूज की इस सफलता के बारे में एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर प्रभात डबराल ने भड़ास4मीडिया को बताया कि ऐसा आम जनता से इमोशनली जुड़ने, उनके नजदीक जाने, रीजनल चैनल की मानसिकता के साथ काम करने और पाजिटिव एनर्जी का इस्तेमाल करने से संभव हुआ है। यह सब सुविचारित रणनीति के तहत किया गया।
उल्लेखनीय है कि पांच साल पहले सहारा समय का मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ चैनल भी प्रभात डबराल के ही नेतृत्व में लांच किया गया था। अब प्रभात डबराल के नेतृत्व में साधना न्यूज ने पांच महीनों में ही सहारा समय की बराबरी करने और फिर आगे निकलने के संकेत दे दिए हैं। प्रभात के सहारा के दिनों के लांचिंग के अनुभवों से साधना न्यूज ने काफी फायदा हासिल किया। सूत्रों के मुताबिक प्रभात डबराल ने साधना न्यूज के रीजनल चैनलों की लांचिंग के लिए कुछ खास रणनीति बना रखी है। इसमें इक्विपमेंट समेत अन्य मदों में कम से कम खर्च करना, दक्ष पत्रकारों की स्थानीय टीम को हर कीमत पर जोड़ना और जनता से जुड़ाव व इंटरएक्टिविटी को लगातार बढ़ाना शामिल है। इसी फंडे पर एमपी-सीजी में साधना न्यूज लगातार बढ़ रहा है। साधना ने सहारा समय के उस टीम को अपने पाले में करने में सफलता पाई जिसने अपनी मेहनत के दम पर इस चैनल को प्रतिष्ठा व विश्वास दिलाकर आगे बढ़ाया।
प्रभात डबराल कहते हैं कि वे सफलता को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं। इंशा अल्लाह, बस एक दो तीन हफ्ते। फिर हम सबसे आगे होंगे। वे साफ कहते हैं कि हम भूत-प्रेत जैसे कार्यक्रम कतई नहीं दिखाएंगे। हमारी कोशिश जनता से सीधे जुड़ने और उनका विश्वास जीतने की होती है।
उल्लेखनीय है कि साधना न्यूज एमपी-सीजी में झंडे गाड़ने के बाद जल्द ही बिहार व झारखंड की ओर रुख करने वाला है। इस नए रीजनल चैनल का हेड शशिरंजन को बनाया गया है। उनके प्रयासों से सहारा समय (बिहार-झारखंड) के दर्जन भर से ज्यादा वरिष्ठ लोग साधना न्यूज के पाले में आ चुके हैं। सूत्रों का मानना है कि बिहार-झारखंड की आधी जंग साधना ने मजबूत टीम बनाकर जीत ली है।
साधना न्यूज के बढ़ते प्रभाव से दूसरे रीजनल चैनलों के कान खड़े हो चुके हैं और वो अब हर कीमत पर खुद को दुरुस्त करने के प्रयास शुरू कर चुके हैं। देखना है कि रीजनल में सरताज कहा जाने वाला सहारा समय अपनी खोई जमीन वापस पाने के लिए क्या कवायद करता है।