”मुसाफिर हो तुम भी, मुसाफिर हैं हम भी, किसी मोड़ पर मुलाकात होगी”
वीओआई के ग्रुप एडीटर राजेश बादल ने इस्तीफा दे दिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अऩुसार राजेश बादल पर वीओआई से स्टाफ कम करने को लेकर दबाव था जिसे उन्होंने एक हद तक तो स्वीकार किया लेकिन दबाव ज्यादा बढ़ने पर इस्तीफा देना उचित समझा। वीओआई के ग्रुप एडीटर पद पर साल भर के भीतर तीन लोग बैठ चुके हैं। शुरुआत में रामकृपाल सिंह थे। उनके बाद रविशंकर बनाए गए। बाद में रविशंकर को हटाकर राजेश बादल को ग्रुप एडीटर बनाया गया। सीईओ राहुल कुलश्रेष्ठ के इस्तीफे के बाद रविशंकर को सीईओ की जिम्मेदारी दी गई। अब राजेश बादल के ग्रुप एडीटर पद से इस्तीफा देने से वीओआई को काफी बड़ा झटका लगा है।
राजेश बादल के इस्तीफे को अप्रत्याशित माना जा रहा है। राजेश प्रबंधन के साथ मिल-जुल कर काम करने और कराने में यकीन रखते थे। वीओआई के मालिकों के साथ राजेश बादल की नजदीकी को देखते हुए यह कयास लगाया जा रहा था कि वे लंबी पारी खेलेंगे। कई राज्यों में वीओआई के लिए कंटेंट के साथ-साथ बिजनेस मैनेज कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले राजेश बादल के प्रैक्टिकल एप्रोच से स्टाफ और मैनेजमेंट दोनों प्रसन्न रहा करते थे।
राजेश के जाने के बाद से माना जा रहा है कि वीओआई को संभाल पाना अब किसी के बूते की बात नहीं रही। वीओआई में लोग वैसे ही कई महीनों से बिना सेलरी के काम कर रहे हैं। मुंबई समेत कई ब्यूरो आफिसों से स्टाफ को या तो निकाला जा रहा है या फिर लोग खुद छोड़कर जा रहे हैं। संसाधनों के अभाव में चल रहे इस चैनल के लिए राजेश बादल का इस्तीफा काफी बड़ा झटका माना जा रहा है।
भड़ास4मीडिया से संक्षिप्त बातचीत में राजेश बादल ने इस्तीफे की पुष्टि की। राजेश ने जुलाई 2008 में वीओआई ज्वाइन किया था। राजेश बादल ने इस्तीफा देने के बाद सभी वीओआईकर्मियों को मेल कर कुछ इस अंदाज में थैंक्यू कहा-
साथियों
जा रहा हूं। सबसे एक एक कर शायद न मिल पाऊं। माफ करिएगा। पर आपके साथ जो भी वक्त बीता, अच्छा रहा। बहुत कुछ सीखने को मिला। कई बार काम को लेकर गुस्से में कुछ कहा हो तो भूल जाएं। मेरे दिल में आप सभी को लेकर बेहद सम्मान है। जानबूझ कर मैंने आपको ठेस पहुंचाने का कोई काम नहीं किया। आप सबके सहयोग से इतने कम समय में पांच-छह चैनलों को शुरू कर पाए। अच्छी पत्रकारिता करने की कोशिश की। ये हमेशा याद रहेगा।
नया दिन होगा, नई रात होगी,
नए सिलसिले की शुरुआत होगी,
मुसाफिर हो तुम भी,
मुसाफिर हैं हम भी,
किसी मोड़ पर मुलाकात होगी.
आपका
राजेश बादल