रामनारायण साहू ने अखबार बंद कराने की धमकी दी : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, जिन्हें न जाति, न धर्म, न सम्प्रदाय, न किसी वर्ग विशेष से जाना जाता है, अगर उन्हें जाना जाता है तो बापू, साबरमती के संत, अहिंसा के पुजारी और राष्ट्रपिता के तौर पर। महात्मा गांधी ‘तेली’ थे, यह बात हम नहीं, समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद श्रीरामनारायण साहू कह रहे हैं। 13 से 19 नवंबर 2009 ‘मिशन इण्डिया’ के प्रथम पृष्ठ पर ‘कहां राजा भोज, कहां गंगू तेली’ शीर्षक से प्रकाशित खबर पर राज्यसभा सांसद श्री रामनारायण शाहू ने मेरे मोबाइल पर फोन करके, जो धमकी दी, वो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर सीधा प्रहार है।
उन्होंने फोन पर फिल्म ‘कमीने’ व अन्य फिल्मों का उदाहरण देते हुए कहा कि विरोध प्रदर्शन कर वे लोग ‘मिशन इण्डिया’ अखबार को बंद करा देंगे। इस धमकी भरे फोन को ‘मिशन इण्डिया’ के तकनीशियन ने रिकॉर्ड कर के रखा है। जाहिर है, साहू ने खुली धमकी दी है जबकि हमने सिर्फ प्रचलित मुहावरे को खबर की हेडिंग बनाया था। हमारा आशय किसी जाति विशेष और वर्ग विशेष की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था। ‘तेली’ समाज को हमारी हेडिंग से ठेस पहुंची है तो हमें उस बात से खेद है। बावजूद इसके, जिस तरह राज्यसभा सांसद श्रीरामनारायण साहू ने फोन करके अखबार बंद कराने की धमकी दी है, वो उनका दुस्साहस है।
हमने माननीय सांसद महोदय की प्रतिक्रिया पर सुधार का भरोसा दिया था। फिर भी सांसद महोदय ने अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को भी ‘तेली’ कह डाला। शायद वो महात्मा गांधी का नाम लेकर अपनी जातीयता की राजनीति में धार लाने की कोशिश कर रहे हैं। जिस सांसद साहू ने ‘मिशन इण्डिया’ को बंद कराने की धमकी दे डाली एवं खुद को बड़ा गांधीवादी बतला डाला, उनकी बायोग्राफी की जांच करने पर पता चला कि श्रीरामनारायण साहू हाईस्कूल पास भी नहीं हैं और अल्पज्ञान के शिकार हैं। तभी तो उन्हें यह भी नहीं पता कि गांधी जी वैश्य समाज से थे। साहू खुद राजनीति के दांव-पेंच में पिछले दरवाजे से संसद राज्यसभा तक पहुंचे हैं। मैं मानता हूं कि हमारे अखबार में प्रकाशित एक शीर्षक पर किसी समाज का दिल दुखा जिसकी शिकायत की जा सकती थी। बात धमकी से नहीं होती।
लेखक विशाल आनंद ‘मिशन इण्डिया’ अखबार के कार्यकारी संपादक हैं.