: नेताओं को आत्मकथा न लिखने की सलाह दी : नई दिल्ली। ”कौन होगा 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा का चेहरा, राहुल गांधी के मुकाबले में?” इस सवाल पर कुछ खफा होते हुए भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी ने कहा- “कौन जाने चुनाव 2012 में ही हो जाएं।” फिर गम्भीर होते हुए कहने लगे- ”मैं यकीन नहीं रखता कि पार्टी किसी नेता को किसी पद के लिए पेश करे। बीजेपी को अपनी तरफ से किसी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं बनाना चाहिए। मैं पार्टी को कभी यह नहीं कहूंगा कि मेरा चुनाव प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए करे। मेरी ऐसी कोई महत्वाकांक्षा नहीं है, हां, पार्टी के निर्देशानुसार काम करता रहूंगा।”
अनुराधा प्रसाद को उनके चर्चित टीवी शो ‘आमने-सामने’ के लिए दिए साक्षात्कार में जोशी ने आगे कहा- “कांग्रेस को गृह मंत्री पी. चिदम्बरम के भगवा आतंकवाद के बढते खतरे संबंधी टिप्पणी की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। भगवा रंग को आतंकवाद से जोड़ना गलत है। आतंकवाद का कोई रंग नहीं होता। भारतीय जनता पार्टी या संघ परिवार ने आतंकवाद का कभी समर्थन नहीं किया। यदि उन्हें (चिदम्बरम ) भारत के इतिहास और संस्कृति तथा अपनी पार्टी के इतिहास की जानकारी होती तो वे इस तरह की टिप्पणी नहीं करते’’।
बम धमाकों की साजिश रचने में कथित तौर पर लिप्त साध्वी प्रज्ञा का भाजपा की तरफ से समर्थन करने पर वे कुछ आवेश में आते हुए बोले– “साध्वी पर कोर्ट में केस चल रहा है। कोर्ट का फैसला आना बाकी है। फैसला आने से पहले ही उन्हें दोषी नहीं माना जा सकता। हिन्दू कभी आतंकवाद में शामिल हो ही नहीं सकता और पुलिस केस तो इमरजेसी में मेरे पर भी दर्ज कर दिया गया था।” हालांकि जोशी जी इस सवाल का जवाब देने से बचते रहे कि ”श्रीलंका में लिट्टे के तमिल चीते भी हिन्दू ही थे।”
क्या उन्हें पार्टी में पर्याप्त महत्व मिल रहा है? इस सवाल के जवाब में बोले- “बेशक, मुझे पार्टी में महत्व मिल रहा है। सारे बड़े फैसले मेरे से सलाह के बाद ही होते हैं। ‘पर पहले वाली बात नहीं रही जब आप वाजपेयी जी, आडवाणी जी के साथ पार्टी के सबसे ब़ड़े नेता थे?’ यह बताए जाने पर भी जोशी अड़े रहे अपनी बात पर, दोहराते रहे कि उन्हें भाजपा में खूब अहमियत मिल रही है।
क्या आत्मकथा लिखने का इरादा है? इसके जवाब में जोशी बोले- ‘‘मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं है। मैं मानता हूं कि किसी राजनीतिक व्यक्ति को अपनी आत्मकथा नहीं लिखनी चाहिए।” पर आडवाणी जी ने तो अपनी आत्मकथा लिखी थी? यह बताने पर जोशी ने कहा- ”मैंने उसका तब विरोध किया था।”
कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी के देशभर में किए जा रहे सघन भ्रमण और आदिवासियों के पक्ष में खड़े होने से जुड़े सवाल पर बिना विचलित हुए मुरली मनोहर जोशी कहने लगे, ‘इससे क्या फर्क पड़ता है अगर वे देशभर में घूम रहे हैं। वे कोई चमत्कार तो कर नहीं रहे।’ उन्होंने दावा किया कि उनकी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता सबसे पहले झारखंड, उड़ीसा और महाराष्टृ के आदिवासियों के बीच गए और काम कर रहे हैं। प्रेस रिलीज़