असमिया दैनिक ‘आजी’ के प्रधान संपादक और मालिक अनिल मजूमदार की मंगलवार देर रात उस समय गोली मार कर हत्या कर दी गई जब वे गुवाहाटी में अपने आफिस से निकल कर घर जा रहे थे। आधा दर्जन हमलावरों ने मजूमदार को नजदीक से गोली मारी और फिर कार में बैठकर भाग गए। मजूमदार को पांच गोलियां लगीं। बताया जाता है कि अनिल मजूमदार को स्थानीय पुलिस पसंद नहीं करती थी क्योंकि वे असम के अलगाववादी आंदोलन के प्रति नरम रुख रखते थे। अनिल ने 19 साल के पत्रकारीय करियर में ट्रेनी से अखबार मालिक बनने तक की यात्रा की। वे 1990 में असमिया दैनिक ‘प्रतिदिन’ में अंशकालिक संवाददाता के रूप में जुड़े। बाद में उन्होंने बंद हो चुके अखबार ‘आजी’ को खरीदा और प्रधान संपादक व मालिक के रूप में इसे पुनर्जीवित किया।
पुलिस ने अनिल की हत्या के मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार करने का दावा किया है। हालांकि पुलिस खुद कह रही है कि इन तीन लोगों पर हत्या करने का संदेह है, असली हत्यारे अभी पकड़ से बाहर हैं। पुलिस का कहना है कि वह गिरफ्तार किए गए लोगों से सुराग पा चुकी है और जल्द ही असली दोषियों को गिरफ्तार कर लेगी। पुलिस ने घटना के गवाह ड्राइवर को हिरासत में ले लिया है। ड्राइवर को एक भी गोली नहीं लगी लेकिन उसने हमलावरों को देखा है।
पत्रकार संगठनों ने अनिल मजूमदार की हत्या के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया है। गुवाहाटी में पत्रकारों ने जर्नलिस्ट एक्शन कमेटी के बैनर तले सरकार से हत्यारों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग की है। एक्शन कमेटी के संयोजक संयोजक प्रकाश महंत ने बताया कि हत्या के विरोध में पत्रकारों ने गुरुवार को काला बिल्ला लगाया। पत्रकार 27 मार्च को प्रदर्शन करेंगे। असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने अनिल मजूमदार की हत्या की कड़ी निंदा की है। उन्होंने राज्य के डीजीपी को हत्यारों को जल्द से जल्द पकड़ने के आदेश दिए हैं। गोगोई ने कहा कि पत्रकारों की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
ज्ञात हो, असम में छङ वर्षों में 22 से ज्यादा पत्रकारों की हत्या हो चुकी है। अनिल मजूमदार की हत्या से राज्य में भय का माहौल पैदा हो गया है क्योंकि असम में लोकसभा चुनावों के लिए प्रचार अभियान अभी जोर पकड़ना शुरू ही हुआ है।