: लाठीचार्ज की बात को पाटिल ने किया खारिज : कहा- नागपुर के पत्रकारों को नहीं पीटा पुलिस ने : भारत बंद के दौरान नागपुर में एक प्रदर्शन के कवरेज के लिए गए फोटो जर्नलिस्टों पर पुलिस के लाठीचार्ज के मामले को राज्य के गृहमंत्री ने खारिज कर दिया है। उनका दावा है कि 5 जुलाई को भारत बंद के दौरान पुलिस ने पत्रकारों से मारपीट नहीं की थी।
दैनिक भास्कर के नागपुर संस्करण में प्रकाशित खबर के मुताबिक सोमवार को पाटिल ने विधानसभा में कहा कि पुलिस लाठीचार्ज में जिन पत्रकारों या फोटोग्राफर को चोट लगी, वे पुलिस की लाठियों से जख्मी नहीं हुए थे। इस बीच भाजपा विधायक देवेंद्र फडणवीस ने गृहमंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार हनन की नोटिस देने की बात कही है। विधानसभा में श्री फडणवीस ने यह मुद्दा उठाया था। उन्होंने भारत बंद के दौरान नागपुर के वैरायटी चौक पर आंदोलनकारियों के साथ-साथ पत्रकारों की भी पिटाई की जानकारी दी। इस पर अपने बयान में गृहमंत्री ने इंकार किया कि पुलिस वालों ने पत्रकारों को पीटा था।
घटना की पार्श्वभूमि बताते हुए श्री पाटील ने कहा कि बंद के दिन मानव श्रृंखला बनाकर यातायात रोकने की कोशिश कर रहे आंदोलनकारियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। सभी को पुलिस वाहन में बिठाकर पुलिस स्टेशन ले जाते समय महिलाओं ने वैन में पुरुष कांस्टेबल का विरोध किया। पुलिस ने महिलाओं को एसटी बस से ले जाने की कोशिश की। लेकिन वे जाने को तैयार नहीं हुई और आंदोलनकारियों ने फिर एक बार आंदोलन शुरू करने का प्रयास किया। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने हल्का लाठीचार्ज किया। बाद में सीताबर्डी पुलिस स्टेशन के गेट पर आंदोलनकारियों के साथ पत्रकार भी नारेबाजी करते पाए गए। सात पत्रकारों ने मारपीट की शिकायत की।
गृहमंत्री ने दावा किया कि जख्मी सात में से एक पत्रकार भागते समय फुटपाथ पर गिर पड़ा था, इसलिए वह जख्मी हुआ और एक फोटोग्राफर का घुटना छिला है। दोनों ही घटनाओं से साबित होता है कि पुलिस ने पत्रकार और फोटोग्राफरों के साथ मारपीट नहीं की। श्री पाटील ने बताया कि फिर भी मामले की जांच के आदेश दिए गये हैं। निष्पक्ष जांच के लिए संबंधित पुलिस निरीक्षक और पुलिस उपनिरीक्षक का तबादला किया गया है। इस जवाब से नाराज होकर फडणवीस ने उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन की नोटिस देने की बात कही है।
नागपुर से संजय कुमार की रिपोर्ट