एनडीटीवी प्रबंधन आक्रामक मूड में है। हो भी क्यों न, 31 मार्च को बीते वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही में एनडीटीवी लिमिटेड को करीब 45 करोड़ रुपये का नेट नुकसान उठाना पड़ा है। एक साल पहले इसी तिमाही में एनडीटीवी को करीब साढ़े तीन करोड़ रुपये का फायदा हुआ था। मतलब साफ है- फायदे की जगह जबर्दस्त नुकसान झेलना पड़ा है। प्रबंधन एनडीटीवी ग्रुप को फिर फायदे की पटरी पर दौड़ाने के लिए कटिबद्ध हो चुका है। वे सभी कदम उठाए जा रहे हैं जिससे पैसे बचते हों और मुनाफे की संभावना दिखती हो। सूत्रों के मुताबिक एनडीटीवी ग्रुप के प्रबंधन व स्टाफ से जुड़े लोगों की सेलरी तो काटी ही गई है, किसी को भी इस साल इनक्रीमेंट न देने की घोषणा कर दी गई है। गैर-जरूरी स्टाफ की छंटनी के लिए निर्णय न सिर्फ लिया जा चुका है बल्कि उस पर अमल भी किया जा रहा है। पिछले दिनों मुंबई और दिल्ली आफिसों से कई दर्जन लोगों को बाहर कर दिया गया। सूत्रों का कहना है कि प्रबंधन ने कुल 20 फीसदी लोगों की छंटनी का इरादा बनाया हुआ है। इन 20 फीसदी लोगों के हटाए जाने से कंपनी 20 करोड़ रुपये बचाने में सफल हो जाएगी।
सूत्रों का कहना है कि विज्ञापन में 19 फीसदी की गिरावट के चलते ज्यादा संकट पैदा हुआ है। बताया जा रहा है कि कर्मियों के साथ यथासंभव फिर से कांट्रैक्ट किए जाने पर भी जोर दिया जा रहा है ताकि नई सेवा शर्तों के जरिए कंपनी के व्यय को घटाया और बचाया जा सके। खर्चे बचाने के लिए अन्य सभी मोर्चों पर तगड़ी कटौती की गई है। यहां तक कि डिस्ट्रीव्यूशन पर होने वाले खर्चों में भी कटौती करने का फैसला किया गया है जिसका असर कई जगहों पर चैनल की दृश्यता पर भी पड़ा है। प्रबंधन को उम्मीद है कि उसके द्वारा उठाए गए कदम से कंपनी आगे आने वाले दिनों में फिर से लाभ की ओर कदम बढ़ाने में सफल हो सकेगी।