नेपाल में बैठकर उत्तर प्रदेश के बाजारों को जाली नोट से पाटने वाला करेंसी किंग यूनुस अंसारी ‘नेशनल’ नामक न्यूज चैनल शुरू करने वाला था। नेपाल के कठमांडू से प्रस्तावित इस समाचार चैनल के लिए भारतीय बाजार से भी धन जुटाया गया था। यूनुस के पिता नेपाल के पूर्व वन मंत्री सलीम मियां अंसारी भी जाली नोट के धंधे में खुफिया एजेंसियों के जांच की जद में हैं। पिता-पुत्र पर पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई के लिए काम करने का आरोप है। इनके संपर्क दाऊद इब्राहिम से भी रहे हैं और इन्हें युवराज पारस से मदद मिलती रही है। उत्तर प्रदेश एटीएस ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के जरिए यूनुस संबंधी जानकारी नेपाल से तलब की है।
एटीएस सूत्रों के मुताबिक यूनुस की गिरफ्तारी के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र भेजकर यूनुस के उत्तर प्रदेश नेटवर्क के बारे में नेपाल से जानकारी तलब करने का अनुरोध किया गया है। चूंकि यूनुस नेपाल से जाली नोट की खेप उत्तर प्रदेश भेजता रहा है इसलिए राज्य सरकार ने केंद्र से उसके यूपी संपर्कों के बारे में नेपाल से जानकारी जुटाने का अनुरोध किया है। गौरतलब है कि नेपाल पुलिस ने शनिवार को काठमांडू के विरसी रामपुर इलाके में टोकनीबारा से यूनुस अंसारी को गिरफ्तार किया। एजेंट माजिद मनिहार की हत्या करवाने के बाद आईएसआई ने यूनुस को ही जाली नोट के धंधे का सरगना बना दिया था। पाक एजेंट परवेज टांडा की हत्या के बाद यूनुस आईएसआई का इकलौता बड़ा एजेंट रह गया था।
यूनुस के पिता सलीम मियां अंसारी नेपाल में राजा ज्ञानेन्द्र विक्रम शाह के मंत्रिमंडल में वन मंत्री रहे हैं। एटीएस सूत्रों की मानें तो पूर्व वन मंत्री के भी आईएसआई से ताल्लुकात रहे हैं। माओवादियों के खिलाफ चलाए गए अभियान में शाही सेना द्वारा बरामद किए गए हथियारों को युवराज पारस के सहयोग से सलीम और यूनुस ने भारतीय अपराधियों को बेचा। प्रदेश के बाहूबली विधायक मुख्तार अंसारी के रिश्तेदार अताउर्रहमान उर्फ सिकंदर को यही पिता-पुत्र नेपाल में पनाह देते रहे हैं। सिंकदर सीबीआई का वांछित अपराधी है और उस पर पांच लाख रुपए का इनाम घोषित है।
एटीएस सूत्रों के अनुसार उत्तर प्रदेश में गिरफ्तार पाकिस्तानी एजेंट जब्बार को यूनुस ने ही नेपाल में ठौर-ठिकाना उपलब्ध कराया था और उसी ने जब्बार को फर्जी कागजात देकर यूपी भेजा था। वह जाली नोट की थोक खेप बिहार और यूपी भेजता रहा। उसकी गिरफ्तारी के बाद जाली नोट के धंधे की रफ्तार घटने की संभावना है। यूनुस के कई एजेंट पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हैं। अब एटीएस उनके नाम जुटाने की कोशिश में जुटी है।
‘नईदुनिया’ अखबार में प्रकाशित राघवेन्द्र नारायण मिश्र की स्टोरी