अखबारी कागज के दाम में वृद्धि के चलते इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी (आईएनएस) ने विज्ञापन दर में 30 फीसदी बढ़ोतरी का फैसला किया है। आईएनएस एक्जीक्यूटिव कमेटी की पिछले दिनों हुई एक बैठक में यह निर्णय लिया गया। आईएनएस के अध्यक्ष बाहुबली शाह ने बताया कि हमने सभी प्रकाशनों को सुझाव दिया है कि वे नए विज्ञापन दर को अपने यहां लागू करें। अब ये उन पर है कि वे विज्ञापन दर बढ़ाते हैं या नहीं क्योंकि हर अखबार की अपनी अर्थनीति है। अगर सभी लोग मिलकर विज्ञापन दर बढ़ाएं तो इसका असर किसी प्रकाशन पर नहीं पड़ेगा। सरकार से अखबारी कागज पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाने की मांग पर शाह ने कहा कि यह मामला बाजार का है जिसमें सरकार आमतौर पर बीच में नहीं पड़ती। वैसे सरकार को समझाएंगे कि वो इंपोर्ट ड्यूटी 5 से घटाकर 3 प्रतिशत पर ले आए।
आईएनएस द्वारा विज्ञापन दर 30 फीसदी बढ़ाने के सुझाव का लगभग सभी मीडिया हाउसों ने स्वागत किया है। उल्लेखनीय है कि न्यूजप्रिंट के दाम अक्टूबर 2007 में 560 डालर प्रति टन था जो अप्रैल 2008 में 850 डालर प्रति टन हो गया। इसके कुछ महीनों में हजार डालर प्रति टन होने के आसार हैं। कहा जा रहा है कि 2009 की पहली तिमाही तक अखबारी कागज के दामों में वृद्धि जारी रहने के आसार हैं।
अखबारी कागज के दामों में वृद्धि के चलते आईएनएस के विज्ञापन दर बढ़ाने के फैसले से पहले ही कुछ मीडिया हाउसों ने अपने विज्ञापन दर बढ़ा दिए थे। एचटी के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर, मीडिया मार्केटिंग एंड सरकुलेशन, बिनॉय राय चौधरी का कहना है कि हम लोगों ने जून में ही विज्ञापन रेट बढ़ा दिए था। सितंबर महीने में भी इसमें थोड़ी वृद्धि की है।
टीओआई ग्रुप के सीईओ रवि धारीवाल का कहना है कि हम लोगों ने भी विज्ञापन की दरें संशोधित की है। एडवरटाइजर व रीडरशिप को ध्यान में रखते हुए हमने विज्ञापन दरों को वहां तक बढ़ाया है जहां तक हम उचित मानते हैं।
दैनिक जागरण के सीईओ संजय गुप्त का कहना है कि आईएनएस के सुझावों के अनुरूप हम विज्ञापन दर में 30 फीसदी की वृद्धि करेंगे। हालांकि नए दर का लाभा हमें अगले वित्तीय वर्ष में ही मिल पाएगा। साल के बीच में विज्ञापन दर में बदलाव करना काफी मुश्किल है।