एंकरों से रैंप पर कैटवाक कराया : दिग्गजों ने इसे पतन बताया
‘एक उम्मीद‘ के नारे के साथ पर्ल ग्रुप का बहुप्रतीक्षित चैनल ‘पी7 न्यूज‘ लांच हो गया। चैनल के आगाज़ के अंदाज से चौथे खंभे के प्रति आस्था रखने वाले ना-उम्मीद हुए हैं। जन सरोकार, जनपक्षधरता, आम लोगों के हितों का रक्षक, सबसे अलग….जैसे दावे करने वाले प्रबंधन ने हकीकत में इसके उलट काम किया। प्रबंधन ने न्यूज रीडरों-एंकरों से सबसे महंगे होटलों में से एक ‘ली मेरीडियन’ में रैंप पर कैटवाक करवाया।
इस कैटवाक को देखा और सराहा अभिनेत्री डिंपल कपाड़िया व माडल नेत्रा रघुनाथन ने। प्रबंधन के लोग इसे अब तक की सबसे अलग तरह की लांचिंग बता रहे हैं लेकिन सच कहा जाए तो ‘ली मेरीडियन’ में मीडिया की गरिमा का मखौल उड़ाया गया है। देश में यह पहली बार हुआ है जब किसी मीडिया माध्यम की लांचिंग में उससे जुड़े पत्रकारों का रैंप पर मटकते हुए परेड कराया गया हो। मीडिया के कई दिग्गजों ने इस हरकत की कड़ी निंदा की है और इसे अक्षम्य अपराध करार दिया है (नीचे देखें)।
लांचिंग के खेल-तमाशे पर लाखों रुपये फूंकने वाले प्रबंधन ने अपने न्यूज चैनल के लिए चैनल हेड तक नियुक्त नहीं किया और चैनल लांच कर दिया। बताया जा रहा है कि पर्ल ग्रुप के मालिक ज्योति नारायण खुद चैनल हेड की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। रीयल इस्टेट के धंधे से मीडिया के ‘धंधे’ में आने वालों पर वैसे भी आरोप लगते रहे हैं कि ये लोग मीडिया का काम सिर्फ अपने धंधे को मजबूती देने और सत्ता से ताकत हासिल करने के लिए शुरू करते हैं। पर्ल ग्रुप के नए न्यूज चैनल की लांचिंग ने इस धारणा को और ज्यादा पुख्ता किया है। मीडिया की संवेदनशीलता और कर्तव्य के प्रति नासमझी और बाजारू सोच ही ऐसी हरकत कराती है। कल को यही न्यूज चैनल गांव-देहात से खबरें भेजने वाले अपने स्ट्रिंगरों को कई-कई महीने एक पैसे भी न दे तो कोई बड़ी बात नहीं होगी। प्रबंधन को मैन पावर पर ज्यादा खर्च करना बेवकूफी का काम लगता है।
पर्ल ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड के नेशनल न्यूज चैनल पी 7 न्यूज से मीडिया के किसी ऐसे शख्स को नहीं जोड़ा गया है जिसके आधार पर कोई उम्मीद कर सके कि यह चैनल वाकई में जनता की आवाज उठाने वाला दबंग चैनल होगा। कुछ महीनों पहले टीवी पत्रकार अमित आर्या को इंडिया न्यूज से चैनल हेड बनाकार पी7 न्यूज लाया गया लेकिन अमित यहां टिक नहीं पाए और फिर इंडिया न्यूज लौट गए। चैनल लांच से पहले ही पी7 न्यूज के अंदर जिस तरह की उठापटक और राजनीति हुई, उससे कयास लगाया जाने लगा था कि चैनल के अंदर सब ठीक नहीं चल रहा है। ले-देकर दो लोगों के नाम आ रहे हैं जो इस चैनल के आउटपुट और इनपुट को संभाल रहे हैं। एक हैं रमन पांडे जो पहले सहारा के साथ थे और पी7 न्यूज में आउटपुट हेड हैं। दूसरे हैं चंडीगढ़ में रहकर टीवी के लिए कई वर्षों तक काम करने वाले प्रदीप चौहान जो इनपुट हेड हैं। इन दोनों के नीचे बाकी टीम है।
बताया जा रहा है कि न्यूज की टीम चैनल हेड के रूप में पर्ल के मालिक ज्योति नारायण को रिपोर्ट करती है। ज्योति नारायण को मार्केटिंग, सेल्स, डिस्ट्रीव्यूशन और एडिटोरियल सभी डिपार्टमेंट रिपोर्ट करते हैं। ऐसे में कोई भी पत्रकार सोच सकता है कि बतौर न्यूज रूम लीडर, ज्योति नारायण चैनल में कितना जान भर सकते हैं और किस तरह जनता की आवाज उठा सकते हैं। ज्योति नारायण भले ही कह रहे हों कि उनका चैनल बाकी चैनलों से अलग होगा, विशिष्ट होगा, जन पक्षधर होगा लेकिन ली मेरीडियन में कल हुए खेल तमाशे के बाद एक मीडिया विश्लेषक ने टिप्पणी की कि अब वो दिन दूर नहीं जब भारत में भी न्यूज चैनल टीआरपी के लिए एंकरों से कैटवाक कराने से लेकर कम से कम कपड़ों में न्यूज पढ़वाने तक का काम करेंगे ताकि दर्शक टिके रहें। अगर कोई चैनल ऐसा काम करने की शुरुआत कर चुका है तो वो वाकई दूसरे चैनलों से अलग होगा, इसमें कोई दो राय नहीं लेकिन उन्हें कम से कम अपनी पंचलाइन बदलकर ‘एक उम्मीद’ की जगह ‘सबसे अलग’ रख लेना चाहिए ताकि कोई नाउम्मीद ना हो सके।
लांचिंग पार्टी में एंकरों और न्यूज रीडरों से कैटवाक कराने की खबर पर मीडिया जगत के कुछ दिग्गजों की त्वरित टिप्पणी…
एसएन विनोद (वरिष्ठ पत्रकार, देशोन्नती ग्रुप के समूह संपादक, राष्ट्रप्रकाश के प्रधान संपादक) : ”लांचिंग में हुए कार्यक्रम से सिद्ध हो गया है कि सचमुच इलेक्ट्रानिक मीडिया के कुछ संचालक (कुछ अपवाद छोड़ दें) विजुअल मीडिया की अश्लीलता को अपनाने की दिशा में बढ़ चले हैं जिसके बल बूते पश्चिम के कुछ चैनल टीआरपी बढ़ाते रहते हैं। क्या वाकई हम नेकेड टीवी की ओर बढ़ रहे हैं? अगर ऐसा है तब तो केंद्र सरकार को इस पर हस्तक्षेप करना चाहिए। ऐसी हरकतों के विरुद्ध कार्रवाई करना चाहिए। मैं मांग करता हूं कि एंकरों से कैटवाक कराने वाले चैनल का केंद्र सरकार लाइसेंस कैंसल करे। सरकार अगर ऐसा करती है तो हम इसका स्वागत करेंगे। किसी भी स्थिति में भारतीय मीडिया में, गिरावट के बावजूद, जो कुछ आज अनुकरणीय माना जाता है, उसके चरित्र को पतन की ओर जाते नही देख सकते।”
आलोक तोमर (वरिष्ठ पत्रकार, सीएनईबी न्यूज चैनल के सलाहकार) : ”अखबार, पत्रिका या न्यूज चैनल की लांचिंग के दौरान एंकरों से कैटवाक कराने का कोई तुक नहीं बनता। अगर आप न्यूज के फील्ड में हैं और एंकरों से कैटवाक करवा रहे हैं तो यह अक्षम्य अपराध है। इससे न सिर्फ गलत मिसाल कायम होता है बल्कि प्रबंधन की सोच का भी पता चलता है। एंकर या रिपोर्टर या टीवी जर्नलिस्ट को उसकी बुद्धि के लिए, विवेक के लिए, पत्रकारिता के प्रति निष्ठा के लिए, सूचनाओं के प्रति संवेदनशीलता के लिए जाना जाता है। अगर इनसे कैटवाक ही कराना है तो फिर नेकेड टीवी चलाएं, इतनी भी लाज शर्म क्यों बचा के रखी है।”
एंकरों से रैंप पर कैटवाक कराए जाने की इस घटना पर आप क्या सोच रहे हैं, [email protected] पर अपनी राय मेल करिए। उचित टिप्पणियों को प्रकाशित किया जाएगा। अनुरोध करने पर भेजने वाले का नाम गुप्त रखा जाएगा।