बनारस में कोलअसल विधानसभा सीट पर उप चुनाव हो रहा है। यहां भी पैसे लेकर खबरें छापने का काम धड़ल्ले से हो रहा है, ऐसी जानकारी मिली है। भड़ास4मीडिया के एक पाठक ने ध्यान आकृष्ट कराने के लिए एक मेल भेजा है जिसमें दैनिक जागरण में छपी एक खबर का हवाला दिया गया है। इस खबर में दैनिक जागरण ने चुनाव होने से पहले ही अजय राय को जिता दिया है। हो सकता है कि अजय राय ही जीतें लेकिन चुनाव से पहले उन्हें जीतते दिखाकर दैनिक जागरण किस पत्रकारीय धर्म का निर्वाह कर रहा है, यह समझ से परे है। लोकसभा और विधानसभा चुनावों में खबरों के धंधे के कारण चौतरफा आलोचना झेल चुका यह समूह अब भी अपनी हरकत से बाज नहीं आ रहा है। अगर अजय राय के जीतने वाली खबर पेड न्यूज थी तो इसके आगे-पीछे या दाएं-बाएं यह लिखा जाना चाहिए था कि यह विज्ञापन है। आखिर अपने पाठकों के भरोसे की हत्या कब तक करता रहेगा दैनिक जागरण? झारखंड में जिस तरह प्रभात खबर ने किसी भी तरह के चुनावी विज्ञापन के साथ ‘विज्ञापन’ शब्द लिखने का फैसला किया है, उससे दैनिक जागरण को सबक लेना चाहिए। फिलहाल, आप वो खबर पढ़िए, जिसे दैनिक जागरण, वाराणसी के 6 नवंबर के अंक में प्रकाशित किया गया है…
लोकप्रियता की दौड़ में अजय राय ने बाकियों को पछाड़ा
वाराणसी। विधानसभा उपचुनाव के प्रचार अभियान के अंतिम दौर में निर्दलीय अजय राय को मिल रही लोकप्रियता से साफ हो गया है कि अन्य प्रत्याशी इस दौड़ में काफी पिछड़ चुके हैं। विरोधियों के वोट बैंक में भी उनकी सेंधमारी पूरी गति पर है। कहीं उनको आशीर्वाद देने के लिए दोनों हाथ उठते दिख रहे हैं तो कहीं बढ़कर हाथ मिलानेवालों की भीड़। इसमें हर जाति व तबके के लोग शामिल हैं। ऐसी भीड़ में खुले तौर पर कहा जा रहा है कि ऊपर से कोई भले किसी दल का झंडा थामे घूम रहा है लेकिन उसका जु़ड़ाव तो अजय राय से कहीं न कहीं से अवश्य है। कारण कि तेरह वर्ष के अपने विधायक के कार्यकाल में अजय ने विकास अथवा किसी की मदद करते समय न तो जाति का ध्यान रखा न दलीय बंधन का।
कोलअसला की आबोहवा को किसी राजनीतिक ने अब तक सही तरीके से समझा तो वह सिर्फ अजय ही हैं। सामान्य किसान, श्रमिक हो या प्रबु्द्ध हर किसी का यही कहना है कि विभिन्न दलों के बडे़ नेता हों या प्रदेश सरकार के मंत्री ये चुनाव बाद खोजे नहीं मिलेंगे। इसके विपरीत अजय की सहज उपलब्धता बरकरार रहेगी। ऐसे में राजनीति के नए खिलाड़ियों की होने वाली स्थिति का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। बुजर्गो की राय है कि वे कोई नया प्रयोग करने के बजाय अपना मत उसी अजय राय को देंगे जिसने कोलअसला के विकास को नया आयाम दिया है।
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