प्रिय यशवंत जी, नमस्कार, लगातार आपकी वेबसाइट देखता रहता हूं। आपका प्रयास सराहनीय है। आपने मीडिया की खबर देना शुरू करके एक अच्छा उदाहरण पेश किया है। दरअसल, पानी में रहकर कोई मगर से बैर नहीं करना चाहता लेकिन आपने मीडिया की अनियमितताओं को उजागर करके अच्छा काम किया है। आपने इंदौर पत्रिका समाचार पत्र की एक विवादित खबर को अपनी वेबसाइट पर जगह दी है। आपने यह तो बताया है कि इस से भद्द पत्रिका की पिटी है। यह सच भी है। सच यह भी है कि अन्य सभी हथकंडे अपनकार भी पत्रिका का नुकसान करने में अक्षम रहे अखबारों ने संबंधित व्यक्ति का विज्ञापन छापा। आपने ही लिखा है कि एक अखबार ने तो फ्री में भी विज्ञापन छापा।
कुछ तथ्य और कुछ सवाल..
- जैसे ही पत्रिका को अपनी गलती का एहसास, हुआ पेज एक पर दूसरे ही दिन भूल भी प्रकाशित की।
- यह पत्रिका की इंदौर में पहली भूल थी। जो भ्रमवश हुई मालूम पड़ती है।
- पत्रिका के अभियान ‘जमीन का दर्द’ से इंदौर के भू-माफियाओं और उनको शह देने वालों की जमीन हिली हुई है। यही कारण है कि एक गलती होने पर ऐसा रिएक्शन आया।
- क्या विज्ञापन छापने वाले अखबार उस व्यक्ति की प्रतिष्ठा की खबर भी छापेंगे?
- आप इंदौर के आम लोगों से पूछिएगा कि वह व्यक्ति कितना शरीफ है? और इसे भी छापिएगा?
शेष कुशल
आपका एक शुभेच्छु