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दुख-दर्द

पत्रकारिता में जेबकतरे भी आ गए हैं क्या?

लालू यादव की प्रेस कांफ्रेंस में गई महिला पत्रकार का बैग ले उड़ा : लगता है कि पत्रकारिता में चोर-उचक्के भी शामिल हो गए हैं। अगर ऐसा नहीं है तो कल शाम दिल्ली के ली मेरीडियन होटल में लालू यादव की प्रेस कांफ्रेंस के दौरा एक महिला टीवी जर्नलिस्ट का पूरा बैग ही किसी ने पार न किया होता। ली मेरीडियन कोई ऐसी-वैसी जगह तो है नहीं कि प्रोफेशनल जेबकतरे पहुंच जाएंगे। और अगर लालू यादव जैसे नेता की प्रेस कांफ्रेंस हो तो सुरक्षाकर्मी उन्हीं को अंदर घुसने देंगे जो अपना वाजिब कार्ड व पहचान पत्र वगैरह दिखाएंगे। अगर इस पीसी में किसी महिला पत्रकार का पूरा का पूरा बैग की गायब हो जाए तो हैरत की बात तो है।

लालू यादव की प्रेस कांफ्रेंस में गई महिला पत्रकार का बैग ले उड़ा : लगता है कि पत्रकारिता में चोर-उचक्के भी शामिल हो गए हैं। अगर ऐसा नहीं है तो कल शाम दिल्ली के ली मेरीडियन होटल में लालू यादव की प्रेस कांफ्रेंस के दौरा एक महिला टीवी जर्नलिस्ट का पूरा बैग ही किसी ने पार न किया होता। ली मेरीडियन कोई ऐसी-वैसी जगह तो है नहीं कि प्रोफेशनल जेबकतरे पहुंच जाएंगे। और अगर लालू यादव जैसे नेता की प्रेस कांफ्रेंस हो तो सुरक्षाकर्मी उन्हीं को अंदर घुसने देंगे जो अपना वाजिब कार्ड व पहचान पत्र वगैरह दिखाएंगे। अगर इस पीसी में किसी महिला पत्रकार का पूरा का पूरा बैग की गायब हो जाए तो हैरत की बात तो है।

शक की सुई पीसी में शामिल किसी मीडियाकर्मी की तरफ ही घूमेगी। सूत्रों ने बताया कि महिला पत्रकार के बैग में उनके दो मोबाइल, एटीएम कार्ड, कागजात व नगद रुपये थे। यह कोई पहली घटना नहीं है। करीब साल भर पहले एक और महिला पत्रकार बाइट लेने के चक्कर में अपने मोबाइल फोन से हाथ धो चुकी है। वह महिला पत्रकार शीला दीक्षित की बाइट लेने के लिए भागदौड़ कर रही थी। धक्कामुक्की के दौरान ही किसी ने उसकी जेब से तीन मोबाइलों में से एक मार दिया। महिला पत्रकार के एक हाथ में माइक था और दूसरे में एक मोबाइल। पाकेट में पड़े थे दो मोबाइल।

इस महिला पत्रकार का कहना है कि उसे अंदाजा तो हुआ कि कोई पाकेट में हाथ डाल रहा है लेकिन वहां इतना रश था और बाइट लेने की इतनी जल्दी थी कि मैंने गहराई से ध्यान नहीं दिया और इसी कारण मोबाइल से हाथ धो बैठी। अब सवाल ये है कि अगर इस तरह के प्रेस कांफ्रेंसों में मोबाइल व बैग आदि गायब होने लगे हैं तो इसके पीछे किसका हाथ है? कहीं प्रोफेशनल जेबकतरे तो पत्रकार नहीं बन गए हैं जो मौका मिलते ही अपने हाथ की खुजली मिटाने के लिए दूसरों के पाकेटों व बैगों पर हाथ धरने लगे हैं।

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