देश के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित प्रेस क्लब आफ इंडिया के चुनाव संपन्न हो चुके हैं। सबसे पहले मैं नई टीम को जीत के लिए बधाई देता हूं। मैं अपने बारे में बता दूं। एक न्यूज चैनल में काम करने वाला मैं अदना सा पत्रकार हूं। मैं पहले किसी और शहर में काम करता था। हाल ही में तबादले के बाद दिल्ली आया हूं। यहां के प्रेस क्लब के बारे में मैंने काफी कुछ सुन रखा था। उसे नजदीक से देखने-जानने की बड़ी ख्वाहिश थी। मेरे एक मित्र के माध्यम से ये तमन्ना भी जल्दी पूरी हो गयी।
एक बार मुझे उनके साथ वहां जाने का मौका मिला। वहां पर बड़े पत्रकारों को मौजूद देख कर बहुत खुशी हुई। मुझे लगा की यहां पर वरिष्ठों से कुछ न कुछ अवश्य सीखने को मिलेगा। मैंने क्लब की सदस्यता के बारे में जानने की कोशिश की। जब काउंटर पर बैठे एक व्यक्ति ने मुझे इसकी सदस्यता राशि दस हजार रुपये बतायी तो मैं चौंक गया। मुझे ये समझ में नहीं आया कि आखिर इतनी सदस्यता राशि करने के पीछे क्या कारण है? क्या ये केवल कुलीन पत्रकारों का क्लब है या केवल उन लोगों को क्लब है जिनकी सेलरी लाखों में है?
मुझे ये जानकर बहुत अफसोस हुआ कि जिस भेदभाव के खिलाफ हम लड़ते हैं, जिनके खिलाफ लिखते हैं, जिनके खिलाफ हम आवाज उठाते हैं, उसी भेदभाव का शिकार खुद पत्रकार भी है। यहां भी सामंती और दलित व्यवस्था कायम है। जो बड़े पत्रकार हो गये हैं या जिनके पास बड़ा बैनर है, उनके लिए क्लब के दरवाजे खुले हैं। जो पत्रकार बेचारा है, छोटा है, उसकी कमाई लाखों में न होकर हजारों में है, उसके लिए प्रेस क्लब आफ इंडिया के दरवाजे बंद हैं। आप खुद ही बताएं की कितने ऐसे पत्रकार मित्र हैं जो दस हजार रुपये सदस्यता शुल्क दे सकते हैं?
आम पत्रकारों की आर्थिक स्थिति के बारे में किसी से कुछ छिपा नहीं है। इस बारे में आप भी जानते हैं और हम भी। इसके बावजूद भी मेंबरशिप फी 5000 से बढ़ाकर 10000 रुपये करने का मतलब है कि क्लब अब आर्थिक रुप से संपन्न पत्रकारों को ही अपने यहां जगह देना चाहता है। अधिसंख्य पत्रकारों की तरह मैं भी मध्यमवर्गीय परिवार का हूं। ऐसे में मुझे लगता है कि देश के नामचीन पत्रकारों के साथ बैठने और उनको नजदीक से जानने का मेरा सपना अधूरा ही रह जाएगा।
नए जीते पदाधिकारियों से मेरा विनम्र निवेदन है की कृपया इस क्लब की सदस्यता प्रकिया को आसान बनाएं जिससे मेरे जैसे कई पत्रकार इस प्रतिष्ठित क्लब के मेंबर बन सकें। आप क्लब के भले के लिए कई कार्य करेंगे, उनमें से अगर आप इस मसले पर भी ध्यान दें तो हम जैसे कई पत्रकार आपके आभारी रहेंगे।
लेखक अमित कुमार श्रीवास्तव से [email protected] के जरिए संपर्क किया जा सकता है।