राज्य का नंबर एक अखबार होने का फर्ज निभाने में जुटा प्रभात खबर : झारखंड में कई मिथों को तोड़ने की ओर बढ़ रहा यह अखबार : प्रभात खबर के प्रधान संपादक हरिवंश ने बहुत बड़ा कदम उठाया है। वाकई साहसिक फैसला लिया है। हरिवंश झारखंड विधानसभा चुनाव के समय अखबार के सिर्फ प्रधान संपादक भर नहीं रह गए हैं। वे जन नेता, समाजसेवी, गाइड और शिक्षक-प्रशिक्षक की तरह भी नजर आने लगे हैं। वे राज्य की जनता को जगाने खुद गांव-गांव और शहर-शहर घूमने निकल पड़े हैं। कल वे जमशेदपुर में थे। परसों रांची के कालेज में युवाओं को संबोधित किया था। भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन में फंसे राज्य को पटरी पर लाने के लिए जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से चुनाव के दिनों में नौजवानों को संबोधित करते हुए राज्य के दौरे पर किसी संपादक का निकलना चौंकाने वाली घटना है।
पर यह परिघटना उम्मीद भी बंधाती है कि सुख-सुविधाओं, प्रलोभनों और कुर्सी के गोल चक्कर में घिरे आज के संपादकों के बीच कोई ऐसा भी है जो सब कुछ छोड़-छाड़ कर अपने पाठकों से सीधा संवाद स्थापित करने, अपने पाठकों के मिजाज को जानने निकल पड़ा है। अपनी केबिन त्याग कर और गांव-गिरांव जाकर जन सभाएं करने वाले संपादक बन गए हैं हरिवंश।
किसी भी तरह के चुनावी विज्ञापनों के साथ ‘विज्ञापन’ शब्द छापने और अपने पाठकों को शिक्षित करने गांव-शहर घूमने का काम सिर्फ प्रभात खबर और हरिवंश ही कर सकते हैं।
झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव में प्रभात खबर ने कई मिथों को तोड़ने का ऐलान कर दिया है। पहला मिथ तो यह कि हर अखबार और संपादक चुनाव में सिर्फ खबरों का धंधा करता है। दूसरा मिथ यह कि संपादक का काम सिर्फ अपने एसी कक्ष में रहकर खबरों व धंधे का प्रबंधन करना होता है। तीसरा मिथ यह कि चुनाव मीडिया के लिए सिर्फ रेवेन्यू जनरेट करने व प्रसार बढ़ाने का उत्सव होता है।
प्रभात खबर ने लोकसभा चुनाव में ‘खबरों के धंधे’ के खेल का न सिर्फ पर्दाफाश किया बल्कि खुद इस खेल में किसी भी कीमत पर न पड़ने की घोषणा की और इसे करके दिखाया। झारखंड में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में एक कदम और आगे बढ़ते हुए प्रभात खबर ने इस बार किसी भी तरीके के चुनावी विज्ञापनों के साथ ‘विज्ञापन’ शब्द स्पष्ट तौर पर लिखने का फैसला किया है।
प्रभात खबर प्रबंधन ने भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे झारखंड राज्य को उबारने और विकास की राह पर ले जाने के लिए जनता, बोले तो, पाठकों, बोले तो वोटरों को प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया है। इस बाबत ‘आउट आफ होम’ पब्लिशिटी का बड़ा अभियान लांच किया गया है। इसके तहत होर्डिंग्स, गाड़ियों आदि का सहारा लिया जा रहा है। इस अभियान के लिए कई तरह के नारे, पोस्टर, पंपलेट, पुस्तिका, विज्ञापन आदि तैयार कराए गए हैं।
प्रभात खबर के वाइस प्रेसीडेंट केके गोयनका कहते हैं कि हमने बिजनेस को हमेशा पत्रकारिता के बाद रखा। हमारा मकसद बिजनेस नहीं बल्कि पत्रकारिता है। इसी कारण चुनावी विज्ञापनों को लेने के बारे में आचार संहिता बनाई गई है। कोई भी चुनावी विज्ञापन पाठकों के पास ‘विज्ञापन’ शब्द के साथ पहुंचेगा ताकि पाठक को कंटेंट और विज्ञापन में अंतर-अंतर साफ-साफ पता चल सके। हम अपने पाठकों के भरोसे की हत्या नहीं कर सकते। उनका विश्वास ही हमारे लिए सबसे बड़ा बिजनेस है, सबसे बड़ी उपलब्धि है।
गोयनका बताते हैं कि हमारे प्रधान संपादक हरिवंश इन दिनों झारखंड के कई शहरों और गांवों के दौरे पर हैं। वहां वे जनता से सीधे इंटरेक्ट कर रहे हैं। जनता के सवालों के जवाब दे रहे हैं। युवाओं के मन और मिजाज को टटोलते हुए उनसे भ्रष्टाचार में फंसे झारखंड को विकास के राह पर ले जाने के लिए सोचने का अनुरोध कर रहे हैं।
विधानसभा चुनाव में प्रभात खबर की भूमिका के बारे में केके गोयनका मानते हैं कि यह मौका हम लोगों के लिए झारखंड के असली सवालों को प्रकाश में लाने का और वोटरों को शिक्षित करने का होता है। झारखंड का नंबर एक अखबार होने के नाते हमारी जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। इसीलिए हमने चार गाड़ियों को पूरे प्रदेश के दौरे पर लगा दिया है। इन गाड़ियों के जरिए आम जन को पंपलेट, पुस्तिका आदि दिया जा रहा है। पुस्तिका में जनता को जागरूक करने वाले कई विद्वानों के लेख हैं। जनचेतना अभियान के तहत झारखंड के कोने-कोने में भेजी गईं इन चारों गाड़ियों को चुनाव होने तक सक्रिय रखा जाएगा। पूरे झारखंड में करीब 75 होर्डिंग्स को किराए पर लिया गया है जिन पर जनता को जागरूक करने के लिए कई सवालों को उठाया गया है।
प्रभात खबर ने जिन कुछ सवालों को प्रमुखता से उठाने का फैसला किया है, वे इस विज्ञापन स्लाइड में प्रदर्शित हो रहे हैं-