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सम्मान

डा. प्रमिला के.पी. को ‘देवी शंकर अवस्थी स्मृति सम्मान’

डा. प्रमिलासमकालीन हिंदी आलोचना के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए दिया जाने वाला देवी शंकर अवस्थी स्मृति सम्मान इस बार केरल की प्राध्यापिक एवं पत्रकार प्रमिला के.पी. को उनकी पुस्तक ‘कविता का स्त्रीपक्ष’ पर दिया गया है. डा. प्रमिला को दिया जाने वाला देवी शंकर अवस्थी स्मृति सम्मान पुरस्कार दक्षिण भारत में किसी को पहली बार मिला है. यह पुरस्कार हिंदी के प्रख्यात आलोचक स्वर्गीय डा. देवी शंकर अवस्थी की स्मृति में उनके परिवार द्वारा 1995 से हर वर्ष दिया जा रहा है. अब तक यह सम्मान क्रमशः मदन सोनी, पुरुषोत्तम अग्रवाल, विजय कुमार, सुरेश शर्मा, शभूनाथ, वीरेंद्र यादव, अजय तिवारी, पंकज चतुर्वेदी, अरविंद त्रिपाठी, कृष्ण मोहन, अनिल, ज्योतिष जोशी और प्रणय कृष्ण को मिल चुका है.

डा. प्रमिला

डा. प्रमिलासमकालीन हिंदी आलोचना के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए दिया जाने वाला देवी शंकर अवस्थी स्मृति सम्मान इस बार केरल की प्राध्यापिक एवं पत्रकार प्रमिला के.पी. को उनकी पुस्तक ‘कविता का स्त्रीपक्ष’ पर दिया गया है. डा. प्रमिला को दिया जाने वाला देवी शंकर अवस्थी स्मृति सम्मान पुरस्कार दक्षिण भारत में किसी को पहली बार मिला है. यह पुरस्कार हिंदी के प्रख्यात आलोचक स्वर्गीय डा. देवी शंकर अवस्थी की स्मृति में उनके परिवार द्वारा 1995 से हर वर्ष दिया जा रहा है. अब तक यह सम्मान क्रमशः मदन सोनी, पुरुषोत्तम अग्रवाल, विजय कुमार, सुरेश शर्मा, शभूनाथ, वीरेंद्र यादव, अजय तिवारी, पंकज चतुर्वेदी, अरविंद त्रिपाठी, कृष्ण मोहन, अनिल, ज्योतिष जोशी और प्रणय कृष्ण को मिल चुका है.

सम्मान पुरस्कार की संयोजिका डा. कमलेश अवस्थी ने बताया कि 4 मार्च 2010 को आयोजित बैठक में कृष्णा सोबती, डा. विश्वनाथ त्रिपाठी, डा. चंद्रकांत देवताले, अशोक वाजपेयी एवं मंगलेश डबराल ने सर्वसम्मति से डा. प्रमिला को उनकी पुस्तक कविता का स्त्री पक्ष के लिए पुरस्कार के लिए चुना. निर्णायक समिति ने अपनी अनुशंसा में कहा है कि प्रमिला ने भारतीय जीवन में स्त्री के अस्तित्व और संघर्ष की कविता की कई रूपों में श्रेष्ठ व्याख्या की है. निर्णायक समिति ने पाया कि प्रमिला ने देश के धरातल पर महिलाओं के विविध आयामों, संघर्षों और उनकी नियति पर बड़ी शिद्दत से प्रकाश डाला है. समिति ने पाया कि संपूर्ण भारतीय परिप्रेक्ष्य में नारी स्वतंत्रता और उसके सामाजिक सरोकारों के प्रति समाज कितना कृपण, निर्मम और कृतघ्न है, इसे उकेरने में प्रमिला के.पी. को महारत हासिल है.

युवा आलोचक प्रमिला के.पी. ने अपनी मातृभाषा मलयालम में स्त्री की स्थिति के अलावा हिंदी की कविताओं को आधार बनाकर राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी या हिंदुस्तान की स्त्रियों का आकलन किया है। प्रमिला केरल में आदि गुरु शंकराचार्य के जन्म स्थान कालड़ी में हिंदी की प्राध्यापिका हैं. श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्रों के बीच वे एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में विख्यात हैं. डा. प्रमिला ने पांच पुस्तकें लिखी हैं. प्रमिला को ‘देवी शंकर अवस्थी सम्मान’ 5 अप्रैल को ललित कला अकादमी, रवींद्र भवन, नई दिल्ली के कौस्तुभ सभागार में प्रदान किया जाएगा. सम्मान पुरस्कार समारोह में मुक्ति और आलोचना विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया है जिसमें डा. प्रमिला ‘कविता के स्त्रीपक्ष’ पर बीज व्याख्यान देंगी.  

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0 Comments

  1. Prasannan KP

    March 14, 2010 at 11:44 pm

    All the best wishes for the writter,
    may her litteraray efforts continue and society get benefitted from it

  2. Santosh Alex

    April 7, 2010 at 5:19 am

    My heart felt congratulations for the prestigious award. You have made the malayalam vanitha proud. Regards

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