फिर एक हो गए मीडिया और पुलिस वाले : आंदोलन को निजी स्वार्थों की भेंट चढ़ाने का आरोप : इटावा के सिविल लाइन थानाध्यक्ष व थाने में तैनात मुंशी द्वारा दूरभाष पर पत्रकार से अभद्रता किये जाने का मामला एक सप्ताह तक सुर्खियों में रहने के बाद अन्ततः प्रेस क्लब अध्यक्ष के हस्तक्षेप से निपटाया जा सका. भूख हड़ताल पर पिछले एक सप्ताह से आन्दोलनरत पत्रकार प्रमोद दीक्षित को सीओ सिटी एम.पी. सलोनिया द्वारा जूस पिलाकर भूख हड़ताल समाप्त करवायी गयी. विदित हो कि अभद्रता का आरोप लगा पत्रकार द्वारा भूख हड़ताल किए जाने से पुलिस और पत्रकारों के बीच जो एक सप्ताह से जंग छिड़ी थी.
मामले की जांच कर रहे अपर पुलिस अधीक्षक मनोज सोनकर ने जांच के दौरान पाया कि पत्रकार और पुलिस के बीच जो बवंडर खड़ा हुआ है, वह सिर्फ गलतफहमी के चलते हुआ है. इस संबंध में अपर पुलिस अधीक्षक मनोज सोनकर व प्रेस क्लब के अध्यक्ष रामनरायन गुप्ता के बीच वार्ता हुयी. अपर पुलिस अधीक्षक ने प्रेस क्लब के वयोवृद्ध अध्यक्ष से मामले में अंतिम फैसला देने का अनुरोध किया. अपर पुलिस अधीक्षक का कहना था कि गलतफहमी के कारण पत्रकार ने पुलिस कप्तान के कार्यालय के बाहर वट वृक्ष के नीचे दोषी पुलिस कर्मियों को दंडित किये जाने की मांग को लेकर भूख हड़ताल शुरु कर दी.
पत्रकार की भूख हड़ताल से प्रशासन की नींद हराम हो गयी थी. मीडियाकर्मियों में भी पुलिस की कार्यशैली के प्रति गहरा असंतोष व्याप्त था. अब जब आन्दोलन समाप्त हो गया है तो पुलिस और मीडियाकर्मी गिले-शिकवे भुलाकर पुनः तालमेल स्थापित करने का प्रयास शुरू कर चुके हैं.
उधर, कुछ लोग सवाल खड़ा कर रहे हैं कि प्रमोद दीक्षित ने अपने साथ जिस घटना, अभद्रता का जिक्र किया, वह मुद्दा अचानक कैसे गायब हो गया और कैसे पुलिस-पत्रकारों के बीच समझौता हो गया. इनका कहना है कि दोषियों को दंडित करने की जगह पुलिस ने पत्रकारों के बीच के कुछ बिचौलिए के जरिए मामला रफा-दफा करवा दिया. इस प्रकार एक आंदोलन अंजाम पर पहुंचने की जगह निजी स्वार्थों की भेंट चढ़ गया.
shiv kumar shahjahanpur
June 6, 2010 at 4:06 pm
Bhai koi bhi ladai ladna to peeche kabhi mat hatna. Aur kabhi kisi police ke sipahi se muh mat lagao. seedhe adhikari se baat karo. bhai afsos hai ki is mamle me kisi ke khilaf koi karwahi nahi hui. media a netao se hamesa bachkar rahna. jo bhi karna apne dam par karna
gulshan saifi
June 7, 2010 at 7:04 am
sawal to kei kei khade hote hai par jawab nahi mil pata,
patarkar hadtal par to baith gaye par anjam nahi mil pata,
aakhir kyon?//////////////???????????//