संघ की प्रेस कॉंन्फ्रेंस के दौरान जिस तरह संघ प्रमुख मोहन भागवत बार बार ‘टाईम्स नाऊ’ का नाम ले रहे थे ऐसा लग रहा था कि वो चैनल के ब्रैंड ऐम्बेसेडर है। इस पत्रकार वार्ता पर पूरे देश की नज़र थी की क्या संघ प्रमुख बीजेपी के संकट पर यहां कुछ कहेंगे। यही वजह थी की यहां चाहे प्रिंट हो या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सभी बड़े पत्रकार भी मौजूद थे। अपनी बात को संक्षेप में रखकर संघ प्रमुख ने पत्रकारों के सवाल आमंत्रित किये, यानि यहां वो जानते थे कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी का मुद्दा ही छाया रहने वाला है। लेकिन इन सवालों की जो काट सरसंघचालक ने सोची थी उसका अंदाज़ा शायद इन पत्रकारों को भी नहीं था। बीजेपी की स्थिति पर पूछे गए लगभग हर सवाल के लिए उनके पास एक ही जवाब था। मुझे जो कुछ कहना है मैंने ‘टाइम्स नाउ’ पर कह दिया है।
पहला सवाल स्टार के दीपक चौरसिया जी ने पूछा जिसमें उन्होंने बीजेपी पर उनके ताज़ा बयान के बाद किसी परिवर्तन के मद्देनज़र अपना सवाल रखा। जवाब आया मुझे जो कहना था मैं ‘टाइम्स नाउ’ पर कह चुका हूं। अगला सवाल एनडीटीवी के दिबांग जी ने पूछा। सवाल में वो बहुत कुछ जानना चाहते थे, लेकिन जवाब आया? ठीक समझे आप! मुझे जो कहना है मैं ‘टाइम्स नाऊ’ पर कह चुका हूं। अब स्थिति ये हो गई की जैसे ही वो चैनल का नाम लेते, पत्रकारों से खचाखच भरे संघ दफ़्तर में ठहाके गूंज उठते। लेकिन साथ ही साथ पत्रकारों को ये बात चुभ भी रही थी क्योंकि यहां और भी चैनल थे और एक सामूहिक पत्रकार वार्ता में बार-बार चैनल विशेष का नाम लेना ठीक भी नहीं लग रहा था। आख़िरकार एक पत्रकार ने अपने सवाल के बाद ये भी जोड़ा की आप बार-बार ‘टाइम्स नाऊ’ का ज़िक्र कर रहे है, क्या आप अपनी राष्ट्र भाषा हिन्दी के दर्शकों तक अपनी बात नहीं पहुंचायेंगे, हिन्दी से आप परहेज़ क्यों कर रहे हैं? इस पर मोहन भागवत जी का गोलमोल जवाब आया और उन्होंने कहा कि हिन्दी चैनल पर इंटरव्यू का संयोग नहीं बन पाया, ये काम हमारा प्रचार विभाग देखता है।
लेखक डा. प्रवीण तिवारी लाइव इंडिया न्यूज चैनल में एंकर और प्रोड्यूसर हैं। इनसे संपर्क करने के लिए 09871996116 या [email protected] का सहारा ले सकते हैं।