प्रेस क्लब आफ इंडिया के चुनाव में पुष्पेंद्र और उनका पैनल भले ही जीत गया हो, पर उनके दामन पर लगे दाग इतने गहरे हैं कि उन्हें धुलने में वक्त लग सकता है। वेब मीडिया और ब्लागों के बाद अब तो अखबारों में भी प्रेस क्लब आफ इंडिया के घपलों-घोटालों और अंदरखाने चल रही करतूतों के बारे में विस्तार से लिखा जाने लगा है।
दिल्ली से हाल में ही लांच हुए अखबार ‘हमारा महानगर’ के मेट्रो एडिटर संदीप ठाकुर ने दो भागों में प्रेस क्लब की कथा का वर्णन किया है। पहला भाग आप पढ़ चुके हैं। दूसरा भाग पढ़ने के लिए क्लिक करें- ‘काम’ और ‘जाम’ से अधिक नहीं रह गया है प्रेस क्लब, अगर आपने पहला भाग नहीं पढ़ा है तो उसे पढ़ने के लिए क्लिक करें- ‘खाता न बही, साहब जो कहें सही‘