अमृतसर : दुआ कॉटेज, यू-37, शकरपुर लक्ष्मीनगर, दिल्ली की आलीशान कोठी जिसकी कीमत कम से कम डेढ़ करोड़ रुपए। यह किसी व्यापारी की कोठी नहीं, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति की है, जो ह्यूमन राइट्स की आवाज बुलंद करता है। कोठी में रहना गुनाह नहीं, लेकिन अगर इसे मानवता का खून करके तैयार किया जाए तो अपराध है। ऐसे ही आरोप हैं आल इंडिया ह्यूमन राइट्स एसोसिएशन (एहरा) के अध्यक्ष एमयू दुआ पर। यह आरोप उन्हीं की संस्था के पूर्व वरिष्ठ पदाधिकारियों ने लगाए हैं।
एहरा तथा इसके समानांतर खड़ी हुई अखिल भारतीय ह्यूमन राइट्स आर्गेनाइजेशन (अबहरो) में चल रहे विवाद की अगली कड़ी में खुलासा हुआ है कि दुआ ने ह्यूमन राइट्स के पैसों से यह कोठी खरीदी है। ‘अबहरो’ के प्रांतीय महासचिव राजकुमार खोसला ने आरोप लगाया है कि उनकी टीम ने दिल्ली जाकर उक्त कोठी के बारे में जानकारी एकत्र की है और यह दुआ की है। उनका कहना है कि एहरा विशुद्ध रूप से मानव तथा समाजसेवी संस्था है, मगर अध्यक्ष ने मनमानी करते हुए इसके पैसे का दुरुपयोग किया है। इसका सुबूत उक्त कोठी भी है। खोसला के अनुसार संस्था को निजी बना लिया था और सारे के सारे पदाधिकारियों को लंबे समय से अंधेरे में रख रहे थे। इसके बाद जब आरटीआई से जानकारी ली गई तो कई तरह के स्कैंडल उजागर हुए।
एहरा के उत्तर प्रदेश प्रभारी जयप्रकाश सिंह का कहना है कि उन्होंने लंबे समय तक दुआ के साथ काम किया है। उस दौरान उनके पास दिल्ली स्थित रमेश पार्क की गली नंबर आठ में एक साधारण सा मकान हुआ करता था, लेकिन एकाएक कोठी का बन जाना साबित क रता है कि संस्था के पैसे का दुरुपयोग किया गया है। उन्होंने बताया कि उनके देशभर के सदस्यों तथा पदाधिकारियों ने संस्था के लिए अपने लाखों रुपए खर्च दिए, मगर अध्यक्ष एमयू दुआ ने उनके साथ विश्वासघात किया है। हरियाणा प्रभारी दीवान सिंह के अनुसार अध्यक्ष ने एहरा के नाम पर राजनैतिक पार्टी खड़ी करके उनको चुनाव तक लड़वा दिया और उसमें उनके लाखों रुपए खर्चवा दिए।
वह इस विश्वास से उनके साथ लगे रहे कि देश व समाज सेवा का काम हो रहा है। एहरा के राष्ट्रीय महासचिव विश्वनाथ जगन्नाथ सेठी ने बताया कि दुआ ने उनको महासचिव तो बनाया, मगर आरटीआई में मिली जानकारी में उनका कहीं नाम-जिक्र नहीं है। एहरा के दूसरे राष्ट्रीय महासचिव हवा सिंह तंवर ने आरोप लगाए हैं कि दुआ ने संस्था के नाम पर करोड़ों रुपए का गोलमाल किया है। उनका कहना है कि आरटीआई से मिली जानकारी में खुलासा हुआ है कि दुआ इलैक्टेड अध्यक्ष हैं ही नहीं, उन्होंने खुद को स्थापित किया हुआ है।
मकान मेरा अपना है और 40 साल पुराना है : लक्ष्मीनगर का मकान मेरा अपना है और यह कम से काम 40 साल पुराना है। मैं बता देना चाहता हूं कि मैंने संस्था के लिए पूरी जिंदगी दांव पर लगा दी। आरोप लगाने वाले हवा सिंह तंवर की शह पर काम कर रहे हैं। हवा सिंह पर संस्था का आठ लाख 45 हजार रुपए अभी बकाया है। संस्था के साथ तो फ्राड उन्होंने किया है। – एमयू दुआ अध्यक्ष ‘एहरा’
साभार : दैनिक भास्कर