प्रेस विज्ञप्ति : योग गुरु बाबा रामदेव ने एलान किया है कि वे अगले पांच साल में देश में ऐसा आंदोलन खड़ा कर देंगे, जिससे देश की राजनीतिक तस्वीर बदल जाएगी। बाबा का दावा है कि अपने ‘स्वाभिमान आंदोलन’ के जरिए पांच साल में वो झूठे, बेइमान और भ्रष्ठ नेताओं को कुर्सी से उखाड़ फेकेंगे। न्यूज 24 के मैनेजिंग एडिटर अजीत अंजुम से अपने हरिद्वार स्थित ‘पतंजलि योगपीठ’ में खास बातचीत करते हुए बाबा रामदेव बोले- हमने आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर ली है।
पांच साल के भीतर देश के करीब 6 लाख 38 हजार 365 गांवों तक हमारा आंदोलन खड़ा होगा। 600 जिलों में हमारा काम चालू हो चुका है। करीब 25 फीसदी गांवों तक हम पहुंच चुके हैं। एक वर्ष के भीतर हमारा आंदोलन बुलंदी तक पहुंच जाएगा, दो वर्षों में हमारा आंदोलन शिखर पर होगा और पांच सालों में जलजला आ जाएगा …। रामदेव ने कहा- हमारा आंदोलन भ्रष्ट व्यवस्था, भष्ठ नेता, भष्ट सत्ता के खिलाफ होगा। हमारा काम चरित्र निर्माण और नेतृत्व निर्माण है। देश के लोगों की एक ही इच्छा है कि बाबा रामदेव सीधी राजनीति नहीं करें तो मैं उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए सीधी राजनीति नहीं कर रहा हूं। लेकिन अगर देश के निर्माण और विकास के लिए सड़क पर उतरना पड़े, धरना देना पड़े तो मैं अब उसके लिए भी तैयार हूं। मैं चुनाव के बाद अपने आंदोलन को तेज करूंगा और सड़क से संसद तक आंदोलन करने से परहेज नहीं करुंगा। बाबा ने ये भी कहा कि देश के भ्रष्ठ और बेईमान नेता या अफसर नहीं चाहते कि मैं इस सिस्टम के खिलाफ आवाज उठाऊं तो उनसे कहना है कि मुझे उनकी परवाह नहीं है। बाबा रामदेव ने कहा – मेरा मकसद किसी एक पार्टी का विरोध करना या किसी पार्टी का समर्थन करना नहीं है। देशव्यापी आंदोलन के जरिए मेरा काम देश के भीतर अच्छा चरित्र और अच्छा नेतृत्व पैदा करना है। अच्छे लोगों का वोटबैंक तैयार करना, अच्छे लोगों को जिताना और अच्छे लोगों के हाथ में नेतृत्व सौंपने के लिए मैं काम करुंगा। ये पूछे जाने पर कि योग गुरु होकर आपको सियासत में दखल देने की जरुरत क्या पड़ गई, किसी योग गुरु का सियासत में दखल देना कहां तक सही है, तो बाबा ने कहा – देश को सही रास्ते पर ले जाना संन्यासियों और गुरुओं का ही काम है। इस देश को अंग्रेजों ने जितना नहीं लूटा, उससे ज्यादा भ्रष्ठ नेताओं और अफसरों ने लूटा है। उनके खिलाफ आंदोलन खड़ा करना हमारा काम है। इसके लिए पांच साल की मियाद हमने तय की है। हमारा मानना है अब नहीं तो कभी नहीं।
जब बाबा रामदेव से ये पूछा गया कि क्या आप राजनीतिक सत्ता पर काबिज होना चाहते हैं तो बाबा का कहना था – न मैं कभी एमपी बनूंगा, न मंत्री, न प्रधानमंत्री न राष्ठ्रपति। इस देश का नेतृत्व अच्छे हाथों में जाए, इस देश के सिंहासन पर वो लोग बैठें, जिनके चरित्र राम जैसे हों। इस देश को राजनीतिक दशा और दिशा देने की जरूरत है। ये पूछने पर कि इस भौतिक दुनिया में कहां ऐसे लोग मिलेंगे तो बाबा का कहना था- चरित्र निर्माण करना गुरुओं का काम है। हम चरित्र निर्माण करेंगे। देश की सत्ता पराक्रमी और राष्ठ्रभक्त लोगों के हाथों में सौंपना चाहते हैं। जब उनके पूछा गया कि आपके हिसाब से पराक्रमी और राष्ठ्रभक्त कौन लोग हैं तो उनका कहना था- कई लोग हैं, लेकिन उनका नाम लेने से विवाद होगा और मेरा मकसद पूरा नहीं हो पाएगा।
बाबा रामदेव से जब बार-बार ये पूछा गया कि एक योगी होकर आप किन चक्करों में पड़ गए हैं, जो काम आप करने के दावे कर रहे हैं वो किसी बाबा या योग गुरु का नहीं है तो बाबा कई बार भड़के। नाराज भी हुए। उन्होंने एक बार ये भी कह दिया कि इतिहास उठाकर देख लीजिए जब जब देश को जरुरत हुई है। महर्षि दयानंद और विवेकानंद से लेकर महात्मा गांधी तक ने देश को दिशा दी है। ये पूछने पर कि क्या आप अपने आपको महर्षि दयानंद और विवेकानंद मानते हैं, तो बाबा तल्ख स्वर में बोले – मैं अपने को उनका अनुचर मानता हूं। अपना मूल्यांकन कम करके नहीं आंकता। अगर आप संन्यासी का मतलब ये समझते हैं कि देश लुटता रहे, भ्रष्ट्राचारियों की जमात जनता को खसोटती रहे और मैं चुप रहूं तो ऐसा संन्यासीपन मुझे मंजूर नहीं।
न्यूज 24 से लंबी बातचीत के दौरान बाबा रामदेव ने नेताओं को खूब कोसा यहां तक कह दिया है कि इस देश को सही मायने में आजादी मिली ही नहीं है। लोकतंत्र दरअसल लूटतंत्र है। देश की कृषिनीति से लेकर आर्थिक नीति तक को बाबा ने खारिज करते हुए कहा कि आज तक किसी सरकार ने ठीक ढंग से काम ही नहीं किया। जब उनसे ये पूछा गया कि अगर आजादी के बाद से आज तक किसी सरकार ने काम नहीं किया को बाबा रामदेव के पास क्या फार्मूला है तो बाबा ने कहा हमारे चिंतन में सारे सवालों का जवाब है।
बाबा रामदेव से जब ये पूछा गया कि चाहे बंग्लादेशी घुसपैठियों का मामला हो या फिर वोटिंग अनिवार्य करने का मामला या फिर काले धन का मामला, आप सारे मुद्दे वही उठा रहे हैं, जो बीजेपी का एजेंडा है, तो बाबा का कहना था – हम ये बात पहले से कह रहे हैं, अब अगर वही बात आडवाणी कह रहे हैं तो इसमें गलत क्या है। मैं चाहता हूं कि सोनिया गांधी, शरद पवार, लालू यादव, चंद्रबाबू नायडू तमाम नेता वो काम करें जिससे देश का भला। लेकिन जब उनसे पूछा गया कि सारे बड़े-बड़े नेता वही काम क्यों करें जो बाबा रामदेव चाहते हैं तो बाबा ने तल्खी से कहा – बाबा रामदेव का काम न करें, जनता का काम करें।
कई सवालों पर बाबा खूब चिढ़े। जब उनसे पूछा गया कि राष्ठ्र निर्माण से लेकर चरित्र निर्माण तक सारा काम आपका ही है तो बाकी लोग क्या करेंगे तो बाबा ने साक्षात्कारकर्ता को झिड़कते हुए कहा – आप थोड़ी देर के लिए बंद करिए बाबाशाही … आपने न तो वेद पढ़ा है, न पुराण न मनुस्मृति। चरित्र निर्माण गुरुओं और धर्माचार्यों का काम है, नीतियां बनाना सरकार का काम है लेकिन अगर सरकार नीतियां सही नहीं बनाती है तो उनके खिलाफ आंदोलन करना गुरुओं का काम है। बाबा ने बार-बार कहा कि वो अब चैन से नहीं बैठने वाले हैं और उनका आंदोलन उथल-पुथल कर देगा।
‘बाबा का एजेंडा’ कार्यक्रम न्यूज24 पर बुधवार शाम 6.30 बजे और रात 8 बजे