प्रेस विज्ञप्ति : चुनाव के दौरान जब ज्यादातर अखबार राजनीतिक पार्टियों और नेताओं को पटाकर ज्यादा से ज्यादा पैसा उगाहने के खेल में लगे थे तो कुछ अखबार ऐसे भी थे जो पत्रकारीय धर्म को निभा रहे थे। लखनऊ और इलाहाबाद से प्रकाशित डेली न्यूज एक्टिविस्ट (डीएनए) में 13 मई को श्रवण शुक्ला की एक स्टोरी प्रकाशित हुई है जिसमें यूपी के भ्रष्ट और कुख्यात नौकरशाहों के एक और कारनामे का भंडाफोड़ किया गया। इस खबर के मुताबिक पंचायती राज विभाग के आला अफसरों की मिली भगत से केंद्र सरकार से संपूर्ण स्वच्छता अभियान कार्यक्रम योजना के तहत प्राप्त करोड़ों रुपये की धनराशि बगैर शौचालयों का निर्माण कराए डकार ली गई। स्वच्छता अभियान कार्यक्रम के तहत केंद्र द्वारा ग्राम पंचायतों को प्रति वर्ष निर्मल ग्राम पुरस्कार दिया जाता है।
वर्ष 2008 के पुरस्कार के लिए प्रदेश से 65 जिलों की 729 ग्राम पंचायतों को मानकों के आधार पर चुना गया था। यूपी के 729 ग्राम पंचायतों को दिए गए पुरस्कारों की पोल भारत सरकार के पेयजल आपूर्ति विभाग के सचिव ने खोल दी। उन्होंने प्रदेश सरकार को लिखे पत्र में बताया कि अपात्र होने के बावजूद कई ग्राम पंचायतों को पुरस्कार की संस्तुति की गई तथा उन्हें पुरस्कार भी प्राप्त हो गया। इस पत्र के बाद यूपी के कृषि उत्पादन आयुक्त अनीस अंसारी ने एक आदेश जारी कर जनपदों में सत्यापन के लिए वरिष्ठ अफसरों की टीम गठित कर दी। 60 अफसरों ने 65 जिलों का सघन दौरा किया। प्रारंभिक जांच में 7 जिलों में पुरस्कार पा चुकीं 16 ग्राम पंचायतें अपात्र पाई गईं। सूत्रों के मुताबिक सैकड़ों गांवों में मानक के अनुरूप काम नहीं किया गया है पर उनकी संस्तुति पुरस्कार के लिए कर दी गई थी। सच्चाई जानने के लिए डेली न्यूज एक्टिविस्ट ने राजधानी लखनऊ से मात्र 8 किमी दूर स्थित ग्राम उत्तरधौना का दौरा किया। यहां जो नजारा देखने को मिला वह यह बताने को काफी है कि इन पुरस्कृत ग्राम पंचायतों के चयन में भारी अनियमितता बरती गई थी। गांव की 70 वर्षीय कृष्णा देवी बताती हैं कि उनके घर के आगे के शौचालय का निर्माण उनके द्वारा 10 वर्ष पूर्व कराया गया था।
शौचालय पर लगी पट्टिका इसे पिछले वर्ष का दर्शाती है। कुछ ऐसी ही कहानी बिन्द्रा प्रसाद की है। इसी गांव के दुर्गा प्रसाद तिवारी और प्रमोद कुमार गौतम के यहां तो शौचालय का निर्माण ही नहीं हुआ। रहमतुल्लनिशां के यहां शौचालय का निर्माण तो हुआ लेकिन छत और लेट्रिन सीट गायब है। मोहम्मद नसीम के यहां दीवारें तब खड़ी की गईं जब भारत सरकार और प्रदेश सरकार ने जांच के आदेश दिए। हड़कंप मचने के बाद प्रदेश सरकार ने चंदौली, लखीमपुरखीरी, सिद्धार्थनगर, शाहजहांपुर, बागपत, मुजफ्फरनगर और लखनऊ के जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि वह अपने जिले में पाई गई अपात्र ग्राम पंचायतों को पुरस्कार धनराशि वितरित न कराएं। साथ ही यह भी कहा गया कि अपात्र ग्राम पंचायतों को दिए गए पुरस्कार मोमेंटो तत्काल वापस कराए जाएं। इस पूरे प्रकरण पर पंचायती राज विभाग चुप्पी साधे है। पंचायती राज विभाग के सचिव ताज कारीडोर घोटाले के आरोपी रहे आरके शर्मा हैं। शर्मा ने इस मामले पर कुछ भी टिप्पणी करने से मना कर दिया।
खबर के समर्थन में डीएनए ने तस्वीरें भी प्रकाशित की हैं, जिसमें से एक तस्वीर यहां प्रकाशित की गई है। अफसरों और मंत्रियों की कारगुजारियों का लगातार खुलासा करने वाले डीएनए इसी के चलते कई बार उत्तर प्रदेश सरकार के अनैतिक उत्पीड़न का भी शिकार हुआ लेकिन इस अखबार ने बजाय झुकने के, अपना अभियान और तेज कर दिया है। पिछले दिनों गोविंद पंत राजू और श्रवण शुक्ला के डीएनए का हिस्सा बनने के बाद पोलखोल अभियान में तेजी आ गई है।