हरीश पाठक राष्टीय सहारा, पटना के नए स्थानीय संपादक बनाए गए हैं। आज उन्होंने मुंबई से पटना पहुंचकर अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया। पत्रकारिता में 30 वर्षों के लंबे अनुभव वाले हरीश कई किताब लिख चुके हैं और उन्हें कई तरह के पुरस्कारों से भी नवाजा जा चुका है। वे 1986 से 97 तक दैनिक हिंदुस्तान, भागलपुर के कोआर्डिनेटिंग एडीटर रहे। दिल्ली प्रेस की मैग्जीन मुक्ता में 1978 से 1986 तक संपादक रहे। 1976 से 1978 तक वे स्वदेश, ग्वालियर में संडे सप्लीमेंट और रीजनल न्यूज के इंचार्ज रहे।
इन दिनों वे मुंबई में नवभारत ग्रुप की मैग्जीनों एकता चर्चा (मासिक) और पूर्ण विराम (साप्ताहिक) के संपादक के रूप में काम देख रहे थे। उन्हें उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार और श्री राजेंद्र माथुर मेमोरियल फेलोशिप मिल चुका है। कई टीवी चैनलों के विभिन्न प्रोग्रामों के लिए वे स्क्रिप्ट लिख चुके हैं। सरेआम (फिक्शन), गुम होता आदमी, नाभि में तीर, त्रिकोण के तीनों कोण नाम से लिखी उनकी किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। अपने संजीदा लेखन और तेज-तर्रार शैली के लिए विख्यात हरीश को नई पारी के लिए शुभकामनाएं।