अमर उजाला प्रबंधन ने पंजाब में अखबार का कामकाज ‘कोनसोलिडेट’ करने का फैसला किया है। इसके तहत जालंधर से प्रकाशित होने वाले अमर उजाला के सभी आठ संस्करणों को तत्काल प्रभाव से बंद करने और इनकी जगह एक कामन पंजाब एडीशन प्रकाशित करने का निर्णय लिया गया। यह मास्टर एडीशन छपना शुरू भी हो चुका है। अमर उजाला निदेशकों की नोएडा स्थित कारपोरेट हेडक्वार्टर में शनिवार को हुई बैठक में कई फैसले हुए। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार बैठक में अमर उजाला समूह के बढ़ते घाटे को कम करने और मंदी के दौर में अखबार को नकारात्मक असर से बचाने के लिए कई उपायों पर विस्तार से विचार किया गया।
पंजाब मार्केट में लगभग 10 वर्षों की अति सक्रियता से मिले नतीजों पर भी गहराई से विचार किया गया। इस मार्केट में घाटे के कारोबार और प्रसार के लिए गलाकाट होड़ को देखते हुए यहां की ‘जंग’ से बाहर रहने का फैसला किया गया। पंजाब में कामकाज सीमित करने पर सहमति बनी। इसी के तहत निर्णय लिया गया कि जालंधर से सभी आठ एडीशनों का प्रकाशन तुरंत बंद कर दिया जाए। ये आठ एडीशन हैं- भटिंडा, फिरोजपुर, पटियाला, होशियारपुर-रुपनगर, गुरुदासपुर-पठानकोट, अमृतसर, लुधियाना और जालंधर।
अब केवल एक एडीशन, जो पंजाब एडीशन कहा जाएगा, प्रकाशित होगा। सूत्रों के मुताबिक इसका प्रकाशन पंचकूला से करने का फैसला लिया गया है। मतलब, अमर उजाला अब जालंधर से सब कुछ खत्म करने जा रहा है। जालंधर समेत पंजाब के हर जिले में केवल एक प्रतिनिधि रहेगा। पंचकूला से अभी तक अमर उजाला का चंडीगढ़ संस्करण प्रकाशित होता है। अमर उजाला अब पंचकूला से दो एडीशन प्रकाशित करेगा, एक- पंजाब एडीशन और दूसरा- चंडीगढ़ के लिए सिटी एडीशन। इस बड़े फैसले की जानकारी अमर उजाला, जालंधर के स्थानीय संपादक निशीथ जोशी समेत अमर उजाला ग्रुप के सभी उच्चाधिकारियों को दे दी गई है। फैसले पर तुरंत अमल करने के आदेश भी दिए गए। इसी के तहत जालंधर से आज केवल एक ही कामन व मास्टर एडीशन प्रकाशित कर उसे पूरे पंजाब में वितरित किया गया।
कामधाम सीमित करने के फैसले के बाद अमर उजाला प्रबंधन ने पंजाब के अपने स्टाफ को भी एडजस्ट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। ज्यादातर पत्रकारों और कर्मचारियों का तबादला किया जा रहा है। खुद निशीथ जोशी को भी अब जालंधर से जाना होगा। सूत्रों का कहना है कि रीटेनर और ट्रेनी कर्मचारियों को अनिश्चितकाल के लिए छुट्टी पर भेज दिया गया है। जितने भी परमानेंट इंप्लाई हैं, उन्हें अमर उजाला के यूपी के संस्करणों में एडजस्ट कराया जा रहा है।
सूत्रों का कहना है कि मंदी की मार से अखबार को बचाने के लिए कास्ट कटिंग से संबंधित एक मेल अमर उजाला के सभी प्रभारियों और यूनिट हेड को पहले ही भेजा जा चुका है। खर्चे कम करने उर्फ कास्ट कटिंग की कवायद दैनिक जागरण और दैनिक भास्कर समेत लगभग सभी बड़े अखबारों ने की है। पर अलाभकारी संस्करणों के बंद करने जैसा कठोर निर्णय अमर उजाला को ही लेना पड़ रहा है।
उल्लेखनीय है कि इसके पहले अमर उजाला ने गाजियाबाद से प्रकाशित होने वाले अपने सेकेंड ब्रांड कांपैक्ट के प्रकाशन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया। अमर उजाला से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी का नाम न छापने की शर्त पर कहना है कि यह सारी कवायद कोनसोलिडेशन की प्रक्रिया का पार्ट है। यह प्रक्रिया जारी रहेगी। इसके तहते आगे कुछ और कड़े निर्णय लिए जा सकते हैं।