कई शहरों से निकल रहे दोपहर के टैबलायड अखबार डीएलए से जुड़ी तीन खबरें हैं। पहली और सबसे बड़ी खबर है इस अखबार के कई संस्करणों के सैकड़ों मीडियाकर्मियों से इस्तीफे लिखवाए जाने की। दूसरी खबर इस अखबार के नोएडा और दिल्ली संस्करण के जल्द लांच होने की। तीसरी खबर डीएलए ग्रुप द्वारा आगरा के एक पुराने अखबार विकासशील भारत के टेकओवर की। अब सभी खबरें डिटेल में। भड़ास4मीडिया को सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार डीएलए प्रबंधन ने कई संस्करणों में कार्यरत सैकड़ों कर्मियों से इस्तीफे लिखवाकर आगरा स्थित मुख्यालय में मंगवा लिया है। सीनियर-जूनियर सभी से एक साथ इस्तीफे लिखवाए जाने से हड़कंप मचा हुआ है। अपनी नौकरी की सलामती को लेकर सभी एक दूसरे से खैर-खबर लेते फिर रहे हैं। कई लोग तो दूसरी जगहों पर नौकरी तलाशना भी शुरू कर चुके हैं।
एक साथ सबसे इस्तीफा लेने के पीछे प्रबंधन की तरफ से शुरू में कहा गया कि ऐसा सिर्फ तकनीकी कारणों से किया जा रहा है, इससे नौकरी पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। इस सफाई के बावजूद डीएलएकर्मियों के होश उड़े हुए हैं। भड़ास4मीडिया ने मामले की जब तहकीकात की तो पता चला कि डीएलए प्रबंधन ने ऐसा एक रणनीति के तहत किया है। बताया जाता है कि विकासशील भारत नामक अखबार का डीएलए ग्रुप द्वारा टेकओवर किए जाने के बाद अब इसे पाक्षिक मैग्जीन के रूप में री-लांच करने की योजना है। डीएलए के नोएडा और दिल्ली संस्करण भी लांच किए जाने वाले हैं। ऐसे में डीएलए के कई कर्मचारियों का तबादला और समायोजन इन नए प्रोजेक्टों में किया जा सकता है। प्रबंधन की कोशिश है कि एडवांस में इस्तीफे लेकर मीडियाकर्मियों पर दबाव बनाया जा सके ताकि नए प्रोजेक्ट में शिफ्ट होने/ ट्रांसफर किए जाने को लेकर कोई कर्मचारी किसी तरह दिक्कत न पैदा करे। अगर किसी को कोई ऐतराज होता है तो उनके इस्तीफे स्वीकार कर लिए जाएंगे। इस प्रकार बिना किसी लफड़े के कार्यमुक्त किए जा सकेंगे।
सूत्रों का कहना है कि डीएलए प्रबंधन परफार्म न कर पाने वाले कई लोगों से मुक्ति भी चाहता है, इसीलिए सभी से एडवांस में इस्तीफे ले लिए गए। अब ‘पिक एंड चूज’ की पालिसी के तहत एक-एक कर गाज गिराई जाएगी। सूत्रों का कहना है कि दो तिहाई से ज्यादा स्टाफ की नौकरी सुरक्षित है, उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। यह सब दबाव बनाए रखने की प्रक्रिया का पार्ट है। हां, सतर्क उन्हें हो जाना चाहिए जो अपने काम को ठीक से अंजाम नहीं दे पा रहे या टारगेट एचीव नहीं कर पा रहे। संभव है, ऐसे लोगों के बारे में कह दिया जाए कि मंदी की आंधी इन्हें उड़ा ले गई।
जो भी हो, प्रबंधन की इस हरकत से डीएलए से जुड़े कर्मी आहत हैं। कुछ लोग इसे दिल-दिमाग तोड़कर रख देने वाली बड़ी दुर्घटना बताते हैं तो कुछ इसे भावुकता व भरोसे की हत्या कहते हैं। ज्ञात हो कि डीएलए समूह के चेयरमैन अजय अग्रवाल हैं जो कभी अमर उजाला के निदेशकों में से एक हुआ करते थे। जब अमर उजाला के मालिकों के बीच जंग छिड़ी तो अजय अग्रवाल को अपना हिस्सा लेकर अलग होना पड़ा था। उन्होंने इस पूंजी के जरिए और अपनी मेधा व मेहनत के दम पर डीएलए ग्रुप खड़ा करने में कामयाबी हासिल की। आगरा से शुरू हुआ दोपहर का यह अखबार आज कई रिकार्डों के साथ कई शहरों में फल-फूल रहा है। आगरा में इस ग्रुप का अंग्रेजी दैनिक भी निकलता है, डीएलए एएम नाम से।
मंदी की इस आंधी में जब बड़े-बड़े मीडिया हाउस अपने हाथ-पैर सिकोड़ने में लगे हैं, प्रोजेक्टों को कैंसिल करने में जुटे हैं, खर्चे घटाने के लिए एडीशन तक समेटने में सक्रिय हैं, डीएलए समूह विस्तार अभियान में जुटा हुआ है। यह संकेत है कि यह नया ग्रुप पाजिटिव एनर्जी से भरा हुआ है। खबर है कि डीएलए समूह इसी माह नोएडा और दिल्ली में अपना नया एडीशन लांच करने जा रहा है। इसके लिए नोएडा में आफिस ले लिया गया है। नियुक्तियां चल रही हैं। संपादक के तौर पर वरिष्ठ पत्रकार बीरेंद्र सेंगर की तैनाती हो चुकी है।
डीएलए समूह ने आगरा के एक पुराने व प्रतिष्ठित नाम ‘विकासशील भारत’ का अधिग्रहण कर लिया है। सूत्रों का कहना है कि ‘विकासशील भारत’ के आईएनएस स्थित आफिस को अब डीएलए के आफिस में तब्दील कर दिया गया है। ‘विकासशाल भारत’ को डीएलए ग्रुप एक पाक्षिक मैग्जीन के रूप में लांच करने जा रहा है। यह मैग्जीन मुख्य तौर पर गांवों, कस्बों, उप नगरों की संस्कृति, सरोकार, जीवन पर आधारित होगी। मैग्जीन की री-लांचिंग के लिए अलग एडीटोरियल व मार्केटिंग टीम के गठन का काम जारी है। उम्मीद कर सकते हैं कि डीएलए समूह के हर प्रोजेक्ट की तरह यह प्रोजेक्ट भी सफलता की ओर बढ़ चलेगा।