करीब पौने तीन करोड़ की आबादी वाले पंजाब में हिंदी अखबार नंबर वन बनने के लिए किस कदर लड़ रहे हैं, पानी की तरह पैसा बहा रहे हैं, सरकुलेशन बढ़ाने के लिए अखबार की कापी पाठक की बजाय रद्दी वाले के पास पहुंचने के लिए मजबूर कर रहे हैं, इसकी एक बानगी यहां पेश है। पंजाब में दैनिक जागरण और दैनिक भास्कर, दो बड़े हिंदी अखबार हर हाल में ज्यादा से ज्यादा पाठक बनाने के लिए अभियान चलाए हुए हैं। इनकी लड़ाई में मजे ले रहा है पाठक और उन तक अखबार पहुंचाने वाला हाकर।
अखबारों ने प्रसार बढ़ाने के लिए जो योजनाएं शुरू की हैं, वो इस कदर आकर्षक हैं कि पाठक तो पाठक, हाकर के मुंह में पानी आ जा रहा है। नौबत यह है कि हाकर खुद ही 300 से 400 अखबार अपने नाम बुक करवा कर कमाई कर रहे हैं। यह आकर्षक स्कीम है क्या?
जालंधर शहर में दैनिक जागरण को पछाड़ने के लिए दैनिक भास्कर ने पिछले साल एक स्कीम शुरू की। इसके तहत 2 साल तक अखबार पढ़ने के लिए पाठक से 365 रुपये वसूल किए। मतलब, पाठक को रोजाना अखबार की कीमत 50 पैसे पड़ी। पाठक से एक बार इकट्ठे 365 रुपये वसूलने के बाद अखबार को पाठक तक पहुंचाने के लिए हाकर को बतौर कमीशन 22 रुपये दिए गए। यानि यदि एक हाकर 36500 रुपये का निवेश कर के खुद का 100 अखबार दो साल के लिए बुक करता है तो तो उसे न सिर्फ 2200 रुपये प्रति महीने के हिसाब से 52800 रुपए कमीशन मिलेगा बल्कि रोजाना 100 अखबार की रद्दी भी बेचने को मिलेगी। यह करीब सात किलो बनती है।
मतलब, महीने में अंदाजन 200 किलो रद्दी जो कि 1400 रुपये की बनती है। मतलब, सिर्फ रद्दी-रद्दी से ही दो साल में 33600 रुपये की कमाई हो गई। इसका मतलब यह हुआ कि हाकर को 2 साल में 36500 रुपये खर्च करके करीब 86400 हजार रुपये की कमाई हो जाती है। इस तरह वह 49900 रुपये मुनाफे में रहा। मतलब, लगभग पचास हजार रुपये का मुनाफा।
देखा आपने, कैसी है सरकुलेशन की गणित ! और किस तरह एक-एक हाकर 400-400 अखबार पढ़ कर लाखों रुपये कमा रहे हैं !!
दैनिक भास्कर ने दावा किया है कि जालंधर जैसे शहर में उसने एक लाख कॉपी बुक कर ली है। अब इस बात का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है की इसमें से कितना अखबार पाठकों के पास पहुंचता है और कितना रद्दी वालों के पास। जालंधर में करीब 200 हाकर हैं और इनमें से ज्यादातर हाकरों ने खुद की अखबार बुक करवाई हुई है। अब यही हाल लुधियाना में दैनिक जागरण का हो रहा है। दैनिक जागरण ने लुधियाना में 145 रुपये में साल भर के लिए अखबार बुक करने की स्कीम शुरू की है। इसी तरह की एक साल या दो साल की स्कीमें दैनिक जागरण व दैनिक भास्कर ने पंजाब के जालंधर, लुधियाना, अमृतसर आदि शहरों में शुरू की हुई है। इसके पीछे एक ही मकसद है ज्यादा से ज्यादा प्रसार दिखाकर नंबर वन बनना। इस जंग में कई वर्षों तक सक्रिय रहे अमर उजाला ने अब हार मान ली है और यहां से अपना डेरा-डंडा उठाने की घोषणा कर दी है।
अब लड़ाई त्रिकोणीय की बजाय द्विपक्षीय हो गई है। और ये जो दोनों पक्ष हैं, बेहद मजबूत हैं। दैनिक भास्कर और दैनिक जागरण दोनों बड़े ग्रुप हैं। दोनों हार नहीं मानने वाले हैं। इनके बीच है पंजाब केसरी जो हमेशा से पंजाबियों के दिलों पर राज करता रहा है। उसने किसी स्कीम या किसी जंग के पचड़े में पड़ने की बजाय दो रुपये में ही अखबार देने की जिद पकड़ रखी है, लेना है तो लो या चलते बनो। और, इस अखबार के जो पाठक हैं, वो इसे छोड़कर कहीं और जाने के लिए तैयार नहीं हो रहे। हालांकि हिंदी अखबारों के आने व इनके बीच जंग छिड़ने से पंजाब केसरी पर भी असर पड़ा है लेकिन इस अखबार की जड़ें यहां इतनी मजबूत हैं कि वो हिलाए नहीं हिल रही।
लेखक यशवंत सिंह हिंदी मीडिया की खबरों के नंबर वन पोर्टल भड़ास4मीडिया के एडीटर हैं। उनसे संपर्क के लिए आप उन्हें [email protected] पर मेल कर सकते हैं या 09999330099 पर फोन कर सकते हैं।