दैनिक जागरण, मुजफ्फरपुर एडिशन का इंचार्ज आलोक मिश्रा को बनाया गया है. धीरेंद्र श्रीवास्तव के इस्तीफे को प्रबंधन ने मंजूर करते हुए पटना में पदस्थ आलोक को काम संभालने के लिए भेज दिया गया है. आलोक इसके पहले जमशेदपुर के प्रभारी हुआ करते थे पर किन्हीं विवादों की वजह से उन्हें पटना बुला लिया गया था. दैनिक जागरण, नोएडा में एडिट पेज पर सेकेंड इंचार्ज के रूप में काम कर रहे मनीष तिवारी का तबादला कानपुर किया गया है.
अमर उजाला से भी कुछ लोगों के तबादले की खबर है. कानपुर से संजय शर्मा को बनारस भेजा गया है जबकि बनारस से भास्कर राय को लखनऊ भेजा गया है. संजय डिप्टी न्यूज एडिटर हैं जबकि भास्कर सीनियर सब एडिटर. कानपुर में ही तैनात दीपक यादव को उन्नाव भेजा गया है.
archi agrwal
February 9, 2010 at 7:11 am
श्री धीरेन्द्र जी, भड़ास पर पढ़ा कि आपने दैनिक जागरण से इस्तीफा दे दिया। सन्नाटे में आना तय था। आप चैनल में जा रहे हैं, सो नई पारी के लिए धन्यवाद। जागरण जैसे बड़ा अखबार की सोच इतनी संकुचित है। इसे भी जानने का अवसर मिला। हमारे परिवार में दैनिक जागरण की अस्सी प्रतियां आती हैं। आपका जाना ठीक उसी तरह लगा जैसे घर बनाने वाला ही घर छोड़कर चला गया हो। वर्ष २००६ की घटना आपके जाने का सुनकर ही ताजा हो गया। आपका फलाहार कार्यक्रम, जिसमें सभी वर्ग के लोग एक साथ और एक पांत में बैठकर फल खाते थे। अब कौन इस कार्यक्रम को आगे बढाएगा। इस कार्यक्रम के जरिए आपने कई दुश्मनों को दोस्त बना दिया। उत्तर बिहार के सभी जिले के लोगों ने इस कार्यक्रम को अपना लिया था। कार्यक्रम के समय सभी लोग आपकी बाट जोहते थे। ऐसा लगता था कि आप आएंगे, आपके बैठने पर ही कार्यक्रम शुरू हो। नवरात्र के समय में हर दिन सैकड़ों जगहों पर यह कार्यक्रम होता था। धीरेन्द्र श्रीवास्तव जी, इस साल भी उत्तर बिहार में आपको यह कार्यक्रम कराना होगा। उत्तर प्रदेश के होकर भी आप बिहारी हो गए थे। जिस जिले में आप जाते थे वहीं के होकर रह जाते थे। आपकी नई पारी शुरू होने के बाद सभी को इंतजार है कि नया चैनल के संपादक होकर भी आप इस कार्यक्रम को आगे बढाए। अब तो आपका क्षेत्र भी बड़ा हो गया है। ऐसे में पूरे भारत में आप इस कार्यक्रम को शुरू करवाकर यादगार बना दे। यही गुजारिश है। आपका मोबाइल स्विच ऑफ रहने से बात नहीं हो सकी। आपका जाना दैनिक जागरण प्रबंधन को भारी पड़ेगा। ऐसा लगता है कि बड़े अखबार को भी ऐसा ही संपादक चाहिए जो उसकी अंगुलियों पर नाच सके। जाहिर है कि आप वैसा नहीं करते होंगे। आप की प्रतिभा को उत्तर बिहार के लोगों ने देखा है, आप जहां भी रहेंगे चमकते दिखेंगे। दुख है, गम है, परंतु आप सूरज की तरह चमकते रहे। यही दुआ है।
harish singh
February 13, 2010 at 1:39 pm
dainik jagran patrakar nahi gulam rakhna chahta hai. maine teen saal kam karke dekha hai. yahan pratibhao ki nahi pair choone walon ki kimat hai.