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आदित्य दिल्ली के चीफ रिपोर्टर नहीं रहेंगे

दिल्ली पर सबसे लंबे समय तक चीफ रिपोर्टर के रूप में राज करने वाले आदित्य अवस्थी को नए शहर के लिए रवाना कर दिया गया है। आदित्य अवस्थी टाइम्स ग्रुप के सांध्य हिंदी दैनिक ‘सांध्य टाइम्स’ के दिल्ली में चीफ रिपोर्टर हुआ करते थे। वे पिछले ढाई दशक से चीफ रिपोर्टर के रूप में कार्यरत थे। अब उन्हें रांची शहर में नवभारत टाइम्स के संवाददाता के रूप में काम करने के लिए कह दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक आदित्य अवस्थी सांध्य टाइम्स के चीफ रिपोर्टर 1994 में बने थे और तबसे लगातार इस पद पर विराजमान रहे। सूत्रों का कहना है कि आदित्य को रांची भेजने का मतलब एक तरह से पनिशमेंट है लेकिन प्रबंधन ने ऐसा निर्णय क्यों लिया, यह अभी तक मालूम नहीं हो सका है। अभी यह भी तय नहीं है कि आदित्य अवस्थी रांची जाकर ज्वाइन करेंगे भी या नहीं, लेकिन यह सच है कि दिल्ली में सांध्य टाइम्स का मतलब आदित्य अवस्थी माना जाता रहा है।

रमाकांत गोस्वामी, एआर विग और लखनपाल भी रहे हैं लंबे समय तक चीफ रिपोर्टर

दिल्ली पर सबसे लंबे समय तक चीफ रिपोर्टर के रूप में राज करने वाले आदित्य अवस्थी को नए शहर के लिए रवाना कर दिया गया है। आदित्य अवस्थी टाइम्स ग्रुप के सांध्य हिंदी दैनिक ‘सांध्य टाइम्स’ के दिल्ली में चीफ रिपोर्टर हुआ करते थे। वे पिछले ढाई दशक से चीफ रिपोर्टर के रूप में कार्यरत थे। अब उन्हें रांची शहर में नवभारत टाइम्स के संवाददाता के रूप में काम करने के लिए कह दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक आदित्य अवस्थी सांध्य टाइम्स के चीफ रिपोर्टर 1994 में बने थे और तबसे लगातार इस पद पर विराजमान रहे। सूत्रों का कहना है कि आदित्य को रांची भेजने का मतलब एक तरह से पनिशमेंट है लेकिन प्रबंधन ने ऐसा निर्णय क्यों लिया, यह अभी तक मालूम नहीं हो सका है। अभी यह भी तय नहीं है कि आदित्य अवस्थी रांची जाकर ज्वाइन करेंगे भी या नहीं, लेकिन यह सच है कि दिल्ली में सांध्य टाइम्स का मतलब आदित्य अवस्थी माना जाता रहा है।

रमाकांत गोस्वामी, एआर विग और लखनपाल भी रहे हैं लंबे समय तक चीफ रिपोर्टर

दिल्ली में लंबे समय तक चीफ रिपोर्टर के रूप में राज करने का जिक्र चला है तो यहां तीन अन्य पत्रकारों का नाम लेना अनुचित न होगा। रमाकांत गोस्वामी, जो आजकल दिल्ली के एक विधानसभा सीट से विधायक हैं, दैनिक हिंदुस्तान के चीफ रिपोर्टर के रूप में लंबे समय तक पारी खेल चुके हैं। बताया जाता है कि वे करीब दो से ढाई दशक तक चीफ रिपोर्टर रहे और विधायक बनने के बाद भी कई महीनों तक हिंदुस्तान से तनख्वाह लेते रहे। वे चीफ रिपोर्टर रहते हुए संसदीय सचिव भी बने।

इसी तरह नाम आता है एआर विग का। एआर विग हिंदुस्तान टाइम्स के ढाई से तीन दशक तक चीफ रिपोर्टर रहे। उन्हें बेहद धाकड़ चीफ रिपोर्टरों में से माना जाता रहा है। विग साहब फिलहाल रिटायर हो चुके हैं लेकिन वे जब तक हिंदुस्तान टाइम्स में रहे, चीफ रिपोर्टर की कुर्सी पर विराजमान रहे। जब चीफ रिपोर्टर के पद का नाम मेट्रो एडिटर कर दिया गया तब भी वे मेट्रो एडिटर के रूप में चीफ रिपोर्टरी करते रहे। विग प्रेस क्लब की राजनीति में सक्रिय रूप से हिस्सा लेते रहे। वे प्रेस क्लब के कई बार अध्यक्ष भी रहे। कहा जाता है कि किसी काम के लिए कमिश्नर से एप्रोच करने की जगह विग साहब के पास अर्जी लेकर जाते थे।

एक अन्य चीफ रिपोर्टर रहे लखनपाल। लखनपाल का देहांत इसी साल हार्ट अटैक से हुआ। लखनपाल पंजाब केसरी के चीफ रिपोर्टर हुआ करते थे और वे भी करीब डेढ़ से दो दशक तक इस कुर्सी पर विराजमान रहे।

वैसे, कहने वाले यह भी कहते हैं कि चीफ रिपोर्टर पद पर लंबे समय तक बने रहने में पत्रकार की प्रतिभा कम, प्रबंधन का समर्थन ज्यादा जरूरी होता है क्योंकि प्रबंधन के कई प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष समस्याओं के हल का माध्यम चीफ रिपोर्टर ही बनता है। जो जितने प्रभावशाली तरीके से प्रबंधन की दिक्कतों का निदान प्रदान  करा पाता है, साथ ही साथ बेहतर अखबार निकालने में टीम के जरिए बेहतरीन कंटेंट मुहैया करा पाता है, वो उतना ही टिकाऊ चीफ रिपोर्टर साबित होता है।

मतलब, चीफ रिपोर्टर पद पर बने रहने के लिए व्यक्तित्व का बहुमुखी होना, व्यक्तित्व में लोच होना, सिक्स्थ सेंस का मजबूत होना, फील्ड में बेहतर संपर्क-संबंध होना, प्रभावशाली व्यक्तित्व होना, हर हाल में खबर निकाल लेने की क्षमता होने के साथ ही प्रबंधन का भरोसा कायम रख पाना अनिवार्य होता है।

आदित्य अवस्थी के रांची तबादले के मामले में माना यही जा रहा है कि सब कुछ ठीक था पर प्रबंधन का भरोसा किन्हीं वजहों से खत्म होने लगा था।

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