देश की आर्थिक राजधानी कहलाने वाली मुंबई से प्रकाशित हिंदी के दो दैनिक समाचारपत्रों की पिछले एक पखवाड़े के दौरान अकाल मौत हो गई जिसमें “हिंदमाता” और “उत्तर भूमि” का नाम शामिल है। इसमें एक ऐसा टेबलाइड अखबार शामिल है जो प्रकाशन संख्या के मामले में शहर के सबसे बड़े प्रकाशक माने जाते हैं और इस समय हिंदी, मराठी, तमिल, तेलुगु में इसके लगभग 6 दैनिक समाचारपत्र प्रकाशित होते हैं। हालांकि समाचारपत्र के कर्मचारियों को अभी हटाया नहीं गया है लेकिन कर्मचारियों को यह बात पूरी तरह पता है कि अब उसका चूल्हा चौका बंद हो चुका है और उन्हें दूसरी नौकरी ढूंढ लेनी चाहिए। जानकारी के मुताबिक “हिंदमाता” के प्रकाशक प्रवीण मुरलीधर शिंगोटे हैं।
श्री अंबिका प्रिंटर्स एण्ड पब्लिकेशन उनका एक ऐसा प्रकाशन समूह है जहां से हिंदमाता के अलावा दैनिक यशोभूमि, मुंबई चौफेर, पुण्य नगरी, मुंबई तमिल आइम्स, कर्नाटक मल्ला 6 समाचारपत्र प्रकाशित होते हैं और उसकी प्रसारण संख्या भी लाखों में है। बताया जाता है कि पिछले छह वर्षों से हिंदमाता प्रकाशित हो रहा था लेकिन हाल के दिनों में इसकी प्रसार संख्या काफी गिरावट आ गई थी। घाटे में चलने के कारण प्रबंधन ने इस समाचारपत्र को बंद करने का फैसला किया है। इसके संपादक मधुराज मधु और समाचारपत्र के लगभग दो दर्जन कर्मचारियों को प्रकाशन समूह के दूसरे समाचारपत्र “दैनिक यशोभूमि” में रखा गया है लेकिन इससे कर्मचारियों में असंतोष व्याप्त है और उन्हें नौकरी जाने का खतरा बना हुआ है। हिंदमाता के संपादक मधुराज मधु के लिए तो और भी असमंजस की स्थिति है क्योंकि दैनिक यशोभूमि के संपादक आनंद राज्यवर्धन पहले से हैं ऐसे में मधुराज मधु उनके अधीन काम नहीं कर सकते अर्थात एक जंगल में दो शेर नहीं रह सकते।
उसी प्रकार लगभग तीन वर्षों से कुर्ला से प्रकाशित “उत्तर भूमि” के अचानक बंद होने से दर्जनों कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं। समाचारपत्र के प्रारंभ होने के बाद इसके मालिक एच.आर.बी. यादव ने कई प्रकार के परिवर्तन किए और समाचारपत्र को सुधारने का प्रयास किया लेकिन बात नहीं बनी। नए-नए पत्रकार बने दर्जनों लोगों के लिए फिलहाल कोई नया प्रकाशन प्रारंभ होने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है। समाचारपत्र के एक कर्मचारी का कहना है कि समाचारपत्र की आर्थिक स्थिति चरमराने के कारण यहां कोई अच्छे कार्यकारी संपादक का आना भी असंभव था। इंटरनेट की खबरों के भरोसे चलने वाले इस समाचारपत्र के अंशकालीन संवाददाताओं को भी मुआवजा नहीं मिल पा रहा था जिससे उनमें असंतोष व्याप्त था। सूत्रों के मुताबिक वित्तीय संकट के कारण समाचारपत्र पर कई प्रिंटर्स के लाखों रुपए बकाया है जिससे उबरने इसके मालिक को वक्त लग सकता है।
मुंबई से आफताब आलम की रिपोर्ट