योग्य संपादक की तलाश शुरू : कई संपादकों से बातचीत : पत्रिका ग्रुप अगले कुछ महीनों में दिल्ली से अपना संस्करण शुरू करने की योजना बना चुका है। उच्च पदस्थ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पत्रिका प्रबंधन ने दिल्ली संस्करण के संपादक के लिए किसी जाने-माने नाम की तलाश शुरू कर दी है। साथ ही, ग्रुप से जुड़े अपने विश्वस्त लोगों को दिल्ली संस्करण की लांचिंग के लिए दिल्ली रवाना करना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में पिछले दिनों जयपुर के रेजीडेंट एडिटर हरेंद्र बगवाड़ा और इंदौर के रेजीडेंट एडिटर रह चुके पंकज मुकाती का तबादला दिल्ली के लिए कर दिया गया। इन दोनों ने ज्वाइन भी कर लिया है। पत्रिका प्रबंधन दिल्ली संस्करण की अहमियत को देखते हुए इस काम को जल्द से जल्द पूरा कर लेना चाहता है। भास्कर और नई दुनिया के नक्शेकदम पर चलते हुए पत्रिका समूह दिल्ली के लिए किसी मजबूत पत्रकार को जोड़ना चाहता है जो पत्रिका की ब्रांड इमेज मजबूत बनाने के साथ समूह के बाहर-भीतर के उम्मीदों-आकांक्षाओं को भी सहजता से पूरा करा सके। पत्रिका के पास फिलहाल अभी कोई बड़ा नाम नहीं है। ले-देकर भुवनेश जैन हैं जो जयपुर में बैठते हैं।
वे पत्रिका के सभी संस्करणों के रोजाना के कामकाज को देखने के अलावा स्टाफ की भर्ती का काम भी करते हैं। विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पत्रिका प्रबंधन पिछले एक वर्ष से दिल्ली संस्करण के संपादक के लिए कई संपादकों से बातचीत कर चुका है। माना जा रहा है कि मधुकर उपाध्याय पत्रिका के साथ जुड़ सकते हैं। इन दिनों मधुकर उपाध्याय के पत्रिका समूह ज्वाइन करने की चर्चा भी जोरों पर है। भड़ास4मीडिया ने मधुकर उपाध्याय से जब पत्रिका ग्रुप ज्वाइन करने के संबंध में चल रही चर्चाओं के बारे में पूछा तो उन्होंने इसे बेसिर-पैर का करार दिया और कहा कि वे पत्रिका के साथ नहीं जा रहे हैं। वे आज समाज, दिल्ली में अपने दायित्व को निभा रहे हैं और निभाते रहेंगे। उधर, पत्रिका समूह के लोगों ने मधुकर उपाध्याय के पत्रिका ज्वाइन करने की चर्चाओं को खारिज किया। पर सूत्रों का कहना है कि आज समाज को लांच कराने वाले इसके प्रधान संपादक मधुकर उपाध्याय की आज समाज अखबार में आंतरिक स्थिति थोड़ी कमजोर हुई है। अखबार के मार्केट न पकड़ पाने और कई तरह की आंतरिक दिक्कतों की वजह से मधुकर के ‘आज समाज’ से जाने की चर्चाएं व अफवाह कई बार उड़ाई गई। पर ये अफवाह हर बार गलत साबित हुई। पत्रिका के साथ उनके जुड़ने की अफवाह भी गलत है या सही, यह तो वक्त बताएगा पर पत्रकारिता के शरीफ, विनम्र, विद्वान और मिलनसार शख्सियत मधुकर उपाध्याय आधुनिक पत्रकारिता के दंद-फंद को कितने दिनों तक झेल पाएंगे, यह गारंटी से कुछ कहा नहीं जा सकता। संपादक जो भी बने, पर इतना तो तय है कि पत्रिका के दिल्ली संस्करण के लांच होने से कई दर्जन मीडियाकर्मियों को नौकरी मिल जाएगी। मंदी और बेकारी के इस आलम में पत्रिका के दिल्ली संस्करण के आने का हर मीडियाकर्मी को स्वागत करना चाहिए।