नोएडा में हुई खुली बैठक में प्रबंधन ने कहा- समझो इशारे : सहारा ग्रुप के टीवी चैनलों के बाद अब अखबारों-पत्रिकाओं में बड़े पैमाने पर छंटनी का दौर शुरू होने वाला है। या यूं कहिए की शुरू हो चुका है। उच्च पदस्थ सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रबंधन हिंदी और उर्दू दैनिकों समेत विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में काम करने वालों की विभिन्न स्तरों पर स्क्रीनिंग करा रहा है। इस बाबत पर्सनल और एचआर की टीमें विभागीय वरिष्ठों के सहयोग से सेलरी, जाब प्रोफाइल, इनपुट, आउटपुट आदि पर माथापच्ची कर रही हैं।
छंटनी के दायरे में सभी विभाग रखे गए हैं। माना जा रहा है कि 100 से लेकर दो सौ लोगों को बाहर किया जा सकता है। ऐसा नहीं कि ये लोग अतिरिक्त हैं। प्रबंधन परफारमेंस का दायरा बढ़ाते हुए पुराने व सहारा के कल्चर में रंग चुके, काम की बजाय दूसरे नियम-कानूनों पर ज्यादा ध्यान देने वाले लोगों पर विशेष रूप से शिकंजा कसना चाहता है। पिछले दिनों सहारा के नोएडा स्थित आफिस में राष्ट्रीय सहारा अखबार से जुड़े लोगों की एक ओपन मीटिंग हुई। इसमें सहारा के प्रिंट मीडिया को देख रहे अनिल अब्राहम, राजीव सक्सेना, स्वतंत्र मिश्रा, रणविजय सिंह, विजय कौल, विनोत रतूड़ी आदि वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। बैठक में काफी कुछ बातें हुईं लेकिन जो साफ संदेश सबको दिया गया वह यह कि अब भी वक्त है, सुधर जाओ अन्यथा जाने के लिए तैयार रहो। कहा गया कि सहारा 18 साल का हो गया। यह ग्रुप, यह अखबार वयस्क हो चुका है। बहुत पानी बह चुका है। समझदारी दिखाइए। सुधरिए नहीं तो ठीक नहीं होगा।
एचआर के लोगों ने कहा कि काम करने वाले अपनी जिम्मेदारियों को समझें और अपनी गरिमा बनाए रखें। कई ऐसी हरकतें देखने को मिलती हैं, जो किसी भी आफिस में उचित नहीं माना जाता। इसी बैठक में विजय कौल को यूनिट हेड के रूप में इंट्रोड्यूस किया गया। मीटिंग की मजेदार बात यह रही कि अंग्रेजी दां अनिल अब्राहम हिंदी में बोले तो विजय कौल अंग्रेजी में बोलने से बाज नहीं आए। सूत्रों के मुताबिक सहारा प्रबंधन पत्र-पत्रिकाओं की टीम को ज्यादा सुगठित, आधुनिक और कुशल बनाने के लिए प्रयास कर रहा है। इसीलिए धीरे-धीरे ज्यादा सेलरी पाने वाले पुराने लोगों की छंटनी-छुट्टी की तैयारी की जा रही है। इनकी जगह दूसरे अखबारों से युवा व प्रतिभावान मीडियाकर्मियों को लाने की कवायद चल रही है। इसकी प्रक्रिया शुरू भी की जा चुकी है। छंटनी व भर्ती के काम को धीरे-धीरे व क्रमशः करने की योजना है ताकि इस पर ज्यादा हो-हल्ला न हो सके।
राष्ट्रीय सहारा, पटना में कार्यरत एक कर्मी ने भड़ास4मीडिया के पास जो मेल भेजा है, उससे भी जाहिर है कि अंदरखाने काफी कुछ चल रहा है। माहौल प्रोफेशनल बनाने की कोशिश की जा रही है। काम न करने वालों से काम लेने के लिए उन पर नकेल कसने की तैयारी की जा रही है। जाहिर है, इन स्थितियों में कई लोगों को दुख-दर्द होगा ही, जैसा कि इस पत्र से जाहिर है-
‘राष्ट्रीय सहारा पटना में इन दिनों छंटनी का दौर शुरू हो गया है। छंटनी के लिए नये-नये नियम लागू हो रहे हैं। एक खबर छूटने पर रिपोर्टरों को तीन दिनों के लिए निलंबित किया जा रहा है। इतना ही नहीं, निलंबन अवधि की वेतन भी काटी जा रही है। इसके अलावा माह में दस खबर छूटने पर बर्खास्त करने का भी आदेश जारी कर दिया गया है। इस बीच शुक्रवार की देर शाम कार्यालय में हुई मीटिंग में एक अजूबा फैसला सुनाए जाने के बाद रिपोर्टरों ने हंगामा शुरू कर दिया। रिपोर्टरों को एक फॉरमेट दिया गया है। इस फारमेट में उनका नाम, विभाग तथा संबंधित बीट के अधिकारियों का नंबर देने को कहा गया है। संपादक हरीश पाठक तथा समाचार संपादक सरोज सिंह ने रिपोर्टरों से कहा है कि नोएडा आफिस द्वारा इस फॉरमेट को रिपोर्टरों से भरवा कर भेजने को कहा गया है। रिपोर्टरों से लिए जा रहे नंबरों पर प्रतिदिन अधिकारी संपर्क कर पूछेंगे कि संबंधित रिपोर्टर उनके पास जाता है या नहीं। इस फैसले के बाद रिपोर्टरों में गहरा आक्रोश है। रिपोर्टरों का कहना है कि जिन अधिकारी के खिलाफ उन्होंने खबरें लिखी हैं, वे तो सहारा के अधिकारी को यही बताएंगे कि रिपोर्टर पैसे की डिमांड करता है या फिर कभी नहीं आता है। इससे पूर्व एक सप्ताह के अंदर तीन रिपोर्टरों तथा एक फोटोग्राफर को निलंबित किए जाने को लेकर भी रिपोर्टरों और फोटोग्राफरों में गुस्सा है। उधर मालूम हुआ है कि नोएडा से पहुंची पर्सनल सेक्शन की टीम ने पटना ऑफिस में छंटनी का आदेश दिया है। इसी कारण प्रबंधन यह पैंतरा अपना रहा है। विज्ञापन विभाग के एक सीनियर से इस्तीफा लिखवाया जाना छंटनी का हिस्सा ही माना जा रहा है।’
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