उत्तराखंड के अल्मोड़ा की यह लड़की, रचना वर्मा, सात वर्षों से दिल्ली में हिंदी पत्रकारिता में सक्रिय है। वे इन 7 वर्षों में 5 मीडिया हाउसों के साथ कम या ज्यादा वक्त गुजार चुकी हैं। इन दिनों एक टीवी न्यूज चैनल में कार्यरत हैं। माता-पिता से मिले संस्कारों के चलते रचना कहीं भी कुछ गलत होता देखती हैं तो उसे बर्दाश्त नहीं कर पातीं। उसके खिलाफ खुलकर आवाज उठाती हैं। इन दिनों वे अपने ब्लाग पर अपने पत्रकारीय जीवन के अनुभवों पर लिख रही हैं। शुरुआत दैनिक हिंदुस्तान से की है।
उन्होंने बेलाग-बेबाक तरीके से वो सब कुछ लिखा है जो महसूस किया, अनुभव किया और देखा-जाना। रचना के पिता नवीन चंद्र वर्मा ‘बंजारा’ अल्मोड़ा के जाने-माने लोगों में से हैं। स्कल्पचर, पेंटिंग, कविता में सिद्धहस्त पिता नवीन नगर पालिका परिषद, अल्मोड़ा के चेयरमैन भी रहे। पिता को किसी भी गलत चीज के खिलाफ खुलकर लड़ते हुए रचना ने बचपन से देखा है। माता इंद्रा वर्मा काउंसिलर रही हैं और जन समस्याओं के खिलाफ सिस्टम से लड़ती रही हैं। सुशिक्षित माता-पिता की चार बेटियों में सबसे बड़ी रचना अपने परिवार की जुझारू और जनसरोकारों के साथ जीने वाली परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए अपनी मर्जी से पत्रकारिता में आईं। कुमाऊँ विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन करने के बाद रचना ने दिल्ली में पत्रकारिता की शिक्षा ली। अमर उजाला, दैनिक भास्कर, हिंदुस्तान के अलावा थोड़े वक्त के लिए नवभारत टाइम्स में रहीं। हर जगह वे अपनी प्रतिभा और मेहनत के बल पर पहुंचीं लेकिन हर बार उन्हें महसूस हुआ पत्रकारिता की अंदर की दुनिया वैसी नहीं है, जैसा वो सोच कर आईं थीं। यहां बहुत कुछ ऐसा होता है जिसे नए लड़के-लड़कियां बिलकुल नहीं जानते।
रचना भड़ास4मीडिया से बातचीत में कहती हैं- ”मीडिया में कितना कुछ गलत होता है, इसे इसके अंदर रहते हुए मैंने जाना-समझा और भुगता है। प्रतिभा और मेहनत की सुनवाई नहीं है। मैने चापलूसी और खेमेबाजी के बल पर ही लोगों को आगे बढ़ते देखा है। अपने अनुभवों और अपनी सोच को ब्लाग पर उतार रही हूं। मैंने वही लिखा है जिसे मैं सच मानती हूं। मेरे लिखे से कई लोगों को तकलीफ हो रही है लेकिन सही चीज कहने से कभी नहीं हिचकूंगी। सच बोलने-लिखने से आखिर क्यों डरें हम ! मैंने जो कुछ लिखा है, उस पर कायम हूं और रहूंगी। मैं अपने लिखे को किसी भी मंच पर कहने और दुहराने के लिए तैयार हूं।”
अपने ब्लाग पर रचना ने जो प्रोफाइल बनाया है उसमें पसंदीदा किताबों में ‘गोदान’, ‘चरित्रहीन’, ‘टेल मी द ट्रुथ’, ‘ए ब्रिज फॉरएवर’ का नाम दर्ज है। खुद के बारे में बस इतना लिखा है- हजार राहें जो मुड़के देखीं कहीं से कोई सदा ना आई….
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रचना वर्मा से संपर्क [email protected] के जरिए किया जा सकता है।