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मैग्जीन का आदमी अखबार का प्रधान संपादक बना

राज चेंगप्पाइंडिया टुडे वाले राज चेंगप्पा अगले महीने ट्रिब्यून के प्रधान संपादक की कुर्सी संभालेंगे : ट्रिब्यून के नए संपादक की खोज पूरी हो गई है. इंडिया टुडे वाले राज चेंगप्पा एचके दुआ द्वारा खाली की गई कुर्सी पर बैठेंगे. चेंगप्पा इंडिया टुडे के साथ करीब तीन दशक से हैं. कई पुरस्कार पा चुके चेंगप्पा भारतीय परमाणु हथियारों पर सबसे ज्यादा बिकने वाली किताब ‘वेपन्स ऑफ पीस : द सीक्रेट स्टोरी आफ इंडियाज क्वेस्ट टू बी ए न्यूक्लियर पावर’ के लेखक भी हैं. इस दिनों वे पीएम की इनवायरमेंट कौंसिल के सदस्य के रूप में भी कार्यरत हैं. राज चेंगप्पा मार्च महीने में ट्रिव्यून के प्रधान संपादक का पद संभालेंगे. उल्लेखनीय है कि राज्यसभा में मनोनीत किए जाने के बाद एचके दुआ ने पिछले दिनों इस्तीफा दे दिया था.

राज चेंगप्पा

राज चेंगप्पाइंडिया टुडे वाले राज चेंगप्पा अगले महीने ट्रिब्यून के प्रधान संपादक की कुर्सी संभालेंगे : ट्रिब्यून के नए संपादक की खोज पूरी हो गई है. इंडिया टुडे वाले राज चेंगप्पा एचके दुआ द्वारा खाली की गई कुर्सी पर बैठेंगे. चेंगप्पा इंडिया टुडे के साथ करीब तीन दशक से हैं. कई पुरस्कार पा चुके चेंगप्पा भारतीय परमाणु हथियारों पर सबसे ज्यादा बिकने वाली किताब ‘वेपन्स ऑफ पीस : द सीक्रेट स्टोरी आफ इंडियाज क्वेस्ट टू बी ए न्यूक्लियर पावर’ के लेखक भी हैं. इस दिनों वे पीएम की इनवायरमेंट कौंसिल के सदस्य के रूप में भी कार्यरत हैं. राज चेंगप्पा मार्च महीने में ट्रिव्यून के प्रधान संपादक का पद संभालेंगे. उल्लेखनीय है कि राज्यसभा में मनोनीत किए जाने के बाद एचके दुआ ने पिछले दिनों इस्तीफा दे दिया था.

इसके बाद नए संपादक के पद के लिए ट्रिब्यून के अंदर और बाहर जमकर लाबिंग हुई. कई नाम चर्चा में आते और जाते रहे. पर राज चेंगप्पा को नियुक्त कर प्रबंधन ने संकेत दे दिया है कि ट्रिव्यून के लोगों को बेहद प्रोफेशनल व्यक्ति के साथ काम करना होगा और खुद को नए जमाने के हिसाब से अपडेट रखना पड़ेगा. हालांकि कई लोग राज चेंगप्पा के मैग्जीन वाला आदमी होने के कारण दबी जुबान से आलोचना भी कर रहे हैं कि वे अखबार का काम कैसे कर-करा पाएंगे. इनका कहना है कि चेंगप्पा का करियर का ज्यादातर वक्त मैग्जीन में बीता है. अखबार रोज प्रकाशित होने वाली चीज है. ऐसे में उनका और अखबारकर्मियों का माइंडसेट कैसे एक हो सकता है.

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0 Comments

  1. jkiuiu

    March 11, 2010 at 12:39 am

    gfhghgfh

  2. पंकज झा.

    February 15, 2010 at 12:10 pm

    वाह क्या बात है…अब एक नयी परिभाषा भी पता चली कि तीस वर्षों से पत्रकारिता का अनुभव रखने वाला आदमी अखबार के लिए अनुपयुक्त हो गया. वैसे तो इस खबर का शीर्षक ही अजीब है… गोया ये कहा जाय कि तेल बेचने वाला आदमी फारसी का विद्वान हो गया! भाई साहब पत्रकारिता तो पत्रकारिता है…इसमें अखबार और पत्रिका का विभेद कहाँ से आ गया…ये दोनों तो प्रिंट की ही विधा है…यहाँ तो इलेक्ट्रोनिक से प्रिंट में (और इसका उलटा भी) जा कर भी लोग सफल होते हैं..असली सवाल है कार्यकुशलता और न्यूज वेल्यू का..किसी का मूल्यांकन पत्रकारिता में केवल इसी आधार पर किया जाना चाहिए.

  3. mahaveer

    February 15, 2010 at 12:50 pm

    pahle bhi nagar nigam ka safai karmi bana patrakar… wali khabar publish ki thi.

  4. yogita

    February 16, 2010 at 1:58 am

    Kam to babu hamesha se hame hi karna hai , sampadak bhale hi koi ho jaye. Sampadak do tarah khote hai, pahle wo jo motivate karte hai aur dusre wo jo gottiya fit karte hai. Par kaam karne wale sampadak vilupt hone ke kagar par hai. dont worry , are bhaiya all is well

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