कई नामी लोगों के पीछे पड़ा है ‘सत्ता चक्र’ नामक एक ब्लाग : महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी के महामना मदन मोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान के प्रोफेसर राममोहन पाठक इन दिनों कई विवादों में घिर गए हैं। उन पर कई तरह के आरोप लग रहे हैं। मंदिर पर कब्जा करने की साजिश रचने, मूर्ति चोरी की कोशिश करने और झूठे शपथपत्र के आधार पर पीएचडी फिर नौकरी पाने जैसे आरोपों के बारे में एक ब्लाग ने विस्तार से सूचनाएं प्रकाशित की हैं। ब्लाग का नाम है ‘सत्ता चक्र’।
इस ब्लाग पर यह कहीं जिक्र नहीं है कि ब्लाग का माडरेटर कौन है। सीएनईबी पर चलने वाले ‘चोरगुरु’ प्रोग्राम के लगभग प्रत्येक एपिसोड के खुलासों का यहां विस्तार से जिक्र किया गया है। इस ब्लाग के संचालक का नाम-पता-ठिकाना-परिचय भले ही ब्लाग पर न दिया गया हो लेकिन ब्लाग पर प्रकाशित पोस्टों को देख-पढ़ कर स्पष्ट हो जाता है कि कोई ठीकठाक किस्म के बुजुर्ग प्राणी इसका संचालन कर रहे हैं। वे बुजुर्गवार खुद को पर्दे के पीछे रखते हुए कई ‘दुश्मनों’ से अपना गोल सेटल करने में जुटे हैं, ऐसा प्रतीत होता है। इस ब्लाग की कुछ पोस्टों में कुछ लोगों के खिलाफ बेहद निजी किस्म की, घटिया भी कह सकते हैं, टिप्पणियां की गई हैं।
वैसे, वेब और ब्लाग ने यह सहूलियत (?) तो दे ही दी है कि आप जिसे चाहो, जी भर गरिया लो, कोई कुछ न बिगाड़ेगा। सामने वाला बहुत ताकतवर हुआ तो रिपोर्ट दर्ज करा देगा, पुलिस से डरवा देगा पर अगर पीछे वाला भी ताकतवर निकला तो वह काउंटर रिपोर्ट दर्ज करवाएगा और पुलिस को उल्टे पांव लौट जाने के लिए मजबूर कर देगा। कोई शरीफ आदमी किसी कुंठित किस्म के ब्लाग-वेब माडरेटर की निजी खुन्नस का शिकार बन गया तो वह सिवाय जार-जार रोने या चुप बैठ जाने के, और कुछ न कर सकेगा। और यह सब कुछ होता है बेचारे ‘सच’ के नाम से… कि…. हम सबसे बड़ा, अहम और अब तक हर तरफ से छिपा-दबा-ढका ‘सच’ बताने जा रहे हैं… किस्म-मार्का-टाइप आह्वान के बाद….।
खैर, हम लोग बात कर रहे थे ‘सत्ता चक्र’ नामक एक ब्लाग की। इस ब्लाग के कंटेंट से आप सहमत दिखते हैं या असहमत, यह आपकी मर्जी है पर एक बात तो है। इस ब्लाग के कई पोस्टों में तो आरोपों के समर्थन में ढेर सारे तथ्य व क्रमवार प्रमाण व विवरण दिए गए हैं। जाहिर है, इन्हें बहुत आसानी से खारिज भी नहीं किया जा सकता। कुछ न कुछ तो बात है। ‘सत्ता चक्र’ ब्लाग की ढेर सारी पोस्टों को पढ़ने के बाद पता चलता है कि यह कई नामी-गुमनामी लोगों के पीछे हाथ धोकर पड़ा हुआ है जिनमें प्रमुख हैं विभूति नारायण राय, शंभूनाथ सिंह, प्रो. राम मोहन पाठक आदि। फिलहाल यहां प्रो. राम मोहन पाठक के संबंध में ‘सत्ता चक्र’ ब्लाग पर प्रकाशित पोस्टों के लिंक दिए जा रहे हैं जिसे क्लिक कर प्रो. राम मोहन पाठक पर लगे आरोपों और उसके समर्थन में दिए गए प्रमाणों का अध्ययन-अवलोकन कर सकते हैं। अगर आपको आरोपों में दम लगे या न लगे, तो उन्हीं पोस्टों पर दिए गए कमेंट आप्शन में आप अपने ‘सच’ मार्का खुलासे का मुजाहिरा कर सकते हैं।
प्रो. राम मोहन पाठक पर मूर्तिचोरी का आरोप?
क्या प्रो. राम मोहन पाठक ने शपथ पत्र में सच नहीं लिखा है?