Connect with us

Hi, what are you looking for?

इंटरव्यू

मलिन बस्ती का मीडिया मुगल

[caption id="attachment_16700" align="alignleft" width="162"]रवि सुबैयारवि सुबैया[/caption]शारीरिक अपंगता और विपन्नता के बावजूद रवि सुबैया ने मीडिया जगत में अपनी पहचान बनाई है : शुक्रवार को पड़ने वाले महीने का तेरहवां दिन अशुभ माना जाता है और इसे ‘ब्लैक फ्राइडे’ के रूप में भी मनाया जाता है। नटार रवि सुबैया का जन्म ‘ब्लैक फ्राइडे’ यानी 13 जनवरी 1969 को ही एक गरीब दक्षिण भारतीय परिवार में हुआ जो उस वक्त मुंबई की सबसे बड़ी मलिन बस्ती धारावी में रहता था। पर सुबैया का जन्म परिवार के लिए सौभाग्यशाली साबित हुआ क्योंकि उनके पिता को स्थायी नौकरी मिल गयी। लेकिन यह खुशी उस समय गम में बदल गयी जब सुबैया पोलियो का शिकार हो गये। उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। मुंबई के हाजी अली स्थित इस अस्पताल में उनके अलावा 24 बच्चे भी भर्ती थे।

रवि सुबैया

रवि सुबैया

रवि सुबैया

शारीरिक अपंगता और विपन्नता के बावजूद रवि सुबैया ने मीडिया जगत में अपनी पहचान बनाई है : शुक्रवार को पड़ने वाले महीने का तेरहवां दिन अशुभ माना जाता है और इसे ‘ब्लैक फ्राइडे’ के रूप में भी मनाया जाता है। नटार रवि सुबैया का जन्म ‘ब्लैक फ्राइडे’ यानी 13 जनवरी 1969 को ही एक गरीब दक्षिण भारतीय परिवार में हुआ जो उस वक्त मुंबई की सबसे बड़ी मलिन बस्ती धारावी में रहता था। पर सुबैया का जन्म परिवार के लिए सौभाग्यशाली साबित हुआ क्योंकि उनके पिता को स्थायी नौकरी मिल गयी। लेकिन यह खुशी उस समय गम में बदल गयी जब सुबैया पोलियो का शिकार हो गये। उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। मुंबई के हाजी अली स्थित इस अस्पताल में उनके अलावा 24 बच्चे भी भर्ती थे।

लेकिन नसीब ने सुबैया का साथ दिया। पोलियोग्रस्त 25 बच्चों में सिर्फ वे ही जीवित बच पाये। पोलियो की वजह से उन्हें दोनों पैर गंवाने पड़े और कुछ समय के लिए गूंगेपन और बहरेपन का भी शिकार होना पड़ा। कहते हैं कि इंसान में अगर इच्छाशक्ति हो तो वह बड़ी से बड़ी बाधाओं को भी पार कर अपना लक्ष्य हासिल कर लेता है। सुबैया ऐसे ही इंसान हैं जिन्होंने प्रतिकूल परिस्थितियों को अपने अनुकूल बनाकर सफलता की नयी इबारत लिखी है। शारीरिक रूप से अशक्त और घोर गरीबी में पले-बढ़े सुबैया आज नवी मुंबई के सबसे बड़े केबल नेटवर्क एसएसवी केबल प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक और नवी मुंबई टेलीविजन (एनएमटीवी) के प्रबंध निदेशक-सह-मुख्य संपादक हैं।

रवि सुबैया पुरस्कार ग्रहण करते हुए.

होश संभालते ही सुबैया को जीवन की कठोर और कटु सचाइयों का एहसास होने लगा। उन्हें पग-पग पर अपमान और तिरस्कार का सामना करना पड़ता था। लेकिन इन कटु अनुभवों ने सुबैया को विचलित करने की बजाय आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने शिक्षा और मेहनत के जरिए जीवन की चुनौतियों का सामना करने की ठानी। अपने परिवार की निरंतर आय के लिए उन्होंने अपने छात्र जीवन की शुरुआत में ही ट्यूशन पढ़ाना आरंभ कर दिया। इस क्रम में उनका छुटपन अस्तित्व के लिए संघर्ष की भेंट चढ़ गया।

लेकिन दूसरों को पढ़ाने वाले सुबैया के लिए अपनी ही पढ़ाई एक बड़ी चुनौती बन गयी। बारहवीं पास करने के बाद वे विज्ञान की पढ़ाई करना चाहते थे। कॉलेज में आवेदन भी किया पर उन्हें यह कहकर इससे वंचित कर दिया गया कि उनकी शारीरिक स्थिति प्रयोगशालाओं में लंबे समय तक खड़े रहने और कार्य करने के लायक नहीं है। कोई विकल्प न रहने के कारण सुबैया को वाणिज्य विषय का चयन करना पड़ा। रवि सुबैया अपने न्यूज चैनल पर जनता के मुद्दों पर नेता से बातचीत करते हुए.

उन्होंने वाशी स्थित रैयत शिक्षण संस्थान के मॉडर्न कॉलेज में दाखिला लिया और प्रथम श्रेणी से परीक्षा उत्तीर्ण की। वर्षों के संघर्ष और परिश्रम ने उन्हें जुझारू और साहसी बना दिया। उनके अंदर अब नौकरी करने की बजाय उद्यमी बनने की चाहत हिलोरे लेने लगी। दरअसल, वे अपना व्यवसाय खड़ा कर जरूरतमंद और वंचित लोगों के लिए रोजगार पैदा करना चाहते थे। इसी मकसद से उन्होंने 1987 में केबल टीवी के व्यवसाय में कदम रखा। केबल टीवी का व्यापार उस वक्त काफी असंगठित था। छोटे से छोटे केबल संचालकों को भी अंडरवर्ल्ड की धमकियों, राजनेताओं के दबावों आदि का सामना करना पड़ता था। लेकिन धुन के पक्के सुबैया ने इस सबकी परवाह नहीं की और इस नये व्यवसाय में तन-मन-धन से जुट गये। उन्हें परिजनों और मित्रजनों का भी सहयोग मिलने लगा। उनका व्यवसाय चल निकला और आज उनकी कंपनी एसएसबी केबल प्राइवेट लिमिटेड नवी मुंबई का सबसे बड़ा केबल नेटवर्क है।

सुबैया ने केबल व्यवसाय में कैसे प्रवेश किया? इसके जवाब में वे कहते हैं, ‘मैं क्रिकेट का बहुत बड़ा फैन था। सन् 1987 में भारत-आस्ट्रेलिया के मैच का प्रसारण देखने के लिए मैं केबल कनेक्शन लेना चाहता था। पर सभी केबल संचालक इसके लिए काफी पैसा मांगने लगे और उन्होंने मुझे कनेक्शन देने से भी इनकार कर दिया। नतीजतन, मैंने केबल संचालक बनने का मन बना लिया और यहीं से इस क्षेत्र में मेरी व्यावसायिक यात्रा शुरू हो गयी।’ केबल व्यवसाय में धाक जमाने के बाद उन्होंने मीडिया की दुनिया में कदम रखने का मन बनाया। इसके पीछे उनका उद्देश्य जनता की आवाज बनना था। उनकी यह आकांक्षा नवी मुंबई टेलीविजन (एनएमटीवी) के रूप में सामने आयी। शुरुआत में उन्होंने आधे घंटे की वीडियो न्यूज मैगजीन का प्रसारण किया। फिर धीरे-धीरे कार्यक्रम का दायरा बढ़ा।

आज एनएमटीवी 24 घंटे तक चलने वाला एक लोकप्रिय स्थानीय चैनल है। यह चैनल अंग्रेजी, हिंदी और मराठी में समाचारों का प्रसारण करता है। सुबैया कहते हैं, ‘एनएमटीवी सनसनी के लिए नहीं, बल्कि समाधान के लिए है। मैं इसे जनता की अभिव्यक्ति का सशक्त और विश्वस्त माध्यम बनाना चाहता हूं। यह चैनल लोगों को ज्ञान और सूचना देने के साथ-साथ उनमें मानवीय गुणों को भी विकसित करना चाहता है।’

सुबैया के नेतृत्व में एनएमटीवी ने जनता के मुद्दे और समस्याओं को प्रमुखता से उठाया है। नतीजतन यह चैनल स्थानीय स्तर पर काफी लोकप्रिय हो चुका है। एनएमटीवी को राज्य सरकार से भी मान्यता मिली हुई है। सुबैया अब एनएमटीवी को एक ऐसा सैटेलाइट चैनल बनाना चाहते हैं जिस पर स्थानीय समस्याओं और मुद्दों को कारगर ढंग से उठाया जा सके। उनका मानना है कि आज अधिसंख्य चैनेल पाखंडी, अनैतिक और गैरजिम्मेदार हो गये हैं। सुबैया का मानना है कि विश्व की तुलना में भारत का मीडिया उद्योग अभी शैशव काल में है। ‘हम लोग पश्चिमी मीडिया की नकल करते हैं। ऐसे में हम वास्तविक मुद्दों को नजर अंदाज कर देते हैं।’

रवि सुबैया पुरस्कार ग्रहण करते हुए.

सुबैया अब न केवल एक सफल मीडियाकर्मी हैं, बल्कि वंचित और उपेक्षित लोगों के कल्याण के लिए भी काम कर रहे हैं। इसी उद्देश्य से उन्होंने ‘विकलांग कल्याण संघ’ की स्थापना की है। यह संगठन विकलांगों के अधिकारों और हितों के लिए कार्य करने में लगा हुआ है।

सुबैया की पहल और उद्यमिता ने समाज में एक विशिष्ट छाप छोड़ी है। इंडियन मर्चेंट्स चैंबर्स ने उन्हें ‘ज्वेल आफ नवी मुंबई’ से सम्मानित किया है। उन्हें एनएमटीवी के जरिये सामुदायिक सेवा के लिए इंटरनेशनल गैलियन अवार्ड से नवाजा गया है। बीते वर्ष यरूशलम विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि भी प्रदान की है। महात्मा गांधी और मदर टेरेसा को अपना आदर्श देवेश चरणमानने वाले सुबैया ने अपनी दोस्त दीपिका रानी से शादी की। उनकी दो बच्चियां हैं जिन्हें वे जीवन का सबसे बड़ा तोहफा मानते हैं। सुबैया कहते हैं, ‘मां के बाद दीपिका ने ही मेरी देखभाल की और मुझे प्यार और सम्मान दिया।’

लेखक देवेश चरण वरिष्ठ पत्रकार हैं. देवेश से संपर्क [email protected] के जरिए किया जा सकता है.

Click to comment

0 Comments

  1. Ashish Pandey

    January 14, 2010 at 9:32 am

    Very nice story Devesh… very nicely written…

  2. Kumar Onkareshwar

    January 15, 2010 at 2:32 pm

    Really inspiring and full of hope ! Ravi is the role model for all of us. Salute to his will power and fighting spirit! The Government of India and Maharashtra must take cognizance of his extraordinary efforts and should recognize his work through providing co-operation. Its the duty of Government in a welfare State to promote such inspiring personalities.
    It would be unfair, if we do not thank the journalist like Mr. Devesh Charan , who still brings live examples of motivating stories from the general majority of the society, unlike the story of Page-3 personalities. Thanks a lot.
    Thanks a lot to the Editor of Bhadas who gave space for this story!!

  3. Manish

    January 18, 2010 at 5:11 am

    Bahut pravhavit karne wala lekh hai… ati uttam..

  4. nav

    February 12, 2010 at 10:07 am

    T.T.M matlab Tabartor Tel Malish type story.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

टीवी

विनोद कापड़ी-साक्षी जोशी की निजी तस्वीरें व निजी मेल इनकी मेल आईडी हैक करके पब्लिक डोमेन में डालने व प्रकाशित करने के प्रकरण में...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

हलचल

: घोटाले में भागीदार रहे परवेज अहमद, जयंतो भट्टाचार्या और रितु वर्मा भी प्रेस क्लब से सस्पेंड : प्रेस क्लब आफ इंडिया के महासचिव...

Advertisement