रिलायंस के न्यूज चैनल लाने, न लाने की चर्चाओं के बीच भड़ास4मीडिया ने ‘रिलायंस अभी नहीं ला रहा न्यूज चैनल’ के जरिए स्पष्ट कर दिया है कि रिलायंस समूह अगर न्यूज चैनल लाता भी है तो उसे चैनल को आन एयर करने में करीब एक साल लग जाएगा क्योंकि इस समूह के न्यूज चैनलों के आवेदन को अभी तक सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से मंजूरी नहीं मिली है। अब हम बताने जा रहे हैं अनिल अंबानी वाले रिलायंस समूह की वर्तमान स्थिति, रणनीति और भविष्य की योजना के बारे में, एक फैक्टशीट के सहारे…
कंपनी का नाम- रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह (आरएडीए ग्रुप).
टीवी सेक्शन का नाम- रिलायंस बिग ब्राडकास्टिंग (आरबीबी).
प्रोजेक्ट- देश का सबसे बड़ा टीवी चैनल समूह बनने की योजना.
ब्रांड नाम- बिग. इस नाम से 46 एफएफ रेडियो स्टेशनों और डीटीएच प्लेटफार्म का संचालन जारी.
स्टेटस- 18 नान-न्यूज चैनलों के डाउनलिंक का लाइसेंस मिल चुका है.
आवेदन- 33 न्यूज चैनल (इनमें 90 फीसदी से ज्यादा रीजनल) के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में आवेदन.
चैनलों के नाम- बिग न्यूज बिजनेस, बिग न्यूज बिजनेस हिंदी, बिग न्यूज क्राइम, बिग न्यूज उर्दू, बिग न्यूज स्पोर्ट्स, बिग न्यूज गुजराती, बिग न्यूज मराठी, बिग न्यूज पंजाबी आदि.
शुरुआत- सबसे पहले हिंदी और अंग्रेजी के बिजनेस चैनल शुरू होने की संभावना. इसमें भी एक साल का वक्त लगने के आसार.
रणनीति- 33 न्यूज चैनलों का लाइसेंस मिलते ही आरबीबी 50 से ज्यादा टीवी चैनल चलाने वाला समूह बनकर सबसे बड़ा ब्राडकास्टर हो जाएगा.
वर्तमान बड़े खिलाड़ी : जी, स्टार और इनाडु टीवी इंडस्ट्री के बड़े खिलाड़ी हैं. इनके अपने-अपने चैनलों की कुल संख्या 25 के आसपास है.
टीवी इंडस्ट्री- इस वक्त देश में 480 टीवी चैनलों को चलाने की अनुमति दी जा चुकी है। इनमें 233 चैनल न्यूज के हैं। 207 चैनल दूसरे देशों से अपलिंक किए जाते हैं.
कमाई- एक अंदाजा के अनुसार हिंदी और अंग्रेजी के कुल न्यूज चैनल करीब एक हजार करोड़ रुपये का रेवेन्यू विज्ञापनों के जरिए बटोरते हैं.
खर्चा- एक नेशनल न्यूज चैनल चलाने में हर माह 20-25 करोड़ रुपये का खर्च. रीजनल न्यूज चैनल चलाने में 12 से 15 करोड़ रुपये प्रति माह का खर्च.
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