ऊषा जी से मेरी फोन पर बात हुई। कई लोगों ने उन्हें काल किया था। लेकिन मौके पर फोकस टीवी से रुबी जी, महुआ से कुमार और चाइल्डलाइन से वर्षा जी पहुंचीं। नई सूचना ये मिली है कि संत लाल ने घर जाना बंद कर दिया है। इससे अनीता और उसकी बहनों के सामने भूख से जूझने का संकट आ खड़ा हुआ है। अभी तक तो ऊषा और गुंजन किसी तरह आसपास वालों के साथ मिलकर कुछ मैनेज कर रही हैं लेकिन आगे क्या होगा?
पिछले कई दिनों से कुशीनगर जिले के कप्तानगंज कस्बे में रह रहा हूं। मौका मिलते ही आसपास के प्राथमिक विद्यालयों पर जाता रहता हूं। वाकई कई संत लाल हैं जिनके दारू की लत को पूरा करने के लिए बच्चे स्कूल से भाग कर दुकानों पर काम कर रहे हैं या पकौड़ी बेच रहे हैं या भट्टों पर काम करने लगे हैं।
यदि न्यूज चैनल्स के, अखबारों के, कारपोरेट सोशन रिस्पांसिबिलिटी डिपार्टमेंट्स कुछ मदद करें या मीडिया खबरों के साथ मदद के लिए अपील करे तो ऐसे बच्चों को अपने पैरों पर खड़ा करने में बहुत मदद मिल सकती है। हो सकता है मैं भावावेश में बहुत ज्यादा उम्मीद कर बैठा हूं पर कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा। ऐसे कैसे चलता रहेगा?
संत लाल की खबर पढ़कर और वर्तमान हालात देख कर कुछ पंक्तियां लिख बैठा, आपकी नजर कर रहा हूं…
हालात
कतरा-कतरा देश का क्यूं जल रहा है।
ये किस आग में राष्ट्रवाद पिघल रहा है।।
कहीं भाषा-बोली को लेकर छिड़ा विभाजन राग।
कहीं नौकरियां लगाएं भाईचारे में आग।।
धर्म-जाति की आग में संविधान का हर पन्ना जले।
महंगाई के तेल में कहीं दाल तो कहीं गन्ना तले।।
किसान कहां रहा अब हमारा अन्नदाता।
बनें पूंजीवादा नेता भारत भाग्य विधाता।।
कहां हैं जो करते थे विरोध गांधीवादी।
हर कोने में क्यूं पनपे हैं अब आतंकवादी।।
कलम से सूख गई क्यूं तीखे तेवर की स्याही।
गई पत्रकारिता क्यूं पैसे से बेमेल ब्याही।।
संत लाल बुरा है, दारू के लिए बेटियां बेच रहा।
वो आज महात्मा है, जो इन्सानियत की बोटियां नोच रहा।।
क्या गांधी-नेहरू-शास्त्री-लोहिया-जेपी ने देश को बरगलाया?
या नए नेताओं ने हमें हकीकत का आइना दिखलाया??
शुक्रिया
आपका
-अनुराग तिवारी