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आर्थिक पत्रकार ने इतना झेला, जनता की सोचिए!

[caption id="attachment_16668" align="alignleft"]सत्येंद्र प्रताप सिंहसत्येंद्र प्रताप सिंह[/caption]मुझे भरोसा है कि अगर एकता ने स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक से कर्ज लिया होगा तो वह आत्महत्या कर चुकी होगी। गुरुवार की सुबह मेरे साथ कुछ ऐसा हुआ, जिसे मैं जिंदगी में शायद ही कभी भूल पाऊं। दोपहर 11.30 बजे मैं ऑफिस जाने के लिए तैयार ही हो रहा था कि मेरे मोबाइल पर +911244826071 और +911242350104 से कॉल आने लगी। वह किसी एकता के बारे में पूछ रहा था। 10 मिनट के भीतर जब चौथी कॉल आई तो वह मुझे गालियां देने लगा। मैने भी थोड़ी-बहुत गालियां दी, जो मुझे आती थीं और कहा कि आइंदा अगर कॉल किया तो मैं एफआईआर करा दूंगा। फोन काट दिया। फोन काटते ही फिर फोन आ गया तो मेरी पत्नी ने फोन ले लिया। वह बात कर रही थी तो स्पीकर ऑन था और फोन करने वाला लगातार गालियां दिए जा रहा था, ऐसी गालियां- जिसे लिखना भी संभव नहीं है।

सत्येंद्र प्रताप सिंह

सत्येंद्र प्रताप सिंहमुझे भरोसा है कि अगर एकता ने स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक से कर्ज लिया होगा तो वह आत्महत्या कर चुकी होगी। गुरुवार की सुबह मेरे साथ कुछ ऐसा हुआ, जिसे मैं जिंदगी में शायद ही कभी भूल पाऊं। दोपहर 11.30 बजे मैं ऑफिस जाने के लिए तैयार ही हो रहा था कि मेरे मोबाइल पर +911244826071 और +911242350104 से कॉल आने लगी। वह किसी एकता के बारे में पूछ रहा था। 10 मिनट के भीतर जब चौथी कॉल आई तो वह मुझे गालियां देने लगा। मैने भी थोड़ी-बहुत गालियां दी, जो मुझे आती थीं और कहा कि आइंदा अगर कॉल किया तो मैं एफआईआर करा दूंगा। फोन काट दिया। फोन काटते ही फिर फोन आ गया तो मेरी पत्नी ने फोन ले लिया। वह बात कर रही थी तो स्पीकर ऑन था और फोन करने वाला लगातार गालियां दिए जा रहा था, ऐसी गालियां- जिसे लिखना भी संभव नहीं है।

बहरहाल मैने फिर फोन काटा। 12 बजे तक मैंने कम से कम 5 बार फोन काटा। तब तक ऑफिस जाने के लिए मेरे मित्र भी आ चुके थे। मैं उन्हें इस घटना के बारे में बता ही रहा था कि फिर कॉल आ गई। इस बार मेरे मित्र ने फोन उठाया और उन्होंने समझाने की कोशिश की कि यह उस व्यक्ति का नंबर नहीं है, जिसे तुम तलाश रहे हो। उधर से जवाब आया कि तब उसे पैदा कर। बहरहाल उन्होंने भी थोड़ा-बहुत अपनी भाषा में समझाने की कोशिश की। हम लोग ऑफिस के लिए निकले और मैं लगातार फोन काटता रहा या उसे रिसीव करके छोड़ता रहा।

बहरहाल ऑफिस पहुंचने पर इस घटना के बारे में चर्चा कर ही रहा था कि फिर फोन आने लगा। इस बार मैंने फोन उठाया और कहा कि यह एकता का नंबर नहीं है। फोन करने वाले ने कहा कि अभी थोड़ी देर पहले इसी फोन पर एकता से बात हुई है, तू उससे बात करा। बहरहाल- मैने फिर फोन काट दिया। फोन काटते ही फिर फोन आ गया। इस बार मेरे एक सहकर्मी मनीष ने फोन उठाया। उन्होंने फोन करने वाले को समझाने की कोशिश की कि भाई यह नंबर सत्येन्द्र जी का है। उसने कहा कि तुम फोन का कागज लेकर बैंक आ जाओ। मनीष ने फोन काट दिया और एफआईआर करने की सलाह दी। इस बीच मुझे कॉल करने वाले ने कहा कि मैं प्रवीण बोल रहा हूं, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक बैंक गुडग़ांव से। वह बार-बार पैसे वापस करने की बात कर रहा था।

इस बीच 4 काल और आई और मैं फोन काटते अपने सहयोगी को लेकर आईपीओ एक्सटेंशन थाने की ओर बढऩे लगा। थाने पहुंचने पर पहले तो वहां मौजूद पुलिसकर्मी ने मुझे समझाया कि आप पांडव नगर इलाके के थाने में एफआईआर दर्ज कराइये। हालांकि थाने पर यह बताने पर कि मैं बिजनेस स्टैंडर्ड में रिपोर्टर हूं और आईटीओ पर मेरा ऑफिस है, जो आपके थाना क्षेत्र में आता है, तो उसने मुझे सब इंस्पेक्टर (शायद) मीना यादव के पास भेज दिया। उन्होंने मुझे कॉल रिकॉर्ड करने की सलाह दी और एक लिखित आवेदन अपने पास जमा करा लिया, जिसमें मैने अपने दो घंटे के मानसिक उत्पीड़ऩ के बारे में लिख दिया। इंस्पेक्टर ने मुझे कार्रवाई करने का आश्वासन देकर विदा कर दिया।

मैं अभी कार्यालय पहुंचा भी नहीं था कि इंसपेक्टर मीना यादव का फोन आ गया। उन्होंने कहा कि मेरी बात आपके द्वारा दिए गए नंबर पर हुई है और कॉल रिसीव करने वाले ने बताया है कि वह स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक से बोल रहा है। उसने इंस्पेक्टर को बताया था कि यह नंबर उसे मिला है, जिसमें उसे एकता का नाम बताया गया है। इंस्पेक्टर ने कहा कि अब इस नंबर से आपको कॉल नहीं आनी चाहिए और अगर आती है तो आप मुझे इनफार्म करिएगा। बैंक वाले ने इंस्पेक्टर से यह भी कहा कि कॉल रिकार्डेड है और किसी तरह की गाली-गलौज नहीं की गई है। शायद उसने बाद में की गई 2-3 कॉल की रिकॉर्डिंग की होगी। बहरहाल, उसके बाद ब्लॉग पर लिखने तक मेरे पास कॉल नहीं आई है।

मैं यही सोच रहा हूं कि आर्थिक अखबार में काम करने के नाते हम लोग लगातार रिजर्व बैंक के गाइडलाइंस के बारे में लिखते हैं, चिदंबरम का भाषण सुनते हैं और उसे छापते हैं कि वसूली के नाम पर किसी को तंग नहीं किया जाएगा। साथ ही पुलिस का आश्वासन होता है कि स्पेशल सेल बनी है और इस तरह की किसी भी सूचना पर तत्काल कार्रवाई होगी। आखिर ये सब आश्वासन, खबरें किसके लिए हैं? हालांकि मैंने अभी तक की जिंदगी में किसी बैंक से कोई कर्ज नहीं लिया है। भगवान न करें कि कभी लेना भी पड़े, लेकिन अगर जिस व्यक्ति ने कर्ज लिया है तो ये निजी बैंक कितनी गुंडागर्दी करते हैं यह मुझे समझ में आ गया। दो-तीन घंटे का मानसिक उत्पीडऩ मेरे ऊपर इतना भारी पड़ा कि उसका बयान किया जाना भी मुश्किल है।

लेखक सत्येंद्र प्रताप सिंह बिजनेस स्टैंडर्ड, दिल्ली में सीनियर सब एडिटर हैं.  उनसे [email protected] के जरिए संपर्क किया जा सकता है.

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