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श्रद्धांजलि सभाशैलेंद्र को श्रद्धांजलि : ‘शैलेंद्र से मेरी मुलाकात आज तक में हुई थी। जब मैं आज तक में गया तो वे पहले शख्स थे जो मुझसे मिलने आए। शैलेंद्र के भीतर एक बैचेनी थी। वे मुझे रात के दो-तीन बजे फोन कर देते और अपनी गजलें सुनाने लगते। कभी-कभी इससे गुस्‍सा भी आता। इस गुस्से को महसूस कर वे कहते कि बड़े आदमी हो गए हो,  आपको गजल सुनने की तहजीब नहीं है। उनके अंदर कुछ नया करने की आदत थी। उनकी सोच अलग थी। यही अलग सोच उन्हें आम पत्रकारों से अलग करती थी। उसमें तमाम चीजें ऐसी बची हुई थी, जो हम जैसों में नहीं बची है। वे बहुत से नए प्रयोग करते थे। उनका जाना एक अच्‍छे इंसान, अच्‍छे लेखक और एक संभावना का जाना है।’ उपरोक्त कथन है न्यूज24 के मैनेजिंग एडिटर अजीत अंजुम का।

श्रद्धांजलि सभा

श्रद्धांजलि सभाशैलेंद्र को श्रद्धांजलि : ‘शैलेंद्र से मेरी मुलाकात आज तक में हुई थी। जब मैं आज तक में गया तो वे पहले शख्स थे जो मुझसे मिलने आए। शैलेंद्र के भीतर एक बैचेनी थी। वे मुझे रात के दो-तीन बजे फोन कर देते और अपनी गजलें सुनाने लगते। कभी-कभी इससे गुस्‍सा भी आता। इस गुस्से को महसूस कर वे कहते कि बड़े आदमी हो गए हो,  आपको गजल सुनने की तहजीब नहीं है। उनके अंदर कुछ नया करने की आदत थी। उनकी सोच अलग थी। यही अलग सोच उन्हें आम पत्रकारों से अलग करती थी। उसमें तमाम चीजें ऐसी बची हुई थी, जो हम जैसों में नहीं बची है। वे बहुत से नए प्रयोग करते थे। उनका जाना एक अच्‍छे इंसान, अच्‍छे लेखक और एक संभावना का जाना है।’ उपरोक्त कथन है न्यूज24 के मैनेजिंग एडिटर अजीत अंजुम का।

अपने बेबाक बोल और सहज अंदाज के लिए मशहूर पत्रकार अजीत अंजुम शुक्रवार 26 जून को प्रेस क्लब आफ इंडिया में शैलेंद्र को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित सभा में शैलेंद्र के संबंध में अपनी भावना का इजहार कर रहे थे। 

शैलेंद्र को श्रद्धांजलि देने के लिए दिल्ली के प्रेस क्लब आफ इंडिया में आज कई पत्रकार साथी एकत्रित हुए। सबने अपने-अपने तरीके से शैलेंद्र को याद किया और उन्हें हृदय से नमन करते हुए श्रद्धांजलि श्रद्धांजलि सभाअर्पित की। सैकड़ों की संख्या में एकत्रित पत्रकारों में बड़ी संख्या टीवी जर्नलिस्टों की थी। इनमें भी वो लोग ज्यादा थे जो कहीं न कहीं, कभी न कभी, किसी न किसी रूप में शैलेंद्र से जुड़े थे। आज तक, स्टार न्यूज और आईबीएन7 में शैलेंद्र सिंह ने काम किया था और इन चैनलों के कई पत्रकार श्रद्धांजलि सभा में मौजूद थे।

आईबीएन7 के हेड आशुतोष ने अपने साथी को कुछ इस तरीके से याद किया- मैं आज तक में उसके साथ था। उसकी भाषा बहुत अच्‍छी थी, इसलिए उसे हम यहां ले आए। उसके बारे में कई बार ऐसा महसूस होता कि इस आदमी में ऐसा कुछ विशेष है, जो हम लोगों में नहीं है। उनसे निजी जिंदगी, कविता, कहानी और नाराजगी पर बात होती। मैंने उसको जितना जानने की कोशिश की, उतनी ही नहीं जान पाया। वह कहता था कि इस इंडस्ट्री में तुम्‍हें मेरा जैसा दोस्‍त नहीं मिलेगा। मैं उन्हें कई बार समझाता कि इतने अतिरेक में क्‍यों रहते हो? इस पर शैलेंद्र कहता कि तुम मुझे समझ नहीं पाओगे दोस्‍त!

आईबीएन7 के वरिष्ठ पत्रकार संजीव पालीवाल ने स्वीकार किया कि वे शैलेंद्र को जानते तो बहुत समय से हैं लेकिन उनको समझ नहीं पाए और न दुनिया ही उन्हें समझ सकी। चौकाना शैलेंद्र की फितरत में था। शैलेंद्र अपने दिल में कोई बात नहीं रखते थे। श्रद्धांजलि सभाअगर उनसे कोई गलती हो जाती तो वे तुरंत माफी मांग लेते थे। पत्रकार दिलीप मंडल ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि मैं शैलेंद्र को पिछले नौ-दस साल से जानता था, लेकिन उनसे घनिष्‍ठता कभी नहीं रही। वे मौत की बात बहुत करते थे। वे ऐसे व्‍यक्ति थे, जो नौकरी से अलग भी सोच पाते थे। वे लोगों की मदद करने में बहुत विश्‍वास करते।  वे अकसर गरीबों और रिक्‍शे वालों की मदद करते। उनकी मौत से सामूहिक दुख का भाव मीडिया जगत में आया है। यह बात अलग है कि इस बीच कई लोग और भी चले गए लेकिन शैलेंद्र की मौत पर हर कोई दुखी है।

आईबीएन7 से जुड़े पंकज श्रीवास्‍तव ने कहा कि शैलेंद्र से मेरी मुलाकात छह-सात साल पुरानी थी। वे ऐसी बातों के बारे में सोचते थे, जिनके बारे में हम लोग सोचना नहीं चाहते। शैलेंद्र के बारे में कोई यह नहीं कह सकता है कि उन्‍होंने अपनी जिम्‍मेदारी को निभाने में कोई कोताही बरती हो। वे क्रियायोग के जानकार थे। वे जीवन में संतुलन साधने की कोशिश करते थे और सफल होते थे। वे बहुत मौलिक व्‍यक्ति थे।

श्रद्धांजलि सभाशैलेंद्र के साथ काम करने वाली जया ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि मैंने शैलेंद्र से बहुत कुछ सीखा, न केवल प्रोफेशन के बारे में, बल्कि जीवन के बारे में भी। वे हर इंसान की समस्‍या सुनते और उसे सुलझाने की कोशिश करते थे। गीता को अगर सचमुच किसी ने जिया है तो वे शैलेंद्र ही थे। अनंत विजय ने इस अवसर पर कहा कि बुधवार की रात थी। शैलेंद्र ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और कहा,  दोस्‍त चलता हूं, ध्‍यान रखना। न जाने उन्‍होंने ऐसा क्‍यों कहां, मैं इससे ज्‍यादा बोल नहीं पाऊंगा। मैं उन्‍हें श्रद्धां‍जलि अर्पित करता हूं।

आईबीएन7 के ही अनुराग सिंह ने शैलेंद्र के व्यक्तित्व की बुनावट के बारे में बात की। अनुराग के मुताबिक- शैलेंद्र गुमसुम सा रहता था। मुंबई में मैंने महसूस किया कि उसमें काफी अकेलापन है। जब हम दिल्‍ली लौट तो उसमें वह सन्‍नाटा और ज्‍यादा दिखा। उनके भीतर जो सन्‍नाटा था, उसकी भी एक जुबान थी, उसको भी हम याद रखें, यही उन्‍हें सच्‍ची श्रद्धांजलि होगी।

आईबीएन7 के सीनियर एडिटर प्रभात शुंगलू ने कहा कि न्‍यूज रूम में काफी तनाव होता है। हम सब लोग नर्क की जिंदगी जी रहे हैं तो क्‍यों? शैलेंद्र इस बारे में भी सोचते थे। हम ऐसा वातावरण बनाएं कि यहां पीसीआई में हम खुशियां मनाने आएं, न कि श्रद्धांजलि सभा का आयोजन करने।

अंत में सभी पत्रकारों ने दो मिनट का मौन रखा दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि दी। श्रद्धांजलि सभा का संचालन शैलेंद्र के करीबी रहे युवा साहित्यकार और एसोसिएट एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर हरीश चंद्र बर्णवाल ने किया। हरीश ने इस मौके पर शैलेंद्र की लिखी एक कविता का पाठ भी किया।

इस श्रद्धांजलि सभा का आयोजन आईबीएन7 की तरफ से किया गया। अपने पत्रकार साथी के असामयिक मौत पर आईबीएन7 का प्रबंधन और बड़े-छोटे पत्रकार जिस तरह से शैलेंद्र के परिजनों के साथ खड़े हुए, शैलेंद्र के बारे में कई प्रोग्राम चैनल पर दिखाया और श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया, यह बेहद सराहनीय है। बाजार के इस दौर में आमतौर पर देखा यह जाता है कि जब किसी पत्रकार का आकस्मिक निधन हो जाता है तो मीडिया हाउस का प्रबंधन उससे पल्ला झाड़ने में अपना भलाई सझता है। आईबीएन7 के लोग कंधे से कंधा मिलाकर शैलेंद्र के परिजनों के दुख के साथ शरीक रहे और इस दुख का अपना दुख माना।

रिपोर्ट और तस्वीर : संजीव कुमार

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