सैकड़ों पत्रकारों की मौजूदगी में आईबीएन7 के सीनियर एडिटर शैलेंद्र सिंह को अंतिम विदाई दे दी गई। दिल्ली के निगम बोध घाट पर आज सुबह 11 बजे के करीब विधि-विधान से शैलेंद्र के शव को अग्नि के हवाले किया गया। इस मौके पर शैलेंद्र के परिवार से जुड़े सभी लोग मौजूद थे। ज्यादातर लोगों की आंखें उस समय नम हो गईं जब चिता पर लिटाए गए शैलेंद्र के शरीर को स्पर्श कराने के बाद उनके छह वर्षीय पुत्र आयाम को वापस ले जाया जा रहा था तो गोद उठाए परिजन से आयाम ने पूछा कि क्या ये लोग मेरे पापा को जलाने जा रहे हैं?
दुनिया के हर रहस्य की गुत्थी सुलझाने का दावा करने वाले मनुष्य के पास वाकई इस सवाल का कोई जवाब नहीं कि आखिर कल तक अपने बच्चों के साथ हंसते-खेलते किसी शख्स को सांसों की डोर टूटने के अगले कुछ घंटों बाद ही क्यों आग के हवाले कर उसकी इस दुनिया में शारीरिक मौजूदगी को समाप्त कर दिया जाता है? मौत की इस गुत्थी से पार न पा सकने की बेबसी निगम बोध घाट पर मौजूद हर शख्स के चेहरे पर चिपकी थी। कोई फफक कर रो रहा था तो कोई चुपचाप रूमाल से आंखों के कोने पोंछ रहा था। कोई आसमान की तरफ निहार रहा थो तो कोई शैलेंद्र की जलती चिता के साथ खुद को एकाकार करने की कोशिश कर रहा था।
सैकड़ों पत्रकारों की मौजदूगी के बावजद हर ओर खामोशी। आवाज आ रही थी तो केवल शैलेंद्र की तरफ से। चिता की जलती लकड़ियों की तड़तड़ाहट उनके बड़ी तेजी से इस दुनिया से बहुत दूर जा रहे होने और हम सभी को यहां के खेल-तमाशे में यूं ही छोड़ जाने की बात समझा रही थीं पर किसी का भी मन मानने को राजी न था। लेकिन मानना तो पड़ेगा ही। इस दुनिया में चमत्कार अब न के बराबर होते हैं।
शैलेंद्र, देर-सबेर हम सब आप के पास पहुंचेंगे। आपने जल्दबाजी कर दी। यही अच्छा नहीं लग रहा है।