Connect with us

Hi, what are you looking for?

दुख-दर्द

तब बच्चे की तरह प्रसन्न हो गए शैलेंद्र

शैलेंद्र से मेरी मुलाकात तकरीबन 18-19 साल पहले दिल्ली में हुई थी। तब वे पत्रकारिता में अपना कैरियर बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे और राष्ट्रीय सहारा से बतौर फ्रीलांसर जुडे़ हुए थे। मैं उस वक्त गोरखपुर में था और तब तक पत्रकारिता के कीडे़ ने मुझे भी काट लिया था। मैं पत्रकार बनने दिल्ली आ गिरा था। उस वक्त दिल्ली में एक स्थापित पत्रकार, जो शैलेंद्र के भी करीबी थे, उनके आवास पर मेरी मुलाकात शैलेंद्र से हुई थी। चूंकि शैलेंद्र भी संघर्ष कर रहे थे और मैं भी …. यानि कि हम दोनों पूरी तरह खाली थे, तो जितने दिन मैं दिल्ली में रहा (10-15 दिन में दिल्ली से निराश होकर गोरखपुर लौट गया था) लगभग हर शाम हम साथ होते। बहुत ही अल्प समय में हम और शैलेंद्र एक-दूसरे के हमराज हो गए थे। उन दिनों शैलेंद्र का प्रथम काव्य संग्रह ‘जानता हूं जिंदगी’ प्रकाशित हो चुका था। शैलेंद्र काफी उत्साहित थे। जंतर-मंतर पर बिताई गई एक शाम में उन्होंने अपने काव्य संग्रह के साथ जुड़ी एक घटना का जिक्र किया, जो मेरे मानस पटल पर अभी अंकित है।

संजय सिंह

शैलेंद्र से मेरी मुलाकात तकरीबन 18-19 साल पहले दिल्ली में हुई थी। तब वे पत्रकारिता में अपना कैरियर बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे और राष्ट्रीय सहारा से बतौर फ्रीलांसर जुडे़ हुए थे। मैं उस वक्त गोरखपुर में था और तब तक पत्रकारिता के कीडे़ ने मुझे भी काट लिया था। मैं पत्रकार बनने दिल्ली आ गिरा था। उस वक्त दिल्ली में एक स्थापित पत्रकार, जो शैलेंद्र के भी करीबी थे, उनके आवास पर मेरी मुलाकात शैलेंद्र से हुई थी। चूंकि शैलेंद्र भी संघर्ष कर रहे थे और मैं भी …. यानि कि हम दोनों पूरी तरह खाली थे, तो जितने दिन मैं दिल्ली में रहा (10-15 दिन में दिल्ली से निराश होकर गोरखपुर लौट गया था) लगभग हर शाम हम साथ होते। बहुत ही अल्प समय में हम और शैलेंद्र एक-दूसरे के हमराज हो गए थे। उन दिनों शैलेंद्र का प्रथम काव्य संग्रह ‘जानता हूं जिंदगी’ प्रकाशित हो चुका था। शैलेंद्र काफी उत्साहित थे। जंतर-मंतर पर बिताई गई एक शाम में उन्होंने अपने काव्य संग्रह के साथ जुड़ी एक घटना का जिक्र किया, जो मेरे मानस पटल पर अभी अंकित है।

शैलेंद्र ने बताया कि उसने अपने काव्य संग्रह को कई लेखकों, आलोचकों और कवियों को उनके घर जाकर सप्रेम भेंट किया, लेकिन लेखक और स्तंभकार दीनानाथ मिश्रा ने तो उसके साथ अपमानजनक व्यवहार कर डाला। बकौल शैलेंद्र,  नामचीन अखबारों में छपने वाले हिंदी के स्तंभकार दीनानाथ मिश्रा ने कहा था …..  ”जो देखो वही लेखक बन जाता है…. कवि बन जाता है….अरे कुछ काम करो… जाओ…!” बाद में दीनानाथ मिश्रा ने दैनिक जागरण में प्रकाशित अपने कॉलम ‘आर-पार’ में शैलेंद्र और उसके काव्य संग्रह का उपहास स्वरूप जिक्र करते हुए लिखा था… ”मेरे पास एक दुबला-पतला लड़का सुबह-सुबह आ गया। उसने बताया कि वह दिल्ली में संघर्ष कर रहा है। उसने एक काव्य संग्रह भी दिया…। मैं सोच रहा था कि इस लड़के के लिए क्या करू….? मेरे मन में आया कि उसे हर्षद मेहता के पास या फिर हितेन दलाल ….. के पास भेज दूं”। (उन दिनों हर्षद मेहता और हितेन दलाल कांड अखबारों की सुर्खियों में था)

शैलेंद्र दीनानाथ मिश्र के पास नौकरी की सिफारिश कराने या मांगने नहीं गए थे। लेकिन शायद उन्होंने कुछ ऐसा ही समझ लिया था। शैलेंद्र दीनानाथ के रवैये से बहुत दु:खी थे। मैनें उन्हें समझाया। और वे ठीक उस बच्चे की तरह तुरंत प्रसन्न हो गए जो अपना खिलौना टूटने के बाद रोने लगता है और फिर समझाने पर मान भी जाता है।

मैं गोरखपुर लौट आया और मैनें दैनिक जागरण ज्वाइन कर लिया। एक तरह से मेरा और शैलेंद्र का सीधा संवाद या संपर्क खत्म हो गया था। उन दिनों मोबाइल फोन नहीं थे या बहुत कम थे। यह संयोग बना कि वर्ष 2004 के अंत में मैं राष्ट्रीय सहारा के दिल्ली स्थित नेशनल ब्यूरो में तबादला होकर आया, तो पता चला कि शैलेंद्र स्टार न्यूज मुंबई में हैं। वे दिल्ली छोड़ चुके थे। किसी रिपोर्टिंग के सिलसिले में मैं मुंबई गया तो उनसे फोन पर बात हो सकी । उन्होंने जब जाना कि मैं दिल्ली आ गया तो अति प्रसन्न हुए। कुछ दिनों बाद उनका तबादला दिल्ली हो गया। उन दिनों एक छोटे से कार्य के सिलसिले में शैलेंद्र का फोन मेरे पास आया। वे परिवार सहित गांव या ससुराल जा रहे थे और उनका रेल आरक्षण टिकट कनफर्म कराना था। तब से यदा-कदा उनसे बातचीत हो जाती थी और हम लोग यह बराबर वादा करते थे कि इत्मिनान से जल्दी मिलेंगे और ढेर सारी बातें करेंगे, संघर्ष…. और अपने सुख-दु:ख को बाटेंगे। लेकिन वह इत्मिनान कभी नहीं आया…. शैलेंद्र हमें छोड़कर चले गए। मेरे मन में उनसे दुबारा न मिल पाने का मलाल बराबर बना रहेगा।

ईश्वर इस दु:ख की घड़ी में उनके परिवार को असीम शक्ति प्रदान करे।संजय सिंह


लेखक संजय सिंह राष्ट्रीय सहारा के नेशनल ब्यूरो में स्पेशल करेस्पांडेंट के रूप में कार्यरत हैं. उनसे [email protected] या 09871375522 के जरिए संपर्क कर सकते हैं. This e-mail address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अपने मोबाइल पर भड़ास की खबरें पाएं. इसके लिए Telegram एप्प इंस्टाल कर यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia

Advertisement

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

टीवी

विनोद कापड़ी-साक्षी जोशी की निजी तस्वीरें व निजी मेल इनकी मेल आईडी हैक करके पब्लिक डोमेन में डालने व प्रकाशित करने के प्रकरण में...

हलचल

[caption id="attachment_15260" align="alignleft"]बी4एम की मोबाइल सेवा की शुरुआत करते पत्रकार जरनैल सिंह.[/caption]मीडिया की खबरों का पर्याय बन चुका भड़ास4मीडिया (बी4एम) अब नए चरण में...

Advertisement