अनिल पांडेय ने शशि शेखर से संबंधित अपने आलेख में, जो भड़ास4मीडिया पर पिछले दिनों सर्वश्रेष्ठ संपादक का खिताबी अभियान बंद करें शीर्षक से प्रकाशित हुआ, हिंदुस्तान अखबार में कार्यरत मदन जैड़ा और श्याम सुमन का संक्षिप्त जिक्र नकारात्मक संदर्भों में किया था। श्याम सुमन और मदन जैड़ा की आपत्ति के बाद उस आलेख से संबंधित लाइनों को हटा दिया गया है। श्याम सुमन दो साल तक अमर उजाला में रहने के बाद एक साल पहले हिंदुस्तान लौट आए। वे पहले भी हिंदुस्तान में छह साल तक काम कर चुके हैं। इसी तरह मदन जैड़ा ने तीन साल तक अमर उजाला में रहने के बाद हिंदुस्तान ज्वाइन कर लिया।
श्याम और मदन का कहना है कि अनिल पांडे ने उनके बारे में जो कुछ लिखा, वह अनिल की अपनी राय रही होगी। अनिल ने उन लोगों से इस बारे में कभी कोई बातचीत नहीं की। श्याम और मदन के मुताबिक अनिल के आलेख से हम दोनों के नजरिए के बारे में जो ध्वनित होता है, वह सरासर गलत है। भड़ास4मीडिया टीम श्याम और मदन की इस आपत्ति को बिलकुल वाजिब मानती है। अनिल को अपने आलेख में सिर्फ अपनी राय रखनी चाहिए न कि कोई दूसरा क्या सोचता है या नहीं सोचता है, इस बारे में लिखना चाहिए। इसी कारण अनिल के आलेख से श्याम और मदन से संबंधित हिस्से को हटा दिया गया है।