सेवा में, श्रीमान सम्पादक जी, भड़ास4मीडिया, नई दिल्ली, महोदय, आपको अवगत कराना है कि हम मीडियाकर्मी (स्ट्रिंगर) कई वर्षों से दैनिक जागरण के बरेली-हल्द्वानी संस्करण में कार्यरत थे. हाल ही में यहां हिन्दुस्तान की बरेली यूनिट खुली है. यहां के लिए यह नया अखबार है इसलिए तमाम मीडियाकर्मियों ने अमर उजाला और दैनिक जागरण छोड़कर हिन्दुस्तान ज्वाइन कर लिया. मैं सुधाकर शुक्ला, हल्द्वानी यूनिट से जुड़कर चम्पावत में कार्यरत था. मैंने भी 21 अगस्त 2009 को शाहजहाँपुर में हुए दैनिक हिन्दुस्तान के इंटरव्यू में हिस्सा लिया और सफल होने के बाद वहां ज्वाइन कर लिया. इससे पूर्व मैंने कई बार प्रबन्धक हल्द्वानी अशोक त्रिपाठी व महाप्रबन्धक चन्द्रकान्त त्रिपाठी से मानदेय बढ़ाने और पहाड़ से नीचे तराई के किसी इलाके में भेजने का अनुरोध किया था. मैंने प्रबन्धक व महाप्रबन्धक को कई बार अपनी समस्याओं पर पत्र लिखकर कुरियर से भेजा लेकिन हमारी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. उल्टे बार-बार ट्रांसफर को लिखने पर मुझे नौकरी से निकाल घर भेजने की चेतावनी दी गई. चम्पावत में आलम यह था कि मेरे लिखे समाचार में ब्यूरो प्रभारी दिनेश पाण्डेय ने अपने नाम बाइलाइन ख़बरें छपवा लीं.
जब मैंने इसकी शिकायत दैनिक जगरण, हल्द्वानी के प्रबन्धक से की तो उन्होंने कहा कि अच्छी बातों के लिए फोन किया करो, नाम से कुछ नहीं होता. मैं चुप रहा क्योंकि विकल्प के अभाव में नौकरी करना मेरी मजबूरी थी किन्तु बाद में जब मौका मिला तो हिन्दुस्तान से जुड़ गया. चम्पावत में वो मुझे दो-दो महीने का मानदेय नहीं देते थे. जब मैं नौकरी छोड़कर आया तो मेरा दो माह का 14500 रुपये मानदेय बकाया था. जब मुझे चम्पावत भेजा गया था तो कहा गया था कि रिपोर्टिंग के साथ जितनी सरकारी विज्ञापनों पर वसूली करोगे उसका दस प्रतिशत कमीशन तुम्हें मिलेगा. मैंने मई, जून, जुलाई और अगस्त में लगभग दो लाख रुपये की विज्ञापन वसूली की लेकिन मेरा अगस्त माह का मानदेय और विज्ञापन कमीशन नहीं दिया गया.
इस सम्बन्ध में मैं महाप्रबन्धक जी को लिखने के साथ प्रधान संपादक संजय गुप्ता को भी लिखूंगा कि ये लोग मेरे मेहनत की कमाई नही दे रहे हैं जिसे मैंने पहाड़ों पर पैदल चल-चलकर जुटाया था. उन दोनों लोगों को सजा तो खैर ऊपर वाला देगा लेकिन लोग ये तो जान लें कि मीडिया में कैसे-कैसे लोग बैठे हैं.
सुधाकर शुक्ला
हिन्दुस्तान, शाहजहांपुर
सुधाकर शुक्ला के साथ नीरज दीक्षित और मोहसिन पाशा का भी पत्र आया है, जो इस तरह है-
मैं नीरज दीक्षित, शाहजहांपुर, जागरण ब्यूरो में रिपोर्टिंग कर रहा था. मेरा एक माह का मानदेय नहीं मिला. जब मैंने टाइम आफिस के नरेशजी से बात की तो उन्होंनें जवाब दिया कि जागरण छोड़ने से एक महीने पहले बताना चाहिए था.
मैं मोहसिन पाशा, जागरण ब्यूरो, शाहजहांपुर में क्राइम की बीट देख रहा था. मेरा भी एक माह का मानदेय जागरण ने नहीं दिया.