अगर हमारे आप में से आर्थिक रूप से मजबूत कोई साथी शीघ्र ही उनके साथ न खड़ा हुआ तो संभव है कि इसी पोर्टल पर हम-आप जल्द ही उनके गुजर जाने की खबर गमगीन होकर पढ़ें। मन ही मन श्रद्धांजलि देने के बाद उनकी यादों को अपने मस्तिष्क के आर्काइव में दफन कर रुटीन के काम-धाम निपटाने में लग जाएं। जो व्यक्ति अपनी जिंदगी में हमेशा सच के पाले में खड़ा हुआ, झूठ से लड़ा, मुश्किलों से जूझते हुए आगे बढ़ा, वो अब न चाहते हुए भी जिंदगी से हार मानने की कगार पर पहुंच गया है।
दैनिक हिंदुस्तान, पटना के डिप्टी न्यूज एडीटर सुनील कुमार गौतम तिल तिल कर मर रहे हैं। वे पिछले चार वर्षों से कलम चलाने की बजाय अस्पताल के बिस्तर पर पड़े हुए हैं। उन्हें अल्सरेटिव कोलाइटिस नामक पेट की बीमारी है। वे अब तक बीएचयू, एसजीपीजीआई, आईजीआईएमएस और पीएमसी के अतिरिक्त कई निजी गैस्ट्रो क्लीनिकों में इलाज करवा चुके हैं। उनकी स्थिति सुधरी नहीं। लगभग 10 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं। सुनील इलाज कराने एम्स भी आए पर संसाधनविहीनता के चलते वे लौट गए। अब वे फिर पटना में हैं। अल्सरेटिव कोलाइटिस का महंगा एलोपैथिक इलाज होने के चलते इन दवाइयों के साइड इफेक्ट से कई और रोगों ने सुनील के शरीर में घर कर लिया है। पिछले दिनों सुनील ने भड़ास4मीडिया के लिए दो एसएमएस भेजे। इसमें उन्होंने लिखा है-
सर,
18 दिन से आईजीआईएमएस में मौत से जूझ रहा हूं। एक एक लाख की सुई लगनी है। पटना, रांची, वाराणसी के अखबारी मित्रों की मदद से एक लाख की एक सुई लग चुकी है। एचटी एडीटर ने भी खुलकर मदद की है। 6 और 22 सितंबर को सुई अपरिहार्य है। इस घोर संकट में एक बुझती ज़िंदगी रोशन हो सके, इसलिए अब तो आप लोगों को ही तत्काल ठोस कदम शीघ्र उठाने होंगे। पत्रकारिता में 22 वर्षों की पूंजी यही है कि काम के पीछे जान दे दिया मगर मेडिकल इंश्योरेंस के लिए भी फूटी कौड़ी तक नहीं है। समय बहुत बुरा चल रहा है। अब तो आप जैसे बड़ों पर ही सारी उम्मीद टिकी है। 6 सितंबर को सुई का सेकेंड डोज नहीं लग सका तो सब बरबाद हो जाएगा। गॉड शाइन यू। 6 सितंबर इज लास्ट डे आफ फी सबमीशन। गॉड ब्लेज यू। आई विल हैव टू बी आईजीआईएमएस टिल सेकेंड डोज आन सिक्स्थ सेप्टेंबर। ब्लीडिंग कांटीन्यूज। प्लीज, हैव ए टाक विथ हेल्पिंग एनटीओज एंड अप्लाई योर गुडविल एंड ड्राई आनेस्ट कैरेक्टर टू गेट मी वेल सून। अब तो दवाओं से ज्यादा दुवाओं का असर ही होना है।
– गौतम
उल्लेखनीय है कि इससे पहले दुनिया के सबसे बड़े ब्लाग भड़ास पर वरिष्ठ पत्रकार सुनील कुमार गौतम के दुख को महसूस करिए शीर्षक से एक पोस्ट 26 जुलाई को पब्लिश की गई थी। उस पोस्ट का असर बस इतना हुआ कि देश भर के लोगों ने उन्हें फोन कर मोरल सपोर्ट दिया पर किसी ने एक पैसे की मदद नहीं की। भड़ास4मीडिया देश-विदेश में फैले अपने हिंदी मीडिया के साथियों और हिंदी मीडिया के शुभचिंतकों से अपील करता है कि कोई एक आगे आए और 6 सितंबर व 22 सितंबर को एक एक लाख रुपये की लगने वाली सुई के लिए आर्थिक मदद सीधे सुनील कुमार गौतम को मुहैया कराए। इसके लिए आप सुनील गौतम से उनके मोबाइल 09431080582 पर बात कर सकते हैं।
हम उम्मीद कर सकते हैं कि लाखों रुपये की सेलरी पाने वाले हिंदी पत्रकार एक मरते हुए पत्रकार को जिलाने के लिए आगे आएंगे और मदद पहुंचाकर यह साबित करेंगे कि हम हिंदी वाले सिर्फ कहते ही नहीं, करते भी हैं।